पटना : कोरोना संक्रमण का कहर विश्व के साथ देश में भी तेजी से फ़ैल रहा है. इससे बचाव के लिए लगभग समूचे विश्व में ही लॉकडाउन किया गया है. इस संक्रमण प्रसार के चेन को सिर्फ अनुशासित लॉकडाउन से ही तोड़ा जा सकता है. इस लिहाज से सरकार के लिए लॉकडाउन लागू करना अनिवार्य हो गया था.लॉकडाउन समाप्त होने के उपरांत भी सभी लोग अपने लिए आमदनी सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं. ऐसे में समाज में उनलोगों को ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है जो काम पर वापस नहीं जा सके हैं या अकेले या शारीरिक रुप से असमर्थ हैं. इसके मद्देनजर सहयोगी संस्था ने दानापुर प्रखंड के तक़रीबन 10 गाँव में चिन्हित कर एक माह का राशन दिया है
150 लोगों को 1 माह का राशन
सहयोगी की कार्यपालक निदेशक रजनी ने बताया देश के साथ बिहार भी कोरोना का दंश झेल रहा है. इस संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन भी किया गया, जो संक्रमण की रोकथाम के लिए कहीं न कहीं जरुरी भी था. लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से बहुत सारे मजदूरों एवं दिहाड़ी पर कार्य करने वाले लोगों को भी कार्य मिलना बंद हो गया. वे संक्रमण एवं भूख दोनों तरह की चुनैतियों से जूझ रहे थे. लॉक डाउन खुलने के बावजूद वंचित समुदायों में कई ऐसे लोग थे जीने समस्या का सामना करना पर रहा था. ऐसे में सहयोगी ने अपने कार्यक्षेत्र जो की दानापुर प्रखंड के चिन्हित गाँव है में राशन का वितरण किया. राशन बांटते समय भी सहयोगी के कर्मियों के द्वारा शारीरिक दूरी का उचित अनुपालन किया जा रहा है. जिसमें वितरण करने वाले मास्क का भी प्रयोग कर रहे हैं एवं शारीरिक दूरी का अनुपालन करते हुए राशन वितरण किया गया.
इसके साथ ही लोगों को यह भी बताया गया कि अभी भी मास्क पहनना और शारीरिक दूरी का अनुपालन अब भी आनिवार्य है क्योंकि अभी कोरोना ख़त्म नहीं हुआ है. लापरवाही से यह पुनः बढ़ सकता है. राशन की पैकेट ने रोज इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण चीजों को शामिल किया गया ताकि उनकी मांग पूरी हो जाए. जिसमें आटा- 5 किलोग्राम, चावल- 10 किलोग्राम, सरसो का तेल-1 किलोग्राम, दाल- 1 किलोग्राम, आलू- 1 किलोग्राम, नमक- 1 किलोग्राम, मिर्चा पाउडर, हल्दी पाउडर, सेनेटरी पैड एवं नहाने एवं कपड़े साफ़ करने के लिए साबुन.
सहयोगी के एडवोकेसी कोऑर्डिनेटर धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि इसके अलावा सहयोगी लगातार लोगों के साथ बात कर जागरूक कर रही है कि लॉक डाउन में ढील देने के बावजूद बिना वजह बाहर जाना सुरक्षित नहीं है और अगर बाहर काम पर जा रहे हैं तो मास्क जरुर पहने. मास्क ही ढाल है. इसके साथ लोगों को पोषण पर भी ध्यान देने के लिए बता रहे हैं क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना जरुरी है.
सहयोगी के सामाजिक संगठनकर्ता लाजवंती ने कहा कि लॉक डाउन में महिलाओं को ही सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा है क्योंकि वो न तो बाहर जा सकती थीं और न ही उनकी जरूरते परिवार में प्राथमिकता होती है. सबसे ज्यादा समस्या माहवारी स्वस्थ्य प्रबंधन को लेकर हुआ है साथ ही महिलाओं के साथ हिंसा भी बढ़ी है जिसपर हम आगे कार्य कर रहे हैं.
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