पटना: प्लास्टिक अपशिष्ट से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से हर कोई वाकिफ है. इसके बावजूद हमारे दिनचर्या में प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल निरंतर बढ़ता जा रहा है. प्लास्टिक स्वयं को नष्ट नहीं कर पाता है, जो पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. लोग प्लास्टिक को मिट्टी में दबा देते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा समुदाय में प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने और कम करने के लिए समय समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इसी क्रम में पटना नगर निगम, यूएनडीपी और एचसीसीबी की संयुक्त साझेदारी में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम एक नवीन पहल है जो प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को होने वाले नुकसान और जोखिमों को कम करने की दिशा में कार्य कर रही है.
“प्लास्टिक लाओ, मुखौटा पाओ” अभियान की हुई शुरुआत
यूएनडीपी ने प्लास्टिक कचरा पुनःचक्रण को बढ़ावा देने के लिए पटना नगर निगम एवं एचसीसीबी के साथ साझेदारी में “प्लास्टिक लाओ, मुखौटा पाओ” अभियान, 2020 को शुरू किया है. यह साझेदारी सर्कुलर इकोनोमी की और बढ़ने के लिए सभी प्लास्टिक के संग्रह, पृथकरण और पुनःचक्रण के माध्यम से भारत में स्थायी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को प्रोत्साहित कर रही है. यह भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम,2016 तथा वैश्विक सतत विकास लक्ष्य के अनुरूप है.
“प्लास्टिक लाओ, मुखौटा पाओ” स्टालों की होगी स्थापना
इस अभियान के तहत सार्वजानिक आयोजनों में यूएनडीपी पटना नगर निगम के सहयोग से “प्लास्टिक लाओ, मुखौटा पाओ” स्टालों की स्थापना करेगा. पटना के विभिन्न जगहों पर 10 जुलाई से “प्लास्टिक लाओ, मुखौटा पाओ” अभियान को शुरू करने की योजना है. इस अभियान के तहत अभी तक यूएनडीपी ने 11.7 मेट्रिक टन प्लास्टिक एकत्र किया है.
इतने प्लास्टिक लाने पर मिलेगा थैला
प्लास्टिक अपशिष्ट रीसाइक्लिंग के मद्देनजर प्लास्टिक लाने में थैला दिया जा रहा है, जिसमें 10 पीईटी बोतलें, कई परतों वाले प्लास्टिक के 20 उत्पाद, 10 मिश्रित प्लास्टिक उत्पाद, विभिन्न प्रकार के 20 छोटे प्लास्टिक उत्पाद या 15 प्लास्टिक थैले के बदले 1 थैला दिया जाएगा.
लोगों को मास्क पहनने के लिए किया जायेगा जागरूक
कोविड-19 के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है और केंद्र एवं राज्य सरकार यह सिफारिश कर रही है कि घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करें. प्लास्टिक कचरे के बदले मास्क का वितरण कर समुदाय में मास्क का उपयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी. विशेषज्ञों का मानना है कि घर के बने मास्क किसी को बीमार होने से नहीं बचाते हैं लेकिन वे संक्रमित लोगों द्वारा बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद कर सकते हैं. विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं हर कोई चेहरे को ढंकने के अलावा सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य निवारक उपायों को जारी रखें.
ये रही हैं उपलब्धियां
पृथ्वी प्रोजेक्ट के तहत अभी तक नागरिकों, दुकानों, सफाई कर्मचारियों आदि द्वारा करीब 11,770 किलो कचरा एकत्र किया गया है. इस अभियान में छह हजार से ज्यादा लोग लगे हैं और 29,950 किलो तक कार्बन एमिशन की बचत हुई है. इस मुहिम से अभी तक 40 से अधिक दुकानें एवं स्ट्रीट वेंडर एवं 29 स्कूल/ कॉलेज ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया. जबकि पटना में 31 दिसम्बर, 2019 से लेकर 17 फरवरी 2020 तक 4 स्थानों पर प्रदर्शनी लगाकर प्लास्टिक कचरे को जमा किया गया है.
ये हैं उद्देश्य
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