परवेज अख्तर/सिवान: सर्दियों के सीजन में सोमवार का दिन इस साल का सबसे ठंडा दिन रहा। उत्तर भारत में चल रही शीतलहर की वजह से सीवान का भी न्यूनतम तापमान गिरकर 8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इसे सामान्य से 4 डिग्री सेल्सियस कम बताया जा रहा है। अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस दर्ज की गयी। इसे भी सामान्य से 10 डिग्री कम माना जा रहा है। 5 दिन पहले मौसम में अचानक से आए परिवर्तन के कारण जिले में हुई बारिश व ओलावृष्टि का असर अब सर्द मौसम के रूप में दिखने लगा है। मकर संक्रांति के बाद अमूमन मौसम बढ़िया होता है। लेकिन, मकर संक्रांति के दूसरे दिन ही रविवार को पूरे दिन पछुआ (पश्चिमी) हवाएं जमकर चली। जिसका असर सोमवार की सुबह में देखने को मिला। सुबह में घना कोहरा और शीतलहर के कारण कार्यालय के कर्मियों को दफ्तर पहुंचने में काफी परेशानी हुई। छोटे बच्चों और बुजुर्गों को ठंड नहीं लगे, इसके लिए परिवार के लोग उन्हें बाहर नहीं निकलने दिए। गांवों में जगह-जगह लोग घास-फुस और पुआल जलाकर अलाव तापते दिखें। हाड़ कंपा देने वाली इस सर्दी ने लोगों की हालत खराब कर दी। सर्दी का सितम सोमवार को इस कदर जारी रहा कि दोपहर में धूप खिलने के बाद भी ठंड कम नहीं हुई। पूरे दिन में धूप खिलने के बाद भी लोग ठंड से बचते नजर आए।
सुबह साढ़े 11 बजे तक छाया रहा घना कोहारा
सोमवार को शीतलहर का प्रकोप पूरे दिन रहा। लोग ठंड से ठिठुरते हुए अपने जरूरी कामों को निपटारा करते दिखे। पशुपालकों और पशुओं पर भी इस ठंड का असर दिखा। सुबह में जहां घना कोहरा छाए रहने के कारण वाहनों की रफ्तार धीमी रही, वहीं सड़कों पर सन्नाटा सा पसरा रहा। बैंक, डाकघर व अस्पताल आदि में लोग न के बराबर दिखे। हालांकि, धूप निकलने पर दोपहर 1 बजे के बाद बैंकों में कुछ लोग जरूर नजर आए। ज्यादा जरूरी नहीं होने पर बाहर निकलने में लोग परहेज करते दिखे। दुपहिया वाहन चालकों को हाथों में दस्ताना पहनने के बाद भी गलन भरी हवाओं के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मौसम के विशेषज्ञों के अनुसार अगले 3 दिनों तक इसी तरह का ठंड रहने की संभावना है।
ठंड इसी तरह से पड़ती रही तो नुकसान संभव
किसानों की माने तो सोमवार की तरह अलगे 5-6 दिनों तक इसी तरह की ठंड पड़ती रही तो आलू और सरसों में पाला लगने की संभावना बढ़ जाएगी। है। किसानों का कहना है कि इस तरह के मौसम में खासकर रात के समय तापमान काफी कम हो जाता है। जिससे आलू में झुलसा का प्रकोप दिखने लगता है। सरसों की फसल के पैदावार पर इसका सीधा असर दिखता है। ऐसे में किसानों को पौधों को गर्मी देने के लिए फफूंदनाशी अथवा सल्फर का छिड़काव करना जरूरी हो जाता है। किसान शंभुनाथ राय ने बताया कि ठंड का असर प्याज के बिचड़े, लहसुन व आदि गांठ वाली करीब फसल पर भी दिखता है। हालांकि, गेहूं की फसल के लिए यह ठंड और शीतलहर काफी फायदेमंद है। किसान ठंड पड़ते देख पाला रोकने वाली एम-45 का प्रयोग शुरू कर दिए हैं।
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