छपरा

घर पर रह रहे बच्चों की दैनिक गतिविधि पर ट्विटर हैंडल से जानकारी देगा आईसीडीएस

  • ईसीसीई गतिविधियों के बारे में दी जा रही जानकारी
  • कोरोना संक्रमण काल में बच्चों की बेहतर दैनिक गतिविधि जरुरी

छपरा: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की रोकथाम देश के साथ राज्य के लिए भी चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है. इस महामारी में सरकारी महकमा प्रत्येक स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है. कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्र भी लंबे समय से बंद है, जिसके कारण बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं. इस परिस्थिति में आईसीडीएस द्वारा संचालित अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन(ईसीसीई) कार्यक्रम की उपयोगिता बढ़ जाती है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों की दैनिक गतविधियों को रचनात्मक बनाना है. इसे ध्यान में रखते हुए आईसीडीएस ने @ICDS Bihar नाम से ट्विटर हैंडल की शुरुआत की है एवं इसके माध्यम से ईसीसीई के तहत बच्चों की दैनिक गतिविधि को बेहतर करने की जानकारी दी जा रही है.

गतिविधि कैलेंडर के विषय में माताओं को किया जा रहा जागरूक

आईसीडीएस के निदेशक अलोक कुमार ने मई महीने में बच्चों की बेहतर दैनिक दिनचर्या एवं उन्हें रचनात्मक कार्यों में संलग्न करने के उद्देश्य से गतिविधि कैलेंडर जारी किया था एवं आईसीडीएस के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को यह कैलेंडर व्हाट्सएप एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सभी महिला पर्यवेक्षकाओं एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को भेजने के निर्देश दिए गए थे. ताकि आंगनबाड़ी सेविकाएँ गृह-भ्रमण के दौरान बच्चों के माता-पिता को दैनिक गतिविधि कैलेंडर के विषय में जानकारी दे सकें जिससे माता-पिता आसानी से अपने घरों में बच्चों के साथ गतिविधि कर सके.

बच्चों की बेहतर दिनचर्या है जरुरी

आईसीडीएस के सहायक निदेशक श्वेता सहाय ने बताया कोरोना संक्रमण काल में बच्चों को मानसिक अवसाद से बचाना बहुत जरुरी है. बच्चों के दैनिक दिनचर्या को बेहतर करने के लिए आईसीडीएस ने गतिविधि कैलेंडर भी जारी किया है. साथ ही आईसीडीएस ने @ICDS Bihar नाम से ट्विटर हैंडल की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से बच्चों को दिनचर्या को रचनात्मक बनाने की जानकारी दी जा रही है.

दैनिक कैलेंडर में इन बातों को किया गया है शामिल

  • नियमित दिनचर्या में बच्चों के लिए मनोरंजक, स्वास्थ्यकर एवं खेल-कूद जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया है
  • इस महामारी के दौरान बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं. इसलिए बच्चों से बात करने के क्रम में माता-पिता का सकारत्मक दृष्टिकोण और ईमानदार रहना बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें माता-पिता एवं देखभाल करने वाले महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं.
  • कुछ बच्चों को गतिविधि करने में उत्सुकता नहीं होती है। ऐसी स्थिति में बच्चे को गतिविधि में शामिल करने के लिए दवाब नहीं बनायें।उन्हें स्वतंत्र रूप से अपना फैसला लेने की छूट दें एवं जब उनकी इच्छा हो तभी उन्हें गतिविधि में शामिल करें
  • बच्चों को ऐसी गतिविधि में शामिल करने की जरूरत है ताकि उनका स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास संभव हो सके. जिसमें नियमित व्यायाम, उमुक्त खेल-कूद, चित्र बनाना, कहानी सुनाना, गीत गाना, रोल प्ले आदि क्रियाओं को उत्साहवर्धक बनाया जा सकता है. इससे बच्चों को राहत महसूस होगी कि वे एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण में हैं
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