परवेज अख्तर/सिवान: पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद गांवों में राजनीतिक सरगर्मी जोर पकड़ ली है. छह पदों के लिए चुनाव हाेना है. लेकिन इसमें सबसे ज्यादा मुखिया प्रत्याशी बनने की होड़ दिख रही है.इस पद से जिले के विभिन्न पंचायतों में कई दिग्गज अपना भाग्य अजामाने को तैयार बैठे हैं. उन दिग्गजों के द्वारा संबंधित पंचायतों में संपर्क अभियान किया जा रहा है.संर्पक अभियान के साथ- साथ बैठकों व पार्टी का भी दौर चल रहा है. किसी भी तरह से वोटरों को अपने पक्ष में गोलबंद करने की तैयारी में संभावित प्रत्याशी अभी से ही लगे हुए हैं. इसके साथ ही जाति से जोड़कर भी क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने में जुटे हुए हैं. पंचायत चुनावों में मुखिया पद के उम्मीदवारों की संख्या से इस बात की पुष्टि हो जाती है.यही नहीं, मुखिया पद के कई उम्मीदवारों ने ग्राम समिति पर अपना वर्चस्व बनाए रखने और भविष्य पर नजर रखते हुए खुद के समर्थन वाले उम्मीदवार भी उतारने को तैयार हैं.मुखिया के बाद जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्य और सरपंच के पद का नंबर आता है. इसके पीछे वजह है इन पदों को मिली शक्तियां। मुखिया का पद काफी पावरफुल माना जाता है। लेकिन,अब बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग ने मुखिया व सरपंच के बीच शक्तियों का बंटवारा नए सिरे से कर दिया है.
पंचायती राज विभाग ने मुखिया के साथ-साथ सरपंचों का अधिकार बढ़ाया
पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से मुखिया व सरपंच के दायित्वों का निर्धारण कर दिया है. मुखिया को जहां ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार होगा, वहीं इनके जिम्मे विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की भी जिम्मेदारी होगी.वहीं सरपंच गांवों में सड़कों के रखरखाव से लेकर सिंचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्य करेंगे। पंचायती राज विभाग के अनुसार मुखिया को अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें आयोजित करनी होंगी. बैठक के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्ययोजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी होगी.इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे और अन्य शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे होगा.
मुखिया के साथ संरपंचों को मिलेगा तीन बड़े अधिकार
मुखिया के साथ सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं. ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और उनकी अध्यक्षता करने का अधिकार इन्हें मिला हुआ है.इसके अलावा ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी इन्हीं के पास रहेंगी. इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह-संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना होगा.
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