✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का संकल्प ले रखा है और इस बीमारी के नियंत्रण को लेकर एक तरफ टीबी विभाग दावा करता है कि घर- घर टीबी के मरीज खोजकर उन्हें निशुल्क इलाज देने के साथ ही पांच सौ रुपये भी दिए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ रोग की चपेट में आने से मरने वालों के बारे में विभाग के पास कहने को कुछ नहीं है। जिले में तीन साल में टीबी से 614 मरीजों की मौत हो चुकी है। जबकि जिले में बीते तीन साल में कुल 13 हजार सात सौ 95 टीबी के मरीजों की पहचान की गई। 2023 यानी अभी के समय में 3154 मरीज ऐसे है जिनका इलाज चल रहा है।
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टीबी मरीजों का सरकारी आंकड़ा
साल मरीजों की पहचान मौत
2023 में 3154 मरीज हैं जिनका इलाज चल रहा है।
यह हैं टीबी के प्रारंभिक लक्षण:
खांसी आना: टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है, लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए।
पसीना आना: पसीना आना टीबी होने का लक्षण है। मरीज को रात में सोते समय पसीना आता है। वहीं, मौसम चाहे जैसा भी हो रात को पसीना आता है। टीबी के मरीज को अधिक सर्दी होने के बावजूद भी पसीना आता है। बुखार रहना: जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड में बुखार रहता है। संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज होता जाता है।
थकावट होना: बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इससे थकावट होती है।दो हफ्ते से ज्यादा खांसी तो जांच कराएं: दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डाक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे। मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें। मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। साथ ही एसी से परहेज करे। पौष्टिक खाना खाए,एक्सरसाइज व योग करे। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें। भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें। बच्चे के जन्म पर बीसीजी का टीका लगवाएं।
कहते है अधिकारी
टीबी के मरीज का उपचार उसकी बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। मरीज किसी भी स्थिति में दवा न छोड़े उसके लिए विभागीय कर्मचारी मरीज की लगातार निगरानी करते हैं। मरीजों को भी दवा नहीं छोड़ने को लेकर सचेत किया जाता है।
डा.अनिल कुमार सिंह, जिला संचारी रोग पदाधिकारी
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