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छपरा

जिले में अति कुपोषित बच्चों के लिए फिर से चालू हुआ पोषण पुनर्वास केंद्र

  • अब जिला स्वास्थ्य समिति करेगी एनआरसी का संचालन
  • पहले एनजीओ के माध्यम से होता था संचालन
  • करीब दो माह से बंद पड़ा था एनआरसी सेंटर
  • अतिकुपोषित बच्चों के इलाज के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध

छपरा: जिले में अतिकुपोषित बच्चों के इलाज के लिए संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र को फिर से चालू कर दिया गया है। जो कि करीब दो माह से बंद हो गया था। अब इसका संचालन जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा किया जायेगा। पहले निजी एनजीओ के माध्यम से संचालन किया जाता था। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार अब जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा इस केंद्र का संचालन किया जा रहा है। अति-कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र(एनआरसी) केंद्र का संचालन किया जा रहा है। सदर अस्पताल परिसर स्थित केंद्र में बच्चों का उपचार एवं पौष्टिक आहार देने के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा की अनूठी मिसाल पेश की जा रही है।

अतिकुपोषित बच्चों को 21 दिनों तक रखने का प्रावधान

कुपोषित बच्चों के लिए यहां 3 वार्ड बनाए गए हैं, जहां उपचार के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराया जाता है। कुपोषित बच्चों एवं उनकी माताओं को आवासीय सुविधा प्रदान किया जाता है। पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होना आरंभ होने लगता है तो, उसे 21 दिन के पूर्व ही छोड़ दिया जाता है।

बच्चों को मिलता है पौष्टिक आहार

बच्चों को एफ-100 मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर, अंडा दिया जाता है। कुल 20 बेड लगे हुए हैं । इस वार्ड में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर उनका प्रॉपर उपचार के साथ पौष्टिक आहार निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया पोषण पुनर्वास केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। जांच के बाद कुपोषित की पहचान की जाती है । सर्वप्रथम बच्चे का हाइट के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे के बाजू का माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल है। तीनों स्तरों पर जांच के बाद भर्ती किया जाता है।

अक्षर ज्ञान के लिए स्कूल की तरह सजा है एक कमरा

बच्चों को उपचार एवं पौष्टिक आहार के साथ अक्षर ज्ञान का भी बोध कराया जाता है। यह कार्य वहां मौजूद एएनएम के द्वारा बखूबी निभाया जाता है। यहां दीवारों पर अक्षर ज्ञान के साथ कुछ तस्वीरें भी बनवाई गई हैं, जिसके माध्यम से बच्चों को अक्षर का बोध कराया जाता है।

बच्चों की माँ को दी जाती है प्रोत्साहन राशि

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि भर्ती बच्चों की मां को प्रतिदिन प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। आगंनबाड़ी की सेविका व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सर्व करके कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है और बच्चों को बेहतर उपचार के लिए एनआरसी लाती हैं। इसके लिए आशा एवं सेविकाओं को 200 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है, ताकि वह गांव गांव में घूमकर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एनआरसी में भर्ती करवा सकें।

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