छपरा: सिंतबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से तमाम गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। पोषण के प्रति समुदाय स्तर पर आंगनबाड़ी सेविका और आशा जागरूकता फैला रही हैं। जन्म के छ्ह माह तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार माना जाता है। माँ का दूध न केवल पचने में आसान होता है बल्कि इससे नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। लेकिन 6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान से बच्चे के आवश्यक पोषण की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसके बाद बच्चे के भोजन में अर्द्धठोस व पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। ऊपरी आहार का यह संदेश आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा दिया जा रहा है। आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने कहा कि बच्चों को समय से ऊपरी आहार देने की आवश्यकता होती है। इस उम्र में बच्चे की लंबाई और वजन बढ़ता है। बच्चों के हड्डियों की लंबाई बढ़ती है, शरीर में मांस बढ़ता है और शरीर के सभी अँदरूनी अंग भी बढ़ते हैं। बच्चे को विकास के लिए बहुत सारे कार्बोहाइड्रेट(ऊर्जा), फैट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल आदि की जरूरत होती है और यह जरूरत उसे ऊपरी आहार देकर ही पूरी हो सकती है।
बच्चे के छह माह के होने के बाद ऊपरी आहार जरूरी
डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया बच्चे के छह माह का होने के बाद से ऊपरी आहार की शुरुआत करें। प्रारम्भ में बच्चे को नरम खिचड़ी व मसला हुआ आहार 2-3 चम्मच रोज 2 से 3 बार दें। फिर 9 माह तक के बच्चों को मसला हुआ आहार, दिन में 4-5 चम्मच से लेकर आधी कटोरी व दिन में एक बार नाश्ता, 9-12 महीने के बच्चों को अच्छी तरह से कतरा व मसला हुआ आहार जो बच्चा अपनी अंगुलियों से उठा कर खा सके, देना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को दिन में पौन कटोरी 1 -2 बार नाश्ता तथा उतनी ही कटोरी भोजन 3-4 बार देना चाहिए। 12 से 24 माह तक के बच्चों अच्छी तरह से से कतरा, काटा व मसला हुआ ऐसा खाना जो कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बनता हो देना चाहिए। इस आयु में बच्चे को कम से कम एक कटोरी नाश्ता दिन में 1 से 2 बार व भोजन 3-4 बार दें।
संक्रमण से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरुरत
डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया पहले दो साल में जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वह खांसी, जुकाम दस्त जैसी बीमारियों से बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चे को इन सभी संक्रमणों से बचने और लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। यदि 6 माह के बाद बच्चा सही से ऊपरी आहार नहीं ले रहा है तो वह कुपोषित हो सकता है और कुपोषित बच्चों में संक्रमण आसानी से हो सकता है। बच्चे को ताजा व घर का बना हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए।
स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी
भोजन बनाने व बच्चे को भोजन कराने से पहले साबुन से हाथ धो लेने चाहिए। बच्चे का भोजन बनाने व उसे खिलाने में सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अच्छे से पानी से धोने के बाद ही फल व सब्जियों को उपयोग करना चाहिए। जिस बर्तन में बच्चे को खाना खिलायेँ वह साफ होना चाहिये।
धैर्य के साथ खिलायें खाना
डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया बच्चे को प्रतिदिन अनाज, दालें, सब्जियों व फलों को मिलाकर संतुलित आहार खिलायें। बच्चों को विभिन्न स्वाद एवं विभिन्न प्रकार का खाना खाने को दें क्योंकि एक ही प्रकार का खाना खाने से बच्चे ऊब जाते हैं। खाना कटोरी चम्मच से खिलाएँ। बच्चे को खाना बहुत धैर्य के साथ खिलाना चाहिये, उससे बातें करनी चाहिए। जबर्दस्ती बच्चे को खाना नहीं खिलाना चाहिए। खाना खिलाते समाय पूरा ध्यान बच्चे की ओर होना चाहिए। खिलाते समय टीवी, रेडियो आदि न चलाएँ।
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