परवेज अख्तर/सिवान: शहर में अपराध पर लगाम लगने के लिए जिला पुलिस ने दो जगहों पर सीसी कैमरा लगाए हैं। इनमें गोपालगंज मोड़ और बबुनिया मोड़ पर इन्हें इंस्टॉल किया गया है। यहां पर चारों दिशाओं में आने जाने वाले संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है। ताकि किसी भी घटना को अंजाम देने से पहले पुलिस उनकी गिरफ्तारी कर सके। लेकिन मिली जानकारी के अनुसार अभी भी शहर के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां निरंतर घटनाएं हो रही हैं वहां उन गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए कुछ भी नहीं लगाया गया है। इसका उदाहरण गुरुवार को सीएमएस कर्मी की गोलीमार साढ़े नौ लाख रुपये से अधिक की लूट की घटना से मिल गया। अगर चिक टोली मोड़ पर पुलिस ने सीसी कैमरा लगाया होता तो शायद पुलिस को पीओ की पहचान करने में आसानी होती। क्योंकि पुलिस अभी भी घटनास्थल को पूरी तरह से पुष्ट नहीं कर पाई है। घटनास्थल पुष्ट करने के लिए पुलिस अपने हाथ पांव मार रही है। सूचना यह भी रही कि गुरुवार की रात पुलिस ने एसबीआई के एटीएम के बाहर लगे सीसी कैमरे के फुटेज को खंगाला। अगर घटनास्थल की पुष्टि हो जाए तो पुलिस को केस के अनुसंधान में आसानी होगी। घटनास्थल के बल पर ही पुलिस चौहदी लिख सकेगी।
दूसरी तरफ डीएवी मोड़ वर्तमान समय में दो चीजों के लिए लोगों की जुबान पर ज्यादा रहता है। एक तो डीएवी कॉलेज और दूसरा घटनाओं को लेकर। अक्सर यहां बड़ी घटनाएं रात के समय में अपराधियों द्वारा अंजाम दी जाती हैं और उनकी पहचान या गतिविधि की निगरानी के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि इस पथ पर कई लोगों की हत्याएं सरेआम हो चुकी हैं। 2014 में सांसद के प्रवक्ता श्रीकांत भारतीय की हत्या एक शादी समारोह से लौटने के दौरान कर दी गई। इसके बाद तेजाब कांड के चश्मदीद राजीव रोशन की हत्या 16 जुलाई 2015 को राजीव रोशन भी डीएवी मोड़ और ओवर ब्रिज के बीच गोली मार कर दी गई। वहीं दूसरी तरफ स्टेशन रोड भी संदिग्ध ही माना जाता है। यहां रात में अक्सर यात्रियों के साथ लूटपाट की घटना को अंजाम दिया जाता है। यह वही सड़क हैं जहां एक कलम के सिपाही की अपराधियों ने निर्मम हत्या कर दी थी। एक दैनिक अखबार के पत्रकार राजेदव रंजन की हत्या 13 मई 2016 को स्टेशन रोड के फलमंडी समीप कर दी गई थी। जिसका अनुसंधान आज भी जारी है। बताते चलें कि राजदेव रंजन की हत्या के बाद ही तत्कालीन एसपी सौरव कुमार शाह ने शहर में सीसी कैमरा लगाने के लिए हामी भरी थी और शहर के 16 स्थानों का चयन कर वहां सीसी कैमरा लगाने की पहल की थी लेकिन वह सिर्फ रामनवमी तक ही सीमित रह गई। ऐसे में शहर में लोग कब तक अपराधियों की गोली का निशाना बनेंगे इस पर पुलिस के वरीय अधिकारी भी कुछ खुलकर नहीं बोल पा रही है। बता दें कि अभी भी शहर के कई रिहायशी मोहल्ले हैं जहां निरंतर घटनाएं होती हैं लोग लोक लज्जा की डर से उन्हें पुलिस के पास दर्ज नहीं कराते हैं।
13 मई 2016 को स्टेशन रोड़ में ही पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या, 16 जुलाई 2015 को डीएवी मोड़ समीप ही तेजाब कांड के चश्मदीद राजीव रोशन की गोली मारकर हत्या, 23 नवंबर 2014 को डीएवी मोड़ के समीप सिनेमा हॉल के पास सांसद प्रवक्ता श्रीकांत भारतीय की हत्या गोली मारकर की गई थी। इसके पूर्व 2014 में चिकटोली मोड़ पर ही शाम के समय में तबरेज की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 28 जून 2018 को सीएमएस कर्मी मुकेश सिंह से 10 लाख लूट गोली मारकर साढ़े नौ लाख की लूट। ये मामले ऐसे हैं जो चर्चा में आए, लेकिन कई ऐसे मामले भी हैं जो पुलिस की फाइलों के बीच दबकर रह गई है।
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