छपरा: अत्यधिक वर्षा तथा प्रलयंकारी बाढ़ के कारण सारण में खरीफ फसलों को हुई क्षति के मुआवजे का भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसको लेकर किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। जिला कृषि पदाधिकारी डॉक्टर के के वर्मा ने बताया कि जिले में करीब 57000 हेक्टेयर में खरीफ फसल को छाती होने का आकलन किया गया है और सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी गई है। इसके लिए सरकार के द्वारा कृषि इनपुट योजना के मद से फसलों की क्षतिपूर्ति की मुआवजा की जाएगी। जिन किसानों को खरीफ फसल की क्षति हुई है। वह ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि 2 दिसंबर से ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे तथा 17 दिसंबर तक आवेदन करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों की जांच किसान सलाहकार, कृषि समन्वयक तथा प्रखंड कृषि पदाधिकारी के द्वारा की जाएगी, जिसके उपरांत आवेदन को ऑनलाइन अग्रसारित किया जायेगा और राज्य मुख्यालय से ही किसानों के खाते में फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा की राशि का भुगतान किया जायेगा।
एक किसान को अधिकतम दो हेक्टेयर का मिलेगा मुआवजा
जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि एक किसान को फसल की क्षतिपूर्ति का मुआवजा अधिकतम दो हेक्टेयर करने का प्रावधान है। इसके लिए किसानों को आवश्यक अभिलेख के साथ ऑनलाइन आवेदन करना है, जिसमें आधार कार्ड, भूमि से संबंधित अभिलेख, बैंक अकाउंट का विवरण भी दाखिल करना है। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ केवल रैयत को ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि बटाईदारो को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
तीन श्रेणी में आवेदन करने का है प्रावधान
खरीफ फसल की क्षतिपूर्ति मुआवजा के लिए किसानों से तीन श्रेणियों में आवेदन आमंत्रित किया गया है। तीनों श्रेणी के लिए अलग-अलग मानक निर्धारित किए गए हैं और उसकी अहर्ता पूरी करने वाले किसानों को उसी मानक के अनुरूप क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान किया जायेगा। असिंचित क्षेत्र के भूमि पर लगे फसलों की क्षति के लिए प्रति हेक्टेयर 6800 रुपए, सिंचित क्षेत्र की भूमि पर लगे फसल की क्षति के लिए प्रति हेक्टेयर 13000 रुपए और शाश्वत फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 18000 रुपए की दर से क्षतिपूर्ति मुआवजा करने का प्रावधान है।
दो दशकों का टूटा रिकॉर्ड
इस वर्ष जिले में आई प्रलयंकारी बाढ़ तथा अत्यंत वर्षा के कारण पिछले दो दशक का रिकॉर्ड टूट गया। यह पहला मौका है, जब एक साथ 18 प्रखंडों में करीब 57000 हेक्टेयर में लगी खरीफ की फसल की क्षति हुई है, जिसके कारण किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठानी पड़ी है। पिछले कई वर्षों से बाढ़ व सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों की इस वर्ष बाढ़ ने कमर तोड़ कर रख दी है। जिले के 18 प्रखंड इस वर्ष प्रभावित हुए हैं। पहले भी जिले में बाढ़ के कारण फसलों की नुकसान होने का इतिहास रहा है, लेकिन एक साथ 10 से 12 प्रखंडों के ही किसानों को क्षति उठानी पड़ती थी, परंतु इस वर्ष 18 प्रखंडों के प्रभावित होने के कारण न केवल किसानों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है, बल्कि जिले में लक्ष्य के अनुरूप खरीफ फसल का उत्पादन नहीं हो सका है।
सबसे अधिक प्रभावित धान के उत्पादन हुई है। जिले में धान का उत्पादन इस वर्ष 30 से 35 प्रतिशत ही हो पाई है, जिसके कारण जिले में लोगों को चावल के लिए आयात पर आश्रित होना पड़ेगा। वैसे भी इस जिले में आवश्यकता के अनुरूप धान का उत्पादन नहीं होता है और दूसरे जिले से आयातित चावल पर ही लोग आश्रित रहते हैं।
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