परवेज़ अख्तर/सीवान:- जिले के मैरवा थाना क्षेत्र के कविता गांव में एक विवाहिता के गले में फंदा लगाकर हत्या कर देने का मामला प्रकाश में आया है। उसकी शादी एक वर्ष पूर्व हुई थी। घटना को दबाने और साक्ष्य मिटाने के लिए शव को दफनाने के लिए ग्रामीण कब्रिस्तान लेकर चले गए। जनाजा पढ़कर शव दफन करने की तैयारी चल रही थी तभी पुलिस को इसकी जानकारी मिली और आनन फानन में पुलिस वहां पहुंच गई। यहां पहुंच कर पुलिस ने शव को दफन करने से मना कर दिया गया। पुलिस ने मृतका के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। मृतका गोपालगंज जिले के भोरे थाना क्षेत्र के कावें गांव निवासी जब्बार अंसारी और मां शहनाज खातून की पुत्री सबरून बताई जाती है। हालांकि घटना की जानकारी से शुरू में पुलिस इन्कार करती रही। घटना की चर्चा फैल जाने के कारण आठ घंटे बाद एएसआई अजीत कुमार के नेतृत्व में घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस के पहुंचते ही ससुराल पक्ष के लोग फरार हो गए। आस पास के लोगों से पुलिस ने पूछताछ की। सूचना के बाद पहुंचे मायके वाले का रो-रो कर हाल बेहाल था। महिलाएं पास के बगीचे में बैठ कर रोती रहीं। हालांकि गांव वाले पुलिस से इसे पहले सामान्य मौत बताया, फिर बाद में आत्महत्या बताने लगे थे। मामले में बताया जाता है कि मृतका सबरून का पति खाड़ी देश में काम करता है। वह शादी के एक महीने बाद ही विदेश चला गया। घर पर मृतका की सास, एक बालिग देवर और विवाहित ननद अपने बच्चों के साथ रहती है। घटना के घंटों बाद भी पूरे गांव में और मृतका के ससुराल के आसपास के लोग घटना की जानकारी से अनभिज्ञता जताते दिखे। मृतका के मायके वाले को मृतका के ससुराल वालों ने सुबह पांच बजे फोन कर बताया कि सबरून की तबीयत ज्यादा खराब है। वह उन्हें देखने जल्दी चले आएं। यह सूचना मिलते ही मायके से मृतका के मां-बाप समेत कई महिला-पुरुष दो घंटे बाद ही वहां पहुंच गए। सबरून के पिता गोपालगंज जिले के भोरे थाना क्षेत्र के कावें गांव निवासी जब्बार अंसारी और मां शहनाज खातून ने बताया कि जब वे बेटी के ससुराल पहुंचे तो उन्होंने बेटी को मृत पाया। उसे चादर से ढक कर चारपाई पर लिटाया गया था। उनके साथ आई मायके की अन्य महिलाओं ने बताया कि सबरून मृत चारपाई पर थी और उसके गला पर निशान थे। गले के चमड़े उधड़े हुए थे। उधर मृतका के पिता पुलिस को कोई भी जानकारी देने से पीछे हट रहे थे। आश्चर्य की बात यह थी कि वे बेटी के जनाजा में शामिल होने कब्रिस्तान भी नहीं गए थे। प्रभारी थानाध्यक्ष विजय बहादुर ने बताया कि महिला के गले में दबने का निशान देखा गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगा। करीब एक घंटे तक पूछताछ के बाद पुलिस ने शव को अंत्यपरीक्षण के लिए भेज दिया।
मृतका का शव दफना घटना को दबाने की कोशिश नाकाम
थाना क्षेत्र के कविता में एक महिला कि गले में फंदा लगा हुई मौत की घटना को आनन-फानन में दफन कर दबाने की कोशिश नाकाम रही। गले में फंदा लगा कविता के सबरून की हुई मौत के बाद आनन-फानन में उसका शव पास के कब्रिस्तान में दफन कर घटना को दबाने की कोशिश की गई, लेकिन इसकी सूचना मिलने के बाद वहां पुलिस पहुंच गई। उस समय शव दफन करने के लिए ग्रामीण कब्रिस्तान ले गए थे, लेकिन पुलिस के पहुंच जाने के कारण शव को दफन नहीं किया जा सका। पुलिस ने मृतका के शव को कब्जे में ले लिया औरअंत्यपरीक्षण के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। हालांकि पुलिस के पहुंचने के बाद गांव का कोई भी व्यक्ति घटना की जानकारी होने से मुकरता रहा। पुलिस को घटनास्थल पहुंचने में कविता से लेकर कर करजनिया तक दो गांव का भ्रमण करना पड़ा। बाद में पुलिस को बताया गया कि यह घटना कविता में हुई है। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो वहां मौजूद मृतका के सगे-संबंधी और ससुराल वाले भाग गए। बड़गांव पंचायत के मुखिया पति योगेंद्र कुशवाहा और मृतका के पिता जब्बार अंसारी वहां मौजूद थे। सअनि अजीत सिंह उन्हें लेकर एक जगह पहुंचे और वहां पूछताछ शुरू की। तभी कुछ लोग वहां पहुंच गए। पहले इस तरह की घटना होने से सभी ने इन्कार किया। मृतका के पिता ने भी बताया कि उनकी बेटी के बीमार होने की सूचना सुबह फोन पर दी गई थी, लेकिन जब वे पहुंचे तो उसे मृत पाया। उन्हें नहीं मालूम हो रहा है यह सब कैसे हुई। मृतका के गले मे फंदा लगने के निशान थे, लेकिन वहां मौजूद ग्रामीण यह कहते रहे कि मृतका ने आत्महत्या कर ली है। उधर मृतका की मां एवं अन्य मायके की महिलाओं को पुलिस के सामने नहीं जाने दिया गया। मृतका के पिता ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया। वह सभी एक बगीचे में बैठकर रोती-बिलखती देखी गई।
अगले सप्ताह जाना था मायके
सबरून को अगले सप्ताह मायके जाना था। उसकी मां सहनाज ने बताया बेटी कि विदाई 5 मई को होनी थी। वह एक साल पहले शादी कर ससुराल आई थी। बेटी भी मायके जाने की तैयारी कर रही थी। रात में उसने फोन कर मायके में हम सब से बात की। हम सभी खुश थे कि ससुराल से एक सप्ताह बाद बेटी मायके आएगी। उसकी एक छोटी बहन दिन गिनकर इंतजार करती थी। इसी दौरान सुबह उसके ज्यादा बीमार होने की सूचना फोन पर मिली तो सभी बेचैन हो गए और उससे मिलने के लिए यहां चले आए। लेकिन बेटी तो हम सब से हमेशा के लिए जुदा हो चुकी थी। यह कह कर उसके आंखों से आंसू जारी हो गए।
पुलिस को विलंब से सूचना पर संदेह
कविता में हुई घटना के कई घंटे के बाद पुलिस को सूचना नहीं रहना संदेह खड़ा करता है। 12 बजे तक मैरवा थाना इस घटना की जानकारी से अनभिज्ञता व्यक्त किया। जब मीडिया कर्मियों ने पुलिस से पूछा तब पुलिस हरकत में आई। सवाल यह उठता है कि क्या घटना के घंटों बाद भी स्थानीय चौकीदार ने थाना को सूचना नहीं दी थी। सूचना मिलने के बाद ही पुलिस इसे गंभीरता से नहीं ली और ससुराल वालों को शव दफना देना का अवसर छोड़ बैठी थी। यह मामला जांच का विषय है। महिला की हत्या हुई या आत्महत