परवेज अख्तर/सिवान : शहर के इस्लामिया उच्च विद्यालय +2 के सभागार में शनिवार को उर्दू निदेशालय पटना के निर्देशानुसार जिला उर्दू कोषांग के तत्वावधान में राज्य की द्वितीय राजभाषा उर्दू का कार्यान्वयन एवं विकास विषय पर सेमिनार एवं कार्यशाला का आयोजन दो सत्रों में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उर्दू कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी संतोष कुमार झा ने की। कार्यक्रम का उद्धाटन जिला उर्दू कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी संतोष कुमार झा, मुख्य अतिथि एमएस उच्च विद्यालय +2 हुसैनगंज के प्राचार्य सैयद अली पंजतन, विशिष्ट अतिथि शिया वक्फ बोर्ड के जिलाध्यक्ष गुलाम हैदर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विद्यालय के बच्चों ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।पहले सत्र में प्राचार्य सैयद अली पंजतन ने अपने संबोधन में कहा कि ने उर्दू एवं हिंदी पर बेहतरीन अंदाज में तराना पेश किया। उन्होंने उर्दू के विकास को इतिहास से जोड़कर लोगों से इसके प्रति जागरूक होने की अपील की। उर्दू के विकास पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मां-बाप को चाहिए कि बच्चों को बचपन से ही उर्दू की तरफ आकर्षित करें। जिला उर्दू कोषांग के अनुवादक मो. मंजर इमाम ने कहा कि उर्दू विषय पर हमारे आका मोहम्मद साहब को काफी मोहब्बत थी, इसलिए यह भाषा मृत नहीं हो सकती। उन्होंने उर्दू के विकास हेतु कुछ बिंदुओं पर चर्चा करते हुए लोगों को सबसे पहले अपने घरों में बच्चों से शुरुआत करते हुए इसे जिंदा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अगर उर्दू का फरोग चाहते हैं तो बच्चों को अंग्रेजी के साथ उर्दू सिखना-पढ़ना सिखाएं, घर में बच्चों का डाइजेस्ट, अखबार मंगाएं, गलत जुमलों का इसलात करें। दावत का कार्ड उर्दू में छपवाएं, नेम प्लेट उर्दू में छपवाएं आदि। अंत में प्रभारी पदाधिकारी, उर्दू कोषांग संतोष कुमार झा ने सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि मेरा विषय उर्दू नहीं रहा है, मगर उर्दू से काफी मोहब्बत है और मेरा विषय प्रतियोगिता परीक्षा में उर्दू रहा है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विशिष्ट अतिथि वक्फ बाेर्ड के चेयरमैन मंसूर आलम ने उर्दू की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बिहार में 1981 से ही उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। परन्तु इसका अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। जनवरी 2016 में राज्य सरकार ने विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से उर्दू के विकास हेतु पहल करने का निर्णय लिया। उसके बाद से हर साल उर्दू कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। मौके पर कमर सिवानी, हाजी अख्तर अली समेत काफी संख्या में शिक्षाविद, उर्दू शिक्षक एवं उर्दू प्रेमी उपस्थित थे।
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