पटना: चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सीबीआइ की विशेष अदालत 15 फरवरी को रांची में सजा सुनाने जा रही है। रांची जिले के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी का यह मामला है। इसे चारा घोटला का सबसे बड़ा मामला कहा जाता है। सजा सुनने के लिए लालू प्रसाद यादव 14 फरवरी को ही रांची पहुंच जाएंगे। 15 फरवरी को सुबह दस बजे तक तैयार होकर सीधे कोर्ट पहुंचेंगे।
मालूम हो कि कानूनी प्रविधानों के मुताबिक सजा सुनाए जाने के दौरान अभियुक्त को कोर्ट में सशरीर उपस्थित रहना होता है। यही वजह है कि चारा घोटाला मामले की सुनवाई कर रही सीबीआइ की कोर्ट ने पहले ही लालू प्रसाद यादव को कोर्ट में 15 फरवरी को खुद उपस्थित रहने का आदेश दिया है। इसलिए हर हाल में 15 फरवरी को लालू प्रसाद यादव और अन्य सभी अभियुक्त सजा सुनने के लिए कोर्ट में उपस्थित रहेंगे। कानून के जानकार भी कहते हैं कि सजा सुनाए जाने के दौरान कोर्ट में अभियुक्त की मौजूदगी पहले से अनिवार्य है। इस दौरान अभियुक्त चाहकर भी अपने वकील के माध्यम से उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकता है। हां, अदालत चाहे तो अभियुक्त की उपस्थिति आनलाइन भी दर्ज कर सकती है। लेकिन चारा घोटाला के इस मामले में अभियुक्तों की संख्या काफी है, इसलिए आनलाइन की कवायद की कम गुंजाइश है। यही नहीं, कोरोना संक्रमण का दौर भी खत्म हो चुका है। अदालत में 100 प्रतिशत कर्मचारी आने लगे हैं, ऐसे में लालू प्रसाद और अन्य अभियुक्तों को खुद उपस्थित होना ही पड़ेगा। कोर्ट ने पहले ही कह दिया है कि 15 फरवरी को सजा सुनने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना है।
मालूम हो कि झारखंड में लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटले के कुल पांच मामले दर्ज हैं। अदालत की ओर से सुनवाई के बाद दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू यादव को 5 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। इसी तरह पश्चिम सिंंहभूम जिले के चाईबासा कोषागार से हुई अवैध निकासी के दो मामलों में राजद सुप्रीमो लालू यादव को क्रमश: 7-7 वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं, देवघर कोषागार से हुई अवैध निकासी के एक मामले में लालू यादव को दो धाराओं में क्रमश: 4-4 वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है। यह सजाएं अमानत में खयानत करने और भ्रष्टाचार से संबंधित हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रांची के डोरंडा कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव को सीबीआइ अदालत कितने वर्ष की सजा सुनाती है।
डोरंडा कोषागार से हुई अवैध निकासी के इस मामले पर सबकी नजर इसलिए टिकी हुई है कि यह चारा घोटाले का अंतिम और सबसे बड़ा मामला है, जो झारखंड से संबंधित है। पुराने मामलों में जिस तरह से लालू यादव को सजा सुनाई गई है, उसके हिसाब से हर किसी को उम्मीद है कि डोरंडा कोषागार मामले में अधिक से अधिक सजा हो सकती है। झारखंड हाईकोर्ट के कई वकीलों का यह अनुमान है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को अधिकतम सात वर्ष की सजा हो सकती है। कानून की जानकारी रखने वाले कहते हैं कि अगर सजा तीन वर्ष तक की होती है तो लालू प्रसाद को अपील/जमानत/सजा कम कराने के लिए चंद रोज की मोहलत मिल सकती है। जरूरी नहीं कि उसी दिन जेल भेज दिए जाएं। हां, यदि तीन वर्ष से ज्यादा की सजा होती है तो उन्हें तत्काल जेल जाना पड़ सकता है।
पुराने मामलों में जिस तरह लालू प्रसाद यादव दोषी साबित होते रहे हैं, इससे इतना तो तय है कि डोरंडा कोषागार मामले में भी वह दोषी साबित अवश्य हो सकते हैं। इस बात की भी उम्मीद जताई जा रही है कि सजा सुनाए जाने के दौरान लालू प्रसाद सीबीआइ कोर्ट के जज से अपनी बीमारी और उम्र का हवाला देते हुए कम से कम सजा देने की गुहार लगा सकते हैं। वह यह भी कह सकते हैं कि पहले से ही काफी सजा भुगत चुके हैं। अब देखना यह है कि अदालत उनकी गुहार पर कितना विचार करती है। वैसे इतना तय है कि सीबीआइ के वकील की ओर से अधिक से अधिक सजा देने की मांग की जाएगी। सीबीआइ किसी सूरत में नहीं चाहेगी कि लालू प्रसाद को कम सजा मिले।
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