छपरा: बच्चों व गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग कृत संकल्पित है। कुपोषण को मिटाने के लिए जिले में पोषण माह मनाया जा रहा है। पोषण अभियान के तहत बच्चों के शारीरिक विकास निगरानी की जा रही है। आंगनबाड़ी सेविका घर-घर जाकर बच्चों की वजन कर उनके शारीरिक विकास की निगरानी कर रहीं है। इस के साथ हीं छह माह के उपर के बच्चों को पूरक आहार देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। छह माह से अधिक उम्र के बच्चे को स्तनपान के साथ-साथ पूर्ण मात्रा में उपरी आहार देना जरूरी है। घर में उपलब्ध सभी नरम व मुलायम खाना खिलाएं। छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों के शारीरिक वृद्धि की निगरानी करनी चाहिए। बच्चों के शारीरिक विकास के माप में वजन लेने के साथ-साथ लंबाई की माप भी आवश्यक है। शारीरिक रूप से कमजोर बच्चे का मानसिक विकास भी कम होता है।
ऐसे बच्चे के लिए पोषक आहार, दवा और मानसिक सक्रियता बढ़ाने की जरूरत होती है। आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पोषण की कमी के कारण कम वजन की समस्या में कमी लाना, छोटे बच्चें (6-59 माह) और 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं व किशोरियों में रक्त की कमी की समस्या में कमी लाना और नवजात शिशु के जन्म के समय वजन में कमी की समस्या में कमी लाना है। डीपीओ ने कहा कि कुपोषित बच्चों की पहचान कर स्वास्थ्य जांच व जरुरी उपचार के साथ माताओं को बच्चे की बेहतर देखभाल व खानपान से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही है।
कुपोषण दर में प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य
पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ कुमार सिंह ने बताया कि पोषण अभियान के तहत विभिन्न विभागों के समन्वय से निर्धारित सीमा के अंदर बच्चों में अल्प वजन, बौनापन एवं दुबलापन की दर में कमी लाई जानी है। योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, पंचायती राज विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों के कुपोषण दर में प्रतिवर्ष दो फीसद एवं किशोरी व महिलाओं के एनीमिया दर में प्रतिवर्ष तीन फीसद की कमी लाने की दिशा में संयुक्त प्रयास किया जा रहा है।
पोषण अभियान को जनआंदोलन के रूप में किया जायेगा तब्दील
पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ कुमार सिंह ने बताया कि पोषण अभियान कार्यक्रम के तहत बच्चों में विकास की कमी, कुपोषण व एनीमिया ना हो उसका विशेष ध्यान रखना है। इस अभियान को जन आंदोलन के स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चों महिलाओं और किशोरियों के कुपोषण को कम करना है। साथ ही एनीमिया और गंभीर कुपोषण को रोकने के लिए लोगों को स्तनपान, मातृ पोषण और किशोर पोषण के संबंध में जागरूक करना है।
अतिकुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में मिलेगी बेहतर उपचार
पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ कुमार सिंह ने बताया कि पोषण माह 2020 के अंतर्गत अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करनी है। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उम्र की तुलना में बहुत कम वजन वाले बच्चों की सूची तैयार करेंगी। उन्हें बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुनर्वास केंद्र रेफर किया जायेगा। पोषण पुनर्वास केंद्र क्रियाशील रहेंगे और कोविड 19 प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अति गंभीर कुपोषित बच्चों का गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित किया जाना है। उपचार के बाद डिस्चार्ज बच्चों को फोन के का माध्यम से फॉलोअप भी करना है।
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