छपरा : जिले में सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सदर शहरी क्षेत्र के सीडीपीओ कार्यालय में सोमवार को पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना की गयी। सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने फीता काटकर पोषण परामर्श केंद्र की उद्घाटन किया। मौके पर सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने कहा कि स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ मानसिकता का निर्माण होता है और बच्चों का स्वस्थ सेहत का भी निर्माण होता है। इसीलिए बेहतर समाज के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि इस पीढ़ी को अच्छा पोषण मिले और वह सुरक्षित रहे।
सभी माताओं का यह दायित्व है कि बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए साफ सफाई पर ध्यान दें , नियमित रूप से खाने से पहले व खाने के बाद अच्छी तरह से हाथ धोया जाए एवं शौचालय करने के बाद हाथ पैर धोया जाय। कुपोषण की समस्या तभी दूर हो सकती है जब बच्चों को स्वच्छता के बारे में बताया जाएगा। इसको ध्यान में रखते हुए परामर्श केंद्र की स्थापना की गयी है। पूरे महीने तक इस परामर्श केंद्र का संचालन किया जायेगा। इस मौके पर सीडीपीओ कुमारी उर्वशी, सेविका शर्मिला देवी, निशा पाठक, अस्मिता देवी, मधुरेंद्र कुमार समेत अन्य मौजूद थे।
कुपोषण को मिटाने के लिए सेविकाओं ने ली शपथ
कार्यक्रम के दौरान सीडीपीओ ने सभी सेविकाओं व अन्य कर्मियों को कुपोषण को दूर करने व पोषण के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने की शपथ दिलाई। सभी कर्मियों ने शपथ ली कि पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचायेंगे और पोषण अभियान को जन आंदोलन के रूप में तब्दील करने में अपने कर्तव्यों का निवर्हन करेंगे।
गोदभराई दिवस का हुआ आयोजन
पोषण अभियान के तहत सीडीपीओ कार्यालय में पर गोदभराई उत्सव का आयोजन किया गया। मंगल गीतों के साथ गर्भवती महिला को उपहार के रूप में पोषण की पोटली दी गई है। जिसमें गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली, पोषाहार व फल आदि शामिल थे। महिलाओं को उपहार स्वरुप पोषण की थाली भेंट की गयी, जिसमें सतरंगी थाली व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ शामिल थे। गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर महिलाओं की गोद भराई की रस्म पूरी की गई।
पोषण के पांच सूत्रों से लगेगा कुपोषण पर लगाम
सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने बताया कि कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण अभियान के तहत पांच सूत्र बताए गए हैं। पहले सुनहरे 1000 दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर बच्चे के जन्म से दो साल तक की उम्र तक की अवधि शामिल है। इस दौरान बेहतर स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल तथा सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है।
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