छपरा: एईएस और चमकी बुखार की चुनौती का सामना करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। इसी कड़ी में मंगलवार को सदर अस्पताल में एबुंलेंस मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) को ट्रेनिंग दी गयी । यह प्रशिक्षण एईएस/ जेई प्रभावित क्षेत्र के एबुंलेंस मेडिकल टेक्नीशियन की क्षमता को बढ़ाने के लिए दिया गया। ताकि चमकी बुखार की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया जा सके। चमकी बुखार होने पर शुरुआत के चार घंटे काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान जो भी बच्चे एम्बुलेंस से लाए जाएं उनकी उचित देखभाल और प्राथमिक चिकित्सा सुविधा मिलनी जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण केयर के सहयोग से आयोजित किया गया। केयर इंडिया की अमानत ट्रेनर दीपिका राणा, लीना, नर्स मेंटर अर्चना कुमारी, विभा कुमारी, डीटीओ-एफ डॉ. रविश्वर कुमार ने प्रशिक्षण दिया।
एम्बुलेंस में प्रशिक्षित टेक्नीशियन की भूमिका महत्वपूर्ण
केयर इंडिया अमानत मेंटर दीपिका राणा ने बताया इस तरह के मरीज जब अस्पताल में आते हैं तो उनका तत्काल ग्लूकोज लेवल नाप कर उन्हें स्लाइन चढ़ायी जाती है। उसके बाद प्राथमिक उपचार कर के ही रेफरल अस्पताल में भेजा जाता है। यहीं पर इमरजेंसी मेडिकल टेकनीशियन अपनी भूमिका निभाते हैं। यह जिस एम्बुलेंस में होते हैं वह अत्याधुनिक लाइफ सर्पोटिंग सिस्टम मशीनों से लैस रहता है। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर एवं सभी तरह की दवाएं होती हैं। साथ ही मरीज को स्लाइन की भी जरूरत होती है। ऐसे में कोई प्रशिक्षित पारामेडिकल स्टॉफ ही इन सबको संभाल सकता है। यह प्रशिक्षण इन्हीं चीजों की क्षमता को बढ़ाने के लिए दिया गया।
चुनौतियों से निपटने के लिए विभाग सजग
सिविल सर्जन डॉ. जर्नादन प्रसाद सुकुमार ने कहा सारण एईएस से प्रभावित नहीं है। मुजफ्फरपुर जिले में एईएस के अधिक मामले आते है। लेकिन विभाग इसको लेकर अलर्ट है। इसके लिए आम जनता को भी जागरूक करने की जरूरत है। ताकि लक्षण दिखने पर बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए लायें । चुनौतियों से निपटने के लिये तैयारी की जा रही है। एंबुलेंस के ईएमटी को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
तेज बुखार व चमकी आना प्रमुख लक्षण
सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार ने बताया एईएस या चमकी बुखार को बीमारी का छाता कह सकते हैं। इसका कारण अभी तक पता नहीं चल सका। इसके मुख्य कारण गर्मी, नमी व कुपोषण सामने आए हैं। जब गर्मी 36 से 40 डिग्री व नमी 70 से 80 फीसद के बीच हो तो इसकी समस्या र शुरू होती है। बीमारी का लक्षण तेज बुखार व चमकी आना है, इसलिए इसे चमकी बुखार कहते हैं। इसमें बच्चा देखते-देखते बेहोश हो जाता है।
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