मोहम्मद साहब किया करते थे खजूर से इफ्तार : हाफिज मुजीबुर्रहमान

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परवेज अख्तर/सिवान : सदर प्रखंड के बाघ़ड़ा गांव स्थित मदरसा इस्लामिया दारुल कुरआन के हेड मास्टर हाफिज मोजिबुर्रहमान साहब ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बयान करते हुए कहा कि खजुर से रोजा इफ्तार करना सुन्नत है। साथ ही इसके बहुत से फायदे हैं। हदीश शरीफ में है कि हजरत अनस र.अ. से खायत है कि मोहम्मद साहब इफ्तार के वकत चंद भींगे खजुर से इफ्तार करते थे। भींगे खजुर नहीं मिलते तो सूखे छोहरा से रोजा इफ्तार करते थे। मोहम्मद साहब ने तमाम पेड़ों में सबसे अफजल पेड़ खजुर को बताया।

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खजूर के कौन-कौन से हैं किस्में

पहला अजवा, बरही, खजरा, शकी, शैफ, खलीश, मजदुलह और शकरी है। वहीं खजुर के सेवन से बहुत फायदे भी हैं। खजुर में ताकत बढ़ाने की क्षमता 16.10 फीसद होती है जो दूसरे फलों और सब्जियों में नहीं पाया जाता है। अरब में एक पुरानी कहावत महशूर है कि साल में जितने दिन होते हैं उतने ही खजुर खाने के फायदे भी हैं।

रोजे के लिए सेहरी करना सुन्नत है

इससे रोजे में कुअत रहती है। इसलिए रोजे के लिए सेहरी करना सुन्नत है। मोहम्मद साहब ने फरमाया कि सेहरी में देरी और इफ्तार में जल्दी करनी चाहिए। अल्लाह ताला फरमाता है कि मुझे अपने बंदों में से वो लोग ज्यादा पसंद है जो सेहरी में देरी और इफ्तार में जल्दी करते हैं।

रमजान में गरीबों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें

पाक रमजान के महीने में अल्लाह ताला रिज्क बढ़ा देता है। यानी रोजी में इजाफा कर देता है। इसलिए हर मोमिन को चाहिए कि वे गरीबों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें। इस माह में जो गरीबों की मदद करता है तो अल्लाह ताला एक नेकी के बदले 70 नेकी अता फरमाता है। मुसलमानों को चाहिए कि अपने माल दौलत की सही जकात निकाले और उसे अपने गरीब भाईयों की जरूरतों में खर्च करे।[sg_popup id=”5″ event=”onload”][/sg_popup]