परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
इसी साल अप्रैल-मई महीने में आपने ऐसे कितने ही पोस्ट या ट्वीट सोशल मीडिया पर पढ़े होंगे.आपको याद होंगी वो तस्वीरें,जब लोग अपनों को बचाने के लिए ऑक्सीजन के सिलेंडर के लिए भटक रहे थे. अब इन सारे बयानों,तस्वीरों और अनुभवों से इतर मोदी सरकार ने संसद में इसी विषय पर बयान दिया है. राज्यसभा में सरकार ने कहा है,ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत हुई,राज्यों से ऐसी कोई सूचना नहीं मिली.इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना हो रही है.मानसून सत्र में विपक्ष सरकार से कोरोना को लेकर कई सवाल पूछ रहा है. इनमें कोरोना के आंकड़े छिपाने के आरोपों से लेकर ऑक्सीजन की कमी जैसे सवाल भी शामिल रहे. इसी क्रम में केसी वेणुगोपाल ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों और ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सवाल पूछा था. इसके लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने कहा, स्वास्थ्य राज्य का मसला है.
मौत की रिपोर्टिंग को लेकर केंद्र ने राज्य सरकारों के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे.इसी के अनुसार राज्य केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को केस और मौतों के बारे में जानकारी देते थे.हालांकि, किसी भी केंद्र शासित प्रदेश या राज्य ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.ऐसे ही एक दूसरे सवाल का जवाब देते हुए भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा,आंकड़े छिपाने का कोई कारण ही नहीं है.बताना चाहिए,लेकिन आप किसके ऊपर आरोप लगा रहे हैं.रजिस्ट्रेशन कौन करता है ?आंकड़े कौन तय करता है ?राज्य करते हैं.मोदी जी ने तो ये भी कहा कि बैकलॉग है तो वो भी डाल दीजिए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा,फिर भी कुछ सम्मानीय सदस्य कह रहे हैं कि भारत सरकार आंकड़ा छिपा रही है.राज्य सरकारें जो आंकड़ा भेजती हैं,भारत सरकार उसे जोड़कर पब्लिश करती है.भारत सरकार का पब्लिश करने के अलावा कोई और काम नहीं होता है.सरकार के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर आम लोगों से लेकर नेताओं तक की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया,सिर्फ़ ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी. संवेदनशीलता व सत्य की भारी कमी-तब भी थी,आज भी है.कांग्रेस पार्टी की समझ रखने वाले पत्रकार और लेखक रशीद किदवई ने व्यंग्य किया,ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई ? शायद कोरोना की दूसरी लहर भी नहीं आई.कोरोना के बारे में क्या ख़्याल है ?कांग्रेस नेता हसीबा लिखती हैं, वो दिन और रातें,जब ऑक्सीजन के लिए भीख मांगा करते थे.अनजान नंबरों पर हज़ारों कॉल किया करते थे कि ऑक्सीजन है या नहीं.भयानक दौर था.अब सरकार कह रही है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा.पत्रकार सबा नकवी लिखती हैं, हम सब ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे थे.
सरकार का ये कहना कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई,ये इस महामारी से जूझते लोगों की तकलीफ़ का अपमान है.टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया,अगर हम इस सरकार के नौकरशाहों पर भरोसा करें तब तो ऑक्सीजन की कमी से कोई मरा ही नहीं.सिवाय उनके जो असल में ऑक्सीजन की कमी से मर गए.मनोज कुमार झा ने राज्यसभा में कहा,बड़े-बड़े पन्ने छपवाओ. 4 पन्ने रंग दो.थैंक यू फलाना.मुफ़्त वैक्सीन.जो चले गए उनमें अपनी व्यक्तिगत पीड़ा ढूँढिए ! ज़िंदगी में नहीं तो कम से कम मौत में ही सम्मान दे दीजिए.पूरे सदन को उन लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए, जिनकी लाशें गंगा में बह रही थीं.
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