परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के पचरुखी प्रखंड प्रमुख नसीमा खातून के खिलाफ बृहस्पतिवार को बिन्दुसार पंचायत की चर्चित बीडीसी सदस्य शाहनाज खातून ने अविस्वास प्रस्ताव लगा दिया। उधर नसीमा के खिलाफ आये अविस्वास प्रस्ताव के मद्देनजर गंवई राजनीती में उमस भरी गर्मी के बावजूद चहलकदमी और बढ़ गई है। विरोधी गुट के लोग नसीमा को पटखनी देने में बारीकी पूर्वक कई विधि अपना रहे है। बतादें की अविस्वास प्रस्ताव दस बीडीसी के समर्थन वाला आवेदन पत्र बीडीओ डॉ. इस्माइल अंसारी को सौंपा दिया गया है। उन्होंने आवेदन में प्रखंड प्रमुख की अनियमितताओं को दर्शाते हुए इन बिन्दुओं पर बैठक में चर्चा करने की बात कही। इधर अविस्ताव प्रस्ताव आते ही बीडीओ द्वारा अगली कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बतादें की बीडीओ के द्वारा एक तिथि निर्धारित की जाएगी। इस दिन सभी बीडीसी बहस कर अपना विश्वास मत देंगे। इसके बाद फिर से प्रमुख चयनित किया जाएगा। बता दें कि प्रखंड में कुल 25 बीडीसी सदस्यों की सीट निर्धारित है। इसमें अविस्वास प्रस्ताव लाने के लिए केवल नौ बीडीसी की आवश्यकता थी। लेकिन बीडीसी शाहनाज खातून ने बिन्दुसार की बीडीसी कुन्ती देवी, पचरुखी पंचायत की शोभा देवी, भरतपुरा के अब्दुल कादिर, महुआरी की मालती देवी, उखई की रिंकु देवी, तरवारा की सुनीता देवी, शम्भोपुर की पूनम देवी, सरौती जयमाला देवी तथा तरवारा की बिदान्ती देवी के हस्ताक्षर वाला अविस्वास प्रस्ताव का आवेदन पत्र बीडीओ को सौंप दिया। इधर अविस्वास प्रस्ताव लगते ही पचरुखी प्रखंड इलाके में गंवई राजनिति तेज हो गई है।
बतादें की पुरे जिले से सबसे अधिक मतों से जीत कर आई नसीमा को प्रखंड प्रमुख बनने का मौक़ा मिला था। लेकिन अब मझधार में फंसे नसीमा की नाव को कौन सा मांझी पार घाट लगाता है यह तो गर्भ की बात है। वैसे दोनों गुट अपने-अपने दावा के अनुसार मझधार में फंसे नाव को किनारे तक पहुँचाने का दावा पेश कर रहे है। लेकिन इलाका में हो रही चर्चा कुछ और बयां कर रहा है। चर्चाओं पर गौर करें तो नसीमा की खिसकी हुई कुर्सी को बचाना और अंदर ही अंदर हो रहे भितरघात को समझना बहुत ही मुश्किल की बात है। यहाँ बताते चलें की प्रखंड प्रमुख नसीमा खातुन के पति मो.अली हुसैन जो जिले के चर्चित राजद कार्यकर्ता है तथा फिलहाल जेल से छुट कर आये है।मो.अली हुसैन जो बड़हरिया के पूर्व बीडीओ राजीव कुमार सिन्हा के साथ मारपीट करने के आरोप में एक माह से अधिक दिन सीवान मंडल कारा में बंद थे। ग्रामीण सूत्रों की मानें तो जब वे बीडीओ प्रकरण मामले में जेल चले गए उसी समय विरोधी गुट के लोग अविस्वास प्रस्ताव की रणनीति बनाना शुरू कर दी थी। सूत्र ये भी बता रहे है की अविस्वास प्रस्ताव लाने में सबसे अहम भूमिका प्रमुख के अपनों ने ही निभाया है।अगर प्रमुख के साथ हुए भीतरघात पर नजर डाले तो उनपर एक पंक्तियाँ सटीक बैठ रही है की “कुल्हाड़ी में लकड़ी का जस्ता न होता तो लकड़ी का कटने का रास्ता न होता “। बहरहाल चाहे जो हो अब देखना है की आने वाला समय क्या गुल खिलाता है ?
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