परवेज अख्तर/सिवान: नियोजित शिक्षकों के वेतन निर्धारण को लेकर कमोबेश विवाद हर बार होता आया है। जुलाई 2015 से नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने का निर्णय बिहार सरकार द्वारा लिया गया जिसके आधार पर बिहार के नियोजित शिक्षकों 1 जुलाई 2015 से प्रभाव से वेतनमान मिला लेकिन वेतन निर्धारण में शिक्षा विभाग ने सेवा पूर्व प्रशिक्षित स्नातक ग्रेड नियोजित शिक्षकों को प्रशिक्षण का न देकर अप्रशिक्षित शिक्षकों के समान वेतन निर्धारण कर दिया । वही पूर्व नियोजित शिक्षक जो योगदान के समय से अप्रशिक्षित थे उनको प्रशिक्षण का लाभ दे दिया ।यह एक ही मामले में भिन्नता को प्रदर्शित करता है । इसी तरह विगत विधानसभा चुनाव 2020 के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नियोजित शिक्षकों के वेतन में 15% वृद्धि की घोषणा की थी जिसको लागू करने में विभाग ने 1 साल से अधिक का समय ले लिया और अब जब ऑनलाइन केलकुलेटर के माध्यम से शिक्षकों का वेतन निर्धारण हो रहा है तो उसमें कई स्तरों पर व्यापक रूप से विसंगतियां देखने को मिल रही हैं।
विसंगति का एक उदाहरण यह है कि एक ही कोटि में और एक ही वर्ष में नियुक्त नियोजित शिक्षकों का मूल वेतन अलग-अलग प्रदर्शित हो रहा है। यही नहीं बल्कि जो शिक्षक वरीय हैं उनका वेतन कनीय शिक्षकों से कम प्रदर्शित हो रहा है। इसका मतलब यह है कि कुछ शिक्षकों का वेतन निर्धारण पूर्व से ही अधिक हो गया है। ऐसी कई प्रकार की विसंगतियां देखने में आ रही हैं। नियोजित शिक्षकों का मानना है कि जब तक वेतन विसंगति दूर नहीं होगी तब तक नियोजित शिक्षकों का वेतन निर्धारण नियमतः गलत होगा।
टीईटी एसटीईटी शिक्षक संघ के अध्यक्ष रजनीश कुमार मिश्र ने नियोजित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा की इंडेक्स-3 की बाध्यता वाले प्रकरण के कारण हमारे कई शिक्षकों का वेतन कम बन रहा है। इसलिए इस इंडेक्स-3 की बाध्यता को समाप्त करने की भी पहल की जा रही है साथ ही हमारे नव प्रशिक्षित शिक्षक साथियों को विरमन तिथि से ग्रेड पे का लाभ दिलाने पर भी हम लोग काम कर रहे हैं।
महासचिव श्रीकांत सिंह ने कहा कि सेवा पूर्व प्रशिक्षित शिक्षकों को ग्रेड पे से वंचित रखने के लिए 2 साल की बाध्यता विभाग द्वारा लगा दी गई। पूर्व में जब सभी नियोजित शिक्षकों को मानदेय मिल रहा था उस समय सेवा पूर्व नियोजित शिक्षकों को प्रशिक्षित शिक्षक का मानदेय मिल रहा था और जब 1 जुलाई 2015 के प्रभाव से वेतनमान मिला उस समय 2 वर्ष की बाध्यता लगाकर प्रशिक्षित शिक्षकों को अप्रशिक्षित शिक्षक जैसा वेतन दिया गया। इसके कारण भी शिक्षकों का वेतन कम बन रहा है।
शिक्षक नेता मोहम्मदीन अंसारी ने कहा कि कई स्तरों पर विभिन्न प्रकार की शिक्षक कोटियों में जो वेतन विसंगतियां दिखाई दे रही हैं उसका निराकरण करने के लिए विभाग कुंभकरण की नींद सोया है। कोरोना को लेकर विगत 2 वर्षों से न्यायालय में कामकाज प्रभावित हुआ है लेकिन फिर भी हम लोग न्यायिक कदम बढ़ाने से पीछे नहीं हटेंगे।
बैठक में संदीप कुमार मिश्रा, जितेंद्र कुमार सिंह, प्रमोद कुमार उपाध्याय, कन्हैया मिश्रा, संतोष कुमार यादव, परमहंस यादव, सुधीर कुमार सिंह, हरे राम प्रसाद, संतोष कुमार सिंह, राहुल कुमार, राज कुमार दुबे, चंद्रशेखर सिंह, पंकज कुमार सिंह, राजीव कुमार सिंह, कुमार सौरभ, अंकित कुमार सिंह, विक्की कुमार, पुनीत पांडेय, बलिंदर कुमार गिरी, राजेश कुमार प्रसाद, सरोज भारती, मनीष द्विवेदी, कौशलेंद्र पांडेय,दुर्गेश बरनवाल,दिनेश कुमार, उमेश कुमार सिंह, शकील अहमद, चंदन कुमार, राजीव कुमार, विक्रमा माली, अर्जुन कुमार यादव,सुनील कुमार तिवारी, जे.के.सिंह, मनीष कुमार और प्रदीप कुमार इत्यादि दर्जनों शिक्षक उपस्थित थे।
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