छपरा: जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिलाओं के बंध्याकरण से ज्यादा आसान और सुरक्षित है-पुरुष नसबंदी। किसी तरह का चीड़-फाड़ और टांका की जरूरत नहीं होती। नसबंदी के आधा घंटा बाद व्यक्ति पैदल चलकर घर जा सकता है। उक्त बातें क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ. रत्ना शरण ने सदर अस्पताल में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान कही। जिनका भी परिवार पूरा हो गया उस घर के पुरुष सदस्य नसबंदी करा सकते हैं। नसबंदी कराने वाले पुरुष के परिवार में कम से कम तीन साल का एक संतान होना चाहिए। प्रमंडल स्तर पर सिवान व गोपालगंज जिले के दो चिकित्सकों को पुरुष नसबंदी का रिफ्रेशर प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें सोनपुर अनमुमंडलीय अस्पताल के डॉ. बिपिन बिहारी सिन्हा ने गोपालगंज जिले के विजयीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ. आरके राय, सिवान जिले के सिसवन रेफरल अस्पताल के डॉ. एसएम अजाद को पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया। जिसमें पुरुष नसबंदी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।
तीन पुरुष ने करायी नसबंदी
सदर अस्पताल में प्रशिक्षण के दौरान तीन व्यक्तियों ने इस अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की है। तीन व्यक्तियों का नसबंदी प्रशिक्षण के द्वारा चिकित्सकों के द्वारा किया गया। साथ-साथ चिकित्सकों के बीच एनएसवी किट का भी वितरण किया गया। क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ. रत्ना शरण ने कहा कि समाज में अभी भी पुरुषों की ही प्रधानता हावी है। पुरुषों में गलत धारणा है कि नसबंदी कराने के बाद वे कमजोर हो जाएंगे। साथ ही वे नपुंसक भी हो जाएंगे। इसको लेकर पुरुष स्वयं नसबंदी नहीं कराकर महिलाओं का बंध्याकरण करा रहे हैं। यानि पुरुष प्रधान समाज में परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधे पर पर ही अब तक है। यही कारण है कि पुरुष नसबंदी कराने से कतराते हैं ।
नसबंदी कराने वालों को किया जाता है प्रोत्साहित
नसबंदी कराने के लिए पुरुषों को प्रोत्साहित करने को लेकर सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाया जा रहा है। नसबंदी कराने के बाद कमजोर एवं नपुंसक होने की पुरुष के मन से गलत-फहमी दूर करने को लेकर पुरुषों को जागरूक किया जा रहा है। नसबंदी कराने वाले पुरुष को प्रोत्साहन राशि के रूप में तीन हजार रुपये एवं मोटिवेटर को चार सौ रुपये मिलता है। जबकि बंध्याकरण कराने वाली महिला को दो हजार व मोटिवेटर को तीन सौ रुपये मिलता है। वहीं प्रसव के एक सप्ताह के भीतर बंध्याकरण कराने वाली महिला को तीन हजार व मोटिवेटर को चार सौ रुपये प्रोत्साहन राशि मिलती है।
पुरुष नसबंदी के प्रति है गलत धारणा
पुरुषों में गलत धारणा बनी हुई है कि नसबंदी कराने के बाद वे शारीरिक रूप से कमजोर एवं नपुंसक हो जाएंगे। यही कारण है कि पुरुष नसबंदी कराने से परहेज करते हैं। जबकि ऐसी बात नहीं है। नसबंदी कराने वाले पुरुष न तो कमजोर होते हैं और न ही वे नपुंसक होते हैं। पूर्व की तरह ही वे सारा कार्य करते हैं। इसको लेकर प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है।
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