✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन सोमवार को हो गया। व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अपने परिवार की खुशहाली की कामना की। छठ घाटों पर उत्सवी माहौल का नजारा रहा। श्रद्धा के महापर्व छठ के चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। 36 घंटे के निराधार व्रत के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया और छठी मइया से मन की मुरादें मांगी। सोमवार की सुबह मुख्यालय स्थित दाहा नदी पुलवा घाट, शिवव्रत साह घाट, श्रीनगर घाट, रेनुआ घाट, गांधी मैदान समीप स्थित तालाब, महादेवा स्थित छठ घाट सहित विभिन्न तालाबों,घर की छत पर जलकुंड बनाकर लोगों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया। शहर के दाहा नदी के तट पर व्रतियों की काफी भीड़ रही। लोग अहले सुबह से अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंचे थे। सुबह जैसे ही सूर्य की लालिमा नजर आई, व्रती नदी के पवित्र जल में अर्घ्य देने के लिए उतर पड़े। अर्घ्य देने के बाद लोगों ने पूजा-अर्चना की और अपने घरों की ओर लौट गए। सभी ने मंगलकामनाओं के साथ एक दूसरे को आशीर्वाद दिया। घर पहुंचकर व्रतियों ने पारण किया। इसके पूर्व रविवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया। इस दौरान नदियों एवं तालाबों के किनारे आस्था का सैलाब उमड़ा तो सांप्रदायिक सौहार्द का वातावरण बन गया,आस्था के आगे जाति-धर्म का भेद भाग गया था। आर्थिक विषमता कहीं नहीं दिखी। इस दौरान पद-प्रतिष्ठा का गुमान गायब रहा। सभी छठी मइया की भक्ति में लीन रहे। नहाय-खाय से शुरू चार दिवसीय इस महापर्व के दौरान लगा कि हर कोई सात्विक हो गया है। अनुष्ठान के दौरान सभी सफाई के प्रति सजग रहे।
पारंपरिक छठ गीतों से गुलजार रहे घाट :
सभी छठ घाटों पर उगअ ए सूरज देव…, भईल अरघा के बेरिया, हे छठि मइया, तोहर महिमा अपरंपार…, मारबौ रे सुगवा धनुष से, कांच हे बांस के बहंगिया…, हम ना जाइब दोसर घाट सुनी हे छठी मइया… कहवा पइबो सोने के कटोरवा…, जैसे छठ के पारंपरिक गीत लोगों के दिल को छू रहे थे। लोक आस्था के महापर्व छठव्रत को लेकर नहाय-खाय के साथ ही छठ के गीतों से नगर गूंजने लगा था। हर तरफ भगवान भास्कर व छठ मइया को समर्पित गीत गाए जा रहे थे। घरों में भी छठव्रतियों द्वारा छठ के पारंपरिक गीतों को गाया जा रहा था। इससे पूरा माहौल छठमय हो गया था।
घाटों पर दिखा सेल्फी का क्रेज :
सभी छठ घाटों पर पूजा से लेकर कोसी भराई की रस्म तक की सेल्फी लेकर अपने दोस्तों एवं संबंधियों के साथ स्टेटस आदान-प्रदान करने जुटे रहे। सबसे ज्यादा सेल्फी का क्रेज युवाओं में देखने को मिला। कमोबेश हर घाट पर युवाओं व युवतियों द्वारा सेल्फी लेने की होड़ देखी गई।
दुल्हन की तरह छठ घाट की हुई थी सजावट :
छठ व्रत को लेकर गांव सहित शहर के सभी छठ घाट की सजावट दुल्हन की तरह हुई थी। छठव्रतियों व उनके परिजनों द्वारा छठ घाटों पर व्रत के लिए स्थान सुरक्षित करके उनकी बेहतर ढंग से साफ-सफाई कर सजावट की गई थी। इससे हर जगह सफाई व पवित्रता का माहौल देखने को मिला। छठ घाटों पर प्रकाश की काफी अच्छी व्यवस्था की गई थी। फूल माला के साथ तोरणद्वार बनाए गए थे। जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र थे।
व्रतियों की सेवा में डटे रहे पूजा समिति व समाजसेवी :
छठ व्रत को लेकर सभी मोहल्लों को पूजा समितियों द्वारा छठव्रतियों की सुविधा के लिए कई तरह की तैयारियां की गईं थीं। प्रकाश की व्यवस्था को लेकर सभी मोहल्लों में सड़कों के किनारे लाइट लगाई गई थी। पूजा समितियों व समाजसेवियों द्वारा व्रतियों के लिए समुचित व्यवस्था की गई थी। दाहा नदी पुलवा घाट पर बने शिविर में बिहार विधानसभाअध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी,जदयू जिलाध्यक्ष उमेश ठाकुर,दारौंदा विधायक कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह,भाजपा जिलाध्यक्ष संजय पांडेय सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
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