गोपालगंज: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में भी मातृ शिशु स्वास्थ्य समेत अन्य सेवाओं को निरंतर जारी रखा गया है। कोविड प्रोटोकॉल पालन के साथ अन्य सेवाओं को निरंतर उपलब्ध कराया जा रहा है। अब प्रत्येक माह 9 तारीख को आयोजित होने वाला प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को कोविड प्रोटोकॉल के साथ आयोजन किया जायेगा। इसको लेकर मातृ स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सरिता ने पत्र जारी सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम प्रत्येक माह 9 तारिख को भारत सरकार के नये गाइडलाइन के अनुसार अप्रैल माह से कंटेनमेंट जोन तथा बफर जोन को छोड़कर स्वास्थ्य संस्थानों में आयोजित किया जायेगा।
गर्भवती महिलाओं को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण सेवाएं
भारत सरकार के दिशा-निर्देशों का अनुश्रवण करते हुए 9 अप्रैल को सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। कैंप के दौरान स्वास्थ्य संस्थानों पर आने वाली गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच करवाना सुनिश्चित करने के निर्देश निर्देश दिए गए हैं।
जटिल प्रसव वाली महिलाओं की पहचान करना है अभियान का उद्देश्य
प्रसव पूर्व जांच क दौरान जटिल प्रसव वाली महिलाओं का ट्रैकिंग किया जाना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। ताकि मातृ-मृत्यु में कमी लाया जा सके। अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान पोर्टल पर प्रतिवेदित आंकड़ों की समीक्षा की गयी है। पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि संस्थानवार समीक्षा करते हुए एएनसी जांच के दौरान जटिल प्रसव वाली महिलाओं की पहचान कर पीएमएसएमए पोर्टल पर अपलोड करवाना सुनिश्चित करें।
जिले में 8061 महिलाओं की हुयी एएनसी जांच
सिविल सर्जन डॉ योगेंद्र महतो ने बताया जिले में अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 8061 महिलाओं की प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत एएनसी जांच की गयी है। जिसमें 248 जटिल प्रसव वाली महिलाओं की पहचान की गयी है। जिले में जटिल प्रसव वाली 3.08 प्रतिशत महिलाओं की पहचान कैंप के दौरान की गयी है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जांच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।
सुदूर गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए वरदान है ये कार्यक्रम
सिविल सर्जन डॉ. योगेंद्र महतो ने बताया अत्यधिक रक्त स्त्राव से महिला की जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। प्रसव पूर्व जांच में यदि खून 7 ग्राम से कम पाया जाता है तब ऐसी महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के विषय में सलाह भी दी जाती है. गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अत्यधिक या कम वजन एवं अत्यधिक खून की कमी प्रसव संबंधित जटिलता को बढ़ा सकता है। इस दिशा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना प्रभावी रूप से सुदूर गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है एवं इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लागने में सफलता मिल रही है ।
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