गोपालगंज: जिले में जहां कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार की गति धीमी हुई है, वहीं इससे ठीक हो रहे लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। लेकिन, अभी भी लोगों के बीच कई प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं। समाज के मुख्यधारा के लोग अफवाहों व भ्रांतियों पर ध्यान देकर उपचाराधीन मरीजों व कोरोना योद्धाओं से सामाजिक व मानसिक दूरी बना रहे हैं। लेकिन इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए भोरे रेफरल अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक कामरान अहसन आगे आये हैं। कोरोना को मात देकर फिर से अपनी सेवा देने में जुट गये हैं। ड्यूटी के दौरान बीएचएम कामरान अहसन 22 जुलाई को कोरोना से संक्रमित हो गये और करीब 20 दिनों तक कोरोना से जंग लड़ने के बाद फिर से उसी जोश व जज्बा के साथ अपना फर्ज निभाने के लिए ड्यूटी पर लौट आये हैं। बीएचएम कामरान अहसन ने बताया जब हल्की उनकी तबीयत खराब हुई तो ड्यूटी व फर्ज के आगे उसे दबाकर रखा। लेकिन जब ज्यादा तबीयत बिगड़ गयी तो ट्रूनेट मशीन से कोरोना का जांच कराया जिसके बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। उसके बाद कामरान अहसन ने खुद को होम आईसोलेट कर लिया। इस दौरान वे लगातार चिकित्सकों के संपर्क में रहें। चिकित्सकों के सलाह लेते रहें। घर पर हीं उन्होने पूरी व्यवस्था कर ली थी। ऑक्सीजन, पल्स मीटर, बीपी मशीन आदि की व्यवस्था कर ली थी। वह लगातार अपना स्वास्थ्य परिक्षण कर रहे थे।
हो रही थी ये परेशानी
बीएचएम कामरान अहसन कहते हैं, “जब मैं कोरोना से संक्रमित हुआ तो मुझे तेज बुखार व बदन दर्द की काफी समस्या थी। पूरे शरीर में दर्द होने लगा था। इन सबके बावजूद मैं अपना हिम्मत नहीं हारा। लगातार चिकित्सकों के सलाह पर होम आईसोलेशन में हीं खुद का इलाज किया और करीब 20 दिनों के लड़ाई के बाद मैंने कोरोना को मात दे दिया। इस दौरान लगातार दो बार मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। फिर भी मैं डरा नहीं। आत्मविश्वास के साथ खुद को मजबूत किया। इस दौरान मेरे परिवार के लोगों का काफी सहयोग मिला। सभी ने मेरा हौसला बढ़ाया। जिसका परिणाम है कि आज मैं ठीक हो गया हूं। मुझे ठीक हुए दो महीने हो लेकिन अभी भी बदन में दर्द की शिकायत है, जिसके लिए चिकित्सीय संपर्क में रहता हूँ।”
समाज में फैल भेदभाव के खिलाफ कर रहें जागरूक
बीएचएम कामरान अहसन ने कहा कोरोना संक्रमण किसी को भी और कभी भी हो सकता है, इसमें उनका कोई ऐसा दोष नहीं है। जिसके लिए उनके साथ सामाजिक भेदभाव किया जाना ठीक नहीं है। कोरोना योद्धा व उनके परिजन भी हमारे समाज का हिस्सा हैं। इन विषम परिस्थितियों में जब कोई कोरोना संक्रमण के कारण तनाव व चिंता में हो तो उनका मानसिक रूप से हौसला अफजाई करना सभी का नैतिक कर्तव्य है। इसलिए वह लगातार लोगों को भेदभाव के खिलाफ जागरूक कर रहें है। क्षेत्र में भी जाते हैं तो समुदाय के लोगों को भेदभाव नहीं करने का सलाह देते है। स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले लोगों का भी काउंसलिंग कर रहें है। ताकि समाज में फैले भेदभाव को मिटाया जा सके।
अब कोरोना को हराने में दे रहे योगदान
भोरे रेफरल अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य प्रबंधक कामरान अहसन अब कोरोना को हराने में अपने कर्तव्यों को बखूबी निभा रहें है। पंचायतस्तर पर कोरोना का जांच कराना, कर्मियों को सभी समान उपलब्ध कराना, कोरोना संक्रमितों को बेहतर उपचार मुहैया कराना, उन्हें भर्ती कराना इसके साथ-साथ रिपोर्ट तैयार करना और पूरे अस्पताल के व्यवस्था को देखना उनका मुख्य कार्य है। इन सभी कार्यों को वो बखूबी निभा रहे हैं। भोरे रेफरल अस्पताल की पूरी व्यवस्था की जिम्मेदारी उनके कंधें पर हीं है। बिना छूटी लिये वे लगातार अपने कर्तव्यों के प्रति कृतसंकल्पित हैं।
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