महसूस ये होता है ये दौरे तबाही है
शीशे की अदालत है,पत्थर की गवाही है,
हमारी बात तो मानो सियासत के जमाने में
ख्लूसे दिल जरूरी है न दिलदारी जरूरी है,
वफादारी करोगे तुम तो बुद्धु समझे जाओगे
फरेबी दौर में परवेज अदाकारी जरूरी है!
✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
यह उपरोक्त पंक्ति किसी शायर की लिखी हुई है लेकिन जो वर्तमान समय में चल रहे सिवान की ओछी राजनीति पर सटीक बैठ रही है। बुद्धिजीवी वर्ग में आने वालों में शिक्षक, डॉक्टर, वकील के साथ-साथ नेतागण व जनप्रतिनिधि भी आते हैं।लेकिन वर्तमान दौर में नेताओं द्वारा दी जा रही अपनी अपनी दलील जो लोगों के जुबान पर चर्चा का विषय तो बना हुआ है, लेकिन उनकी ओछी राजनीति और बुद्धिजीवी कहे जाने वाली मनगढ़ंत बातों को दरकिनार कर समानता और वर्तमान दौर को पीछे छोड़ते हुए एक अलग कहानी का रूप दे रही है।
मामला यह है कि सिवान के कभी अपने जमाने के शराब माफिया और पूर्व भाजपा एमएलसी टुन्ना जी पांडे के गाली भरी शब्दों और कुख्यात जटाशंकर सिंह जो वर्तमान में सत्ता का वरद हस्त प्राप्त अपराधी एवं कभी जेल से आकर जिला परिषद का नामांकन भी किये हुए थे। उनकी बातों को शीतकालीन युद्ध की संज्ञा न देकर ओछी राजनीति कही जाए या उनकी मूर्खता,जो आजकल बड़ी तेजी से चल रही सोशल मीडिया पर एक चर्चा का विषय बना हुआ है, मामला चाहे जो कुछ हो लेकिन दोनों के बीच सोशल मीडिया पर आई चर्चा के बाद यह कहना रुपए की लेनदेन की राजनीति है या पूर्व के संबंधों में आई खटास या शिक्षा की कमी।
सोशल मीडिया पर आई चर्चा के मुताबिक इन दोनों के निचले स्तर या समाज के कमजोर वर्ग की तरह अनपढ़ लोगों की तरह गाली गलौज,क्या बुद्धिजीवी वर्ग में शोभा देता है,वर्तमान समय इन दोनों नेताओं के साथ-साथ इनके समर्थक और साथ रहने वाले लोगों से पूछ रही है की आखिर यह दोनों समाज में रहते हैं या नहीं ? उन्हें शिक्षा से कभी वास्ता है या नहीं ? कल के भविष्य बच्चे जो वर्तमान में अपना भविष्य सुधार रहे हैं,अगर वे इन दोनों नेताओं के सोशल मीडिया पर उड़ रही वीडियो फुटेज को देखेंगे तो उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा कि हमारे जिले के कभी राजेंद्र प्रसाद,मौलाना मजहरूल हक, जैसे नेताओं का नाम लिया जाता है, सिवान जिले में ऐसे भी नेतागण हैं जो समाज के निचले तबके या अशिक्षित,गंवार,जाहिल की भाषा बोल रहे हैं।
दोनों सोशल मीडिया पर आकर गंदी राजनीति कर समाज को कलंकित कर रहे हैं।क्या दोनों नेताओं के सोशल मीडिया पर लगातार हो रही गाली गलौज और बयानबाजी को लेकर जिला प्रशासन या उनके पार्टी के शीर्ष नेतागण कोई कड़ा कदम उठाएंगे या नहीं ? यह लोगों के बीच एक चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते चलें कि कुछ दिन पूर्व सोशल मीडिया पर हीं पूर्व मंत्री सह जदयू नेता विक्रम कुंवर और पूर्व एमएलसी टुन्ना जी पांडे के बीच भी सोशल मीडिया पर शीत युद्ध का दौर चला था लेकिन प्रशासन और वरीय नेतागण द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। क्या सिवान की राजनीति अब गाली गलौज,आपसी विवाद की ओर जा रही है या हमारे जिले के कभी डॉ राजेंद्र प्रसाद व मौलाना मजहरूल हक द्वारा सजाए गए सपनों को खोकर विनाश की ओर अग्रसर हो रही है।
आखिर आए दिन एक दूसरे पर बयान बाजी कब खत्म होगी या कहीं और खून खराबे की ओर संकेत तो नहीं कर रही है?दबी जुबान से लोगों के बीच यह भी चर्चा बनती जा रही है। अब देखना है कि आने वाले समय में सोशल मीडिया पर बनी चर्चा किस रंग रूप में अपना रुख अख्तियार करती है।
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