परवेज़ अख्तर/सिवान : बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के गृह जिले के सदर अस्पताल में इन दिनों तड़प-तड़प कर मर रहे है मरीज और खिल खिला रहे हैं चिकित्सक ! यह उपरोक्त शब्द आपको सुनने में थोड़ा सा अटपटा जरूर लगता होगा लेकिन यह सच है कि इन दिनों सदर अस्पताल के चिकित्सकों की मनमानी से गरीब तबके के मरीजो पर शामत आ गई है और मरीज दम घुट- घुट कर मर रहे हैं। इसके बावजूद ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक मरीजों को न तो समय पर उन्हें जांच कर रहे हैं न ही समय पर चिकित्सक अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं और न ही चिकित्सकों द्वारा लिखी गई अधिकांश दवाईयां सिवान के सदर में मुहैया हो पा रही है।
इसके बावजूद सुशासन की राग अलापने वाली सरकार पर इसका कोई असर नही दिख रहा है और न ही जिला प्रशासन कुम्भकर्णीय निंद्रा से जागने का नाम ले रही है। अब आम जनता अपने जिले के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से यह सवाल कर रही है ? कि आखिर कब तक सदर अस्पताल की व्यवस्था सुदृढ़ होगी ? क्या इसी तरह मरीज दम घुट घुट कर मरते रहेंगे ? क्या मरीजों की घड़ियाली आंसू को पोछने वाला कोई नहीं है ? यहां गौर करने की बात तो यह है कि इन दिनों सदर अस्पताल के चिकित्सकों की मनमानी शहर के कोने-कोने में लोग चाय की चुस्की के साथ चर्चा करने से बाज नहीं आ रहे।
यहाँ बता दें की मरीजों को सबसे ज्यादा कठिनाई रात्रि में तैनात चिकित्सकों से हो रही है ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक अपनी हाजिरी बना कर आराम कक्ष में चले जा रहे हैं और आराम कक्ष में जाकर ड्यूटी करने के बजाए एसी नुमा कक्ष में सो कर अपनी रात बिता रहे हैं इन दिनों सदर अस्पताल में रात के समय कंपाउंडर के सहारे सदर अस्पताल मरीजों की सेवा में है। रात्रि के समय ड्यूटी में तैनात चिकित्सक मरीजों के साथ उदंडतापूर्वक पेश आ रहे। इसका जीता जागता उदाहरण बीते मंगलवार की रात्रि देखने को मिली कि इलाज के आभाव सिवान जिले के जी. बी. नगर थाना क्षेत्र के उसरी गांव निवासी कुअँर गिरी की पत्नी मालती देवी की मौत हो गई।
महिला पीड़ित अस्पताल के बेड पर तड़पती व छटपटाती रही लेकिन ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉक्टर अरुण कुमार चौधरी ने मरीज की सुधि तक नही ली। परिजन चिकित्सक के पास जाकर आरजू विनती करते रहे लेकिन चिकित्सक द्वारा उनकी नही सुनी गई।अंततः महिला मरीज अस्पताल के बेड पर तड़प तड़प कर दुनिया से अलविदा कह गई। परिजनों ने यह आरोप लगाया की हम सभी लोग ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक के पास जाते थे और उनसे बार-बार सही से देखने की बात करते थे तो उनके द्वारा डांट-फटकार कर बोला जाता था कि ये सब काम कम्पाउंडर का है।
परिजनों का कहना है कि रात होने के कारण हम सभी अपने मरीज को लेकर जाएं तो जाएं कहां वाली नौबत के चलते उसी हाल में अपने मरीज को छोड़ दिए। नतीजा यह निकला की हम लोगों के मरीज अस्पताल के बेड पर तड़प तड़प कर मर गई। बहरहाल चाहे जो हो इन दिनों सिवान सदर अस्पताल की हालत बद से बदतर है। यहां मौत का पुख्ता इंतजाम चिकित्सकों ने किया है। कंपाउंडर के सहारे इन दिनों रात्रि के समय में सिवान सदर अस्पताल चल रहा है। समय रहते जिला प्रशासन को चाहिए कि इसकी जांच करा कर व्यवस्था को सुदृढ़ करें ताकि गरीब तबके के मरीजों को घड़ियाली आंसू बहाना न पड़े।
इस संदर्भ में मंगलवार की रात्रि ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ. अरुण कुमार चौधरी से संपर्क कर पूछा गया तो उन्होंने सारे आरोप को बेबुनियाद बताया। उधर चिकित्सक द्वारा दिए गए जवाब जब परिजनों के बीच बताया गया तो चिकित्सक द्वारा दी गई जवाब परिजनों के गले के नीचे नहीं उतर पा रही थी।
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