परवेज अख्तर/सिवान:- जिले के हसनपुरा प्रखंड के सुरुहुरीडीह में गुरुवार को बिजली विभाग ने त्वरित संज्ञान में लेते हुये 63 केवीए का नया ट्रांसफार्मर लगा दिया गया. ट्रांसफार्मर को लगाये जाने के पश्चात लोगों में काफी प्रसन्नता है. बिते दिनों ट्रांसफार्मर जल जाने के करण उपभोक्ताओं ने बिते मंगलवार को बिजली विभाग के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था. ट्रांसफार्मर जलने के कारण लोग भीषण गर्मी में काफी परेशान थे. हर्ष ब्यक्त करने वालों में धर्मेंद्र यादव, जगलाल यादव, देवचंद यादव, संजय राम, पप्पू राम, दीपू यादव, रामानंद यादव, पप्पू राम, भीम कुमार, अमित कुमार, अनिल बैठा, विद्या यादव, उमेश शाह तथा उमेश यादव आदि शामिल रहे.
बुआ के लड़के के साथ सरयू नदी में स्नान करने गये युवक की डूबने से हुई मौत
शव मिलने के बाद परिजनों में मचा कोहराम, रो-रोकर बुरा हाल
परवेज अख्तर/दरौली(सिवान):- बुआ के देवरानी की बरखी के दिन बुआ के लड़के के साथ सरयू नदी में नहाने के क्रम में नदी में लापता युवक का शव गुरुवार को घटनास्थल पर मिला. सूचना पर पहुंचे स्थानीय मुखिया, सीओ व थानाध्यक्ष ने शव को गोताखोर व मछुआरे के सहयोग से बाहर निकाल पोस्टमार्टम के लिए भेजवाया. मृत युवक रघुनाथपुर थाना क्षेत्र के उगो कुशहरा गांव निवासी है. वह अपनी बुआ के गांव नेतवार आया था. जहां से बुआ के लड़के साथ दरौली के पंच मंदिरा घाट सरयू नदी में स्नान करने के क्रम में नदी में लापता हो गया था. युवक का शव मिलने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था.
बतादें कि रघुनाथपुर थाना क्षेत्र के उगो कुशहरा गांव निवासी रविंद्र ठाकुर की बहन की शादी नेतवार गांव में हुयी थी. बुधवार को उसकी बहन के देवरानी जिवती देवी की बरखी थी. जिसे ले रविंद्र का पुत्र अमित कुमार (22) नेतवार पहुंचा था. अहले सुबह में अपनी बुआ के लड़के संतोष ठाकुर के साथ अमित बाइक से दरौली सरयू नदी के पंच मंदिरा घाट पहुंचा. बरखी को ले वह बुआ के लड़के को स्नान कराने के लिए सरयू नदी पर पहुंचा था. जहां बुआ के लड़के को स्नान करता देख वह भी नदी में स्नान को उतर गया. स्नान करते-करते वह गहरे पानी में चला गया. जहां नदी की धारा तेज थी. देखते ही देखते अमित नदी की तेज धारा में फंस कर अचानक लापता हो गया.
यह देख बुआ के लड़के ने पहले बचाने का प्रयास किया. असफल होने के बाद वह शोर मचाने लगा. उसकी आवाज सुन अगल-बगल से लोग एकत्रित हो गये. इसके बाद अमित की खोजबीन शुरू की गई परंतु उसका कही अता-पता नहीं चला. परिजन अनहोनी की आशंका सहमें हुये थे. इधर गुरुवार की सुबह नदी किनारे टहलने गये दो मजदूरों ने शव को पानी में तैरता देख इसकी सूचना मुखिया लाल बहादुर को दी. इसके बाद गोताखोर बलेश्वर साहनी व भोला साहनी ने नाव के माध्यम से युवक के शव को नदी से बाहर निकाला. इसके बाद परिजनों को सूचना दी. शव मिलने की सूचना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. सूचना पर सीओ आंनद कुमार गुप्ता एवं थानाध्यक्ष संजीव कुमार भी मौके पर पहुंचे. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सीवान भेज दिया. इधर परिजनों की चीख-पुकार से वातावरण शोकाकुल हो गया था.
‘सहयोगी’ ने वंचित 150 लोगों को दिया एक माह का राशन
- सामाजिक दूरियों को अपनाते हुए राशन का किया गया वितरण
- विधवा, दिव्यांग एवं वृद्ध को दिया गया राशन
पटना : कोरोना संक्रमण का कहर विश्व के साथ देश में भी तेजी से फ़ैल रहा है. इससे बचाव के लिए लगभग समूचे विश्व में ही लॉकडाउन किया गया है. इस संक्रमण प्रसार के चेन को सिर्फ अनुशासित लॉकडाउन से ही तोड़ा जा सकता है. इस लिहाज से सरकार के लिए लॉकडाउन लागू करना अनिवार्य हो गया था.लॉकडाउन समाप्त होने के उपरांत भी सभी लोग अपने लिए आमदनी सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं. ऐसे में समाज में उनलोगों को ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है जो काम पर वापस नहीं जा सके हैं या अकेले या शारीरिक रुप से असमर्थ हैं. इसके मद्देनजर सहयोगी संस्था ने दानापुर प्रखंड के तक़रीबन 10 गाँव में चिन्हित कर एक माह का राशन दिया है
150 लोगों को 1 माह का राशन
सहयोगी की कार्यपालक निदेशक रजनी ने बताया देश के साथ बिहार भी कोरोना का दंश झेल रहा है. इस संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन भी किया गया, जो संक्रमण की रोकथाम के लिए कहीं न कहीं जरुरी भी था. लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से बहुत सारे मजदूरों एवं दिहाड़ी पर कार्य करने वाले लोगों को भी कार्य मिलना बंद हो गया. वे संक्रमण एवं भूख दोनों तरह की चुनैतियों से जूझ रहे थे. लॉक डाउन खुलने के बावजूद वंचित समुदायों में कई ऐसे लोग थे जीने समस्या का सामना करना पर रहा था. ऐसे में सहयोगी ने अपने कार्यक्षेत्र जो की दानापुर प्रखंड के चिन्हित गाँव है में राशन का वितरण किया. राशन बांटते समय भी सहयोगी के कर्मियों के द्वारा शारीरिक दूरी का उचित अनुपालन किया जा रहा है. जिसमें वितरण करने वाले मास्क का भी प्रयोग कर रहे हैं एवं शारीरिक दूरी का अनुपालन करते हुए राशन वितरण किया गया.
इसके साथ ही लोगों को यह भी बताया गया कि अभी भी मास्क पहनना और शारीरिक दूरी का अनुपालन अब भी आनिवार्य है क्योंकि अभी कोरोना ख़त्म नहीं हुआ है. लापरवाही से यह पुनः बढ़ सकता है. राशन की पैकेट ने रोज इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण चीजों को शामिल किया गया ताकि उनकी मांग पूरी हो जाए. जिसमें आटा- 5 किलोग्राम, चावल- 10 किलोग्राम, सरसो का तेल-1 किलोग्राम, दाल- 1 किलोग्राम, आलू- 1 किलोग्राम, नमक- 1 किलोग्राम, मिर्चा पाउडर, हल्दी पाउडर, सेनेटरी पैड एवं नहाने एवं कपड़े साफ़ करने के लिए साबुन.
सहयोगी के एडवोकेसी कोऑर्डिनेटर धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि इसके अलावा सहयोगी लगातार लोगों के साथ बात कर जागरूक कर रही है कि लॉक डाउन में ढील देने के बावजूद बिना वजह बाहर जाना सुरक्षित नहीं है और अगर बाहर काम पर जा रहे हैं तो मास्क जरुर पहने. मास्क ही ढाल है. इसके साथ लोगों को पोषण पर भी ध्यान देने के लिए बता रहे हैं क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना जरुरी है.
सहयोगी के सामाजिक संगठनकर्ता लाजवंती ने कहा कि लॉक डाउन में महिलाओं को ही सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा है क्योंकि वो न तो बाहर जा सकती थीं और न ही उनकी जरूरते परिवार में प्राथमिकता होती है. सबसे ज्यादा समस्या माहवारी स्वस्थ्य प्रबंधन को लेकर हुआ है साथ ही महिलाओं के साथ हिंसा भी बढ़ी है जिसपर हम आगे कार्य कर रहे हैं.
कोरोना संकटकाल में 643 महिलाओं का हुआ संस्थागत प्रसव
- स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं को मिल रहे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं
- जननी सुरक्षा योजना के तहत निशुल्क एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध
- संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्पर
छपरा : वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुहैया कराई जा रही है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत संकल्पित है। जिले के सदर अस्पताल में कोरोनासंकट काल के बीच 25 मार्च से 31 मई तक 643 महिलाओं ने का संस्थागत प्रसव हुआ है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं तथा स्वास्थ्य केंद्रों में विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाने वह अस्पताल से ले जाने के लिए नि: शुल्क एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध है। शिशु रोग विशेषज्ञ जच्चा और बच्चा दोनों के देखभाल के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के साथ ही प्रसूताओं को नवजात को स्तनपान जरुर कराने के लिए प्रेरित भी कर रहे है। ताकि नवजात शिशु के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक विकसित हो सके।
जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत
सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया जन्म के 1 घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराया जा रहा है। साथ ही 6 माह तक बच्चे को सिर्फ स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। माँ का दूध शिशु को कई तरह के संक्रमण से बचाव करता है । माँ के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए माताओं को सुरक्षित तरीके से स्तनपान कराने एवं बच्चों की देखभाल करने की भी हिदायत दी जा रही है.
दी जाती है प्रोत्साहन राशि
संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के मकसद से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जननी सुरक्षा योजना कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की महिला को संस्थागत प्रसव कराने के एवज में 1400 रूपये एवं आशा को 600 रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. वहीं शहरी महिलाओं को संस्थागत प्रसव पर 1000 रूपये एवं आशा को 200 रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का प्रावधान है.
इन बातों का रखें ध्यान
- शिशु को स्तनपान कराने के दौरान सांस संबंधित हाईजीन के नियमों का पालन करें. यदि माता को सर्दी या खांसी जैसे कोई भी लक्षण हो तो शिशु को स्तनपान कराने के दौरान मास्क का इस्तेमाल करें
- नवजात शिशु को छूने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं. यह नियमित रूप से हर बार करें
- बच्चे को लेकर घर या अस्पताल में जिन भी जगहों पर आप जा रहे हैं, वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
कहीं आपके खाद्य पदार्थों के साथ कोरोना तो घर नहीं आ रहा, रहें सतर्क
- एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों से संक्रमण प्रसार की संभावना पर दी जानकारी
- खाद्य पदार्थों की खरीदारी के समय भी सतर्क रहने की जरूरत
- डिलीवरी प्लेटफार्म से मंगाए गए फ़ूड पैकेट से भी फ़ैल सकता है संक्रमण
- खाना बनाने के दौरान भी संक्रमण से बचाव है जरुरी
छपरा: कोरोना संक्रमण के मामलों को रोकने के लिए अभी तक कोई सटीक उपचार उपलब्ध नहीं हो सका है. लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को जरुरी सावधानी बरतकर रोका जा सकता है. इस दिशा में सरकारी संस्थानों के अन्य सहयोगी संस्थाएं भी निरंतर कार्य कर रही है ताकि देश में कोरोना संक्रमण को सामुदायिक प्रसार में तब्दील होने से बचाया जा सका. इसको लेकर एफएसएसएआई( फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) ने फ़ूड हाइजीन एवं उपभोक्ताओं में कोरोना प्रसार को रोकने के लिए सुरक्षा एवं पोषण गाइडलाइन्स जारी की है. जिसमें खाद्य पदार्थों की खरीदारी, डिलीवरी पॉइंट्स से खाना आर्डर करने, खाद्य पदार्थों की साफ़-सफ़ाई सहित खाना बनाने के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव की विस्तार में जानकारी दी गयी है.
खाद्य पदार्थों की खरीदारी के समय रहें सतर्क
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकारी प्रयासों के इतर आम लोगों को दैनिक खाद्य पदार्थों की खरीदारी के दौरान सतर्क रहने की सलाह एफएसएसएआई ने दी है. इसके लिए खाद्य पदार्थों की खीरदारी के वक्त सावधान रहने की बात बताई गयी है. ग्रोसरी या किराना स्टोर में जाने से पूर्व मास्क एवं ग्लोब्स के इस्तेमाल करने, भीड़-भाड़ वाले स्टोर में जाने से बचने, ऑनलाइन पेमेंट करने, स्टोर में अन्य लोगों से सामाजिक दूरी बनाने, स्टोर में जाने के लिए अलग से कपड़ों के इस्तेमाल करने जैसी सावधानियाँ बरतकर संक्रमण से बचा जा सकता है. वहीं स्टोर में अन्दर भी कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखने की जरूरत पर जानकारी दी गयी है. यह बताया गया है कि स्टोर में जाने के बाद उन्हीं चीजों को छुए जिन्हें खरीदना हो, स्टोर के अंदर काउंटर या कॉमन छुए जाने वाली चीजों को स्पर्श नहीं करें, अपनी आँख, मुँह एवं नाक को स्टोर के भीतर नहीं छुएं. घर पहुंचने के बाद अपने जूते,कपडे एवं खीरदारी वाली बैग को अलग कर रखें. साथ ही इसके बाद हाथों को अच्च्गी तरह साफ़ करें एवं मोबाइल को भी सैनिटाइज्ड करें.
खाद्य पदार्थों की सफाई भी है जरुरी
बाजार से खरीदे गए फल, सब्जियां, पैक्ड मिल्क, मिट एवं अंडे एवं अन्य खाद्य पदार्थों की सफाई करना जरुरी है. फल एवं सब्जियों को गुनगुने पानी से अच्छी तरह साफ़ करें या पानी में 50 पीपीएम क्लोरीन मिलाकर इसे साफ़ करें. कभी भी फल एवं सब्जी को डिसइन्फेकटेंट्स से, क्लीनिंग वाइप या साबुन से साफ़ नहीं करें. सैनिटाइजर का भी उपयोग फल एवं सब्जी को साफ़ करने के लिए कभी नहीं करें. पैक्ड दूध को घर लाने के बाद पैकेट को अच्छी तरह पानी से धोएं. तुरंत पैकेट को नहीं काटें बल्कि पैकेट सूखने के बाद ही दूध बाहर निकालें. मिट या अंडे को फल एवं सब्जियों के साफ़ करने के बाद ही करें. बहते हुए नल के पानी से मिट को अच्छी तरह साफ़ करें. जरूरत से अधिक अंडों की खरीदारी नहीं करें.
डिलीवरी प्लेटफार्म से खाना आर्डर करने में भी बरतें सावधानी
डिलीवरी बॉय जब खाना आपके यहाँ पहुँचाने आये तब उससे दूरी बनाकर ही खाना लें. कोशिश करने खाने का पेमेंट ऑनलाइन किया जा सके. फ़ूड पैकेट लेने के बाद इसे तुरंत इस्तेमाल करने की जगह किसी खाली जगह पर इसे कुछ देर के लिए रखें. पैकेट खोलने के बाद कवर को डस्टबिन में डालें. इसके बाद हाथों की साबुन या अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर से साफ़ करें.
खाना बनाते समय भी संक्रमण फैलने का हो सकता है खतरा
खाना बनाते समय अधिक स्वच्छता का ध्यान रखने की जरूरत बताई गयी है. गाइडलाइन्स के अनुसार इन बातों का ख्याल रखने की सलाह दी गयी है:
- किसी को यदि फ्लू के लक्षण हो तो वह खाना नहीं बनायें
- बर्तन एवं चाकू की अच्छी तरह से सफाई करें
- पके हुए खाने को अच्छी तरह ढक कर रखें
- खाना बनाने से पूर्व हाथों को साबुन या अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर से साफ़ करें. खाना खाने से पहले भी हाथों की अच्च्गी तरह से सफाई करना जरुरी है
- खाने के स्वाद को चेक करने के लिए खाने में अपनी उँगलियाँ नहीं डालें
बेहतर इलाज की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा बाहर, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में शुरू हुई मरीजों की उपचार
- अब मरीजों को शहर के बजाय गांव में मिलेगी बेहतर इलाज
- जिले में संचालित 45 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर
छपरा: बेहतर इलाज की तलाश में लोगों को अपने गाँव से दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच जिले में संचालित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर फिर से मरीजों की इलाज शुरू कर दी गयी है। यहां पर चिकित्सकों व एएनएम की तैनाती कर दी गयी है। अब मरीजों को इलाज के लिए सदर अस्पताल या गांव से दूर जाने के बजाय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जायेगी। यहाँ मरीजों के लिए जरूरी परामर्श, विभिन्न तरह की जांच व दवाएं भी उपलब्ध होंगी। जिससे मरीजों को भटकना न पड़े और उन्हें एक ही जगह पर सभी सुविधाएं मिल जाए। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है।
जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम समन्वयक रमेश चंद्र प्रसाद ने बताया हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। जो प्रशिक्षण नहीं लिये उन्हें ऑनलाईन प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
नि:शुल्क दवाओं के साथ बेहतर उपचार की सुविधा
जन आरोग्य प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत सुदूर ग्रामीण इलाके में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से गंभीर व असाध्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना इसका मुख्य उद्देश्य है। इसके माध्यम से ब्लड प्रेशर, शुगर तथा कैंसर के मरीजों की समय-समय पर जांच कर उन्हें आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें बेहतर इलाज के लिए उच्च चिकित्सा संस्थानों में रेफर किया जाएगा। कैंसर, शुगर तथा ब्लड प्रेशर के मरीजों की पहचान हो जाने के बाद उन्हें नियमित रूप से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से ही दवाएं दी जा रही है।
गैर संचारी रोग व कैंसर पीड़ित मरीजों की स्क्रीनिंग
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया जिले में 45 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर संचालित है। कुछ जगहों पर पर उपचार शुरू हो चुका है। बाकी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर भी मरीजों का इलाज शुरू करने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया गया है। उन्होने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर शरीर का अधिक वजन, मोटापा, हृदय रोग की बीमारियां और मधुमेह, कैंसर, सांस की बीमारियों और मानसिक बीमारियों से ग्रसित मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है। लोगों को कैंसर, ओरल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, हाइपरटेंशन व डायबिटीज जैसी बीमारियों का इलाज की सुविधा मिल रही है। इसके लिए आशा घर-घर जाकर लोगों को चिन्हित करके उनका डाटा जुटा रहीं है । इस जानकारी को अपडेट करने के लिए एक फार्मेट तैयार किया गया है। जिसको सीबैक फार्म के नाम से जाना जाता है। क्षेत्र में गैर संचारी रोग के मरीजों की पूरी जानकारी सीबैक फार्म के माध्यम से भर कर उसको अपनी एएनएम के पास जमा करती है। एएनएम और सीएचओ उसको अपने टैबलेट में अपलोड करेंगे। उसके बाद उनका उपचार किया जायेगा।
आशा बनाती है फेमिली हेल्थ फोल्डर
समुदाय स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के पोषक क्षेत्र के सभी लोगों का सर्वेक्षण किया जाता है। सभी परिवारों के लिए फेमिली हेल्थ फोल्डर विकसित किया जा रहा है, जिसमें 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी स्त्री-पुरुष का सीबैक (कम्युनिटी बेस्ड असेसमेंट चेकलिस्ट) फार्म के जरिए गैर संचारी रोगों हेतु रिस्क असेसमेंट किया जा रहा है।
तरवारा में आर्केस्ट्रा कराने पर प्राथमिकी दर्ज, छानबीन शुरू
बहन की शादी के दिन रखाई के उपलक्ष में करवा रहा था ऑर्केस्ट्रा का आयोजन
परवेज अख्तर/सिवान:- जिले के जी. बी. नगर तरवारा थाना क्षेत्र के रौजा गौर गांव निवासी सोनू महतो की बहन के दिन रखाई के उपलक्ष में ऑर्केस्ट्रा का आयोजन कराना महंगा पड़ गया। जी. बी. नगर थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर प्रमोद सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कर परिजनों को अपने हिरासत में लेकर पूछताछ कर रहे हैं। यहां बताते चलें कि माधोपुर पंचायत में किरोना से संक्रमित दो मरीज पाए गए हैं। जो अभी इलाजरत हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर पंचायत तथा उसके 3 किलोमीटर की परिधि को रेड जोन घोषित किया गया है।
इसके बावजूद भी रौजा गौर गांव निवासी सोनू महतो की बहन की शादी के दिन रखाई के उपलक्ष में बड़ी धूमधाम से वे अपने दरवाजे पर आर्केस्ट्रा का संचालन करवा रहा था कि इसी बीच जी. बी. नगर थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह को सूचना मिली कि उक्त व्यक्ति द्वारा लॉक डाउन का उल्लंघन करते हुए ऑर्केस्ट्रा का आयोजन करवा रहा है तो पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ऑर्केस्ट्रा का आयोजन करवाने वाले परिजनों को हिरासत में ले लिया तथा उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी।
कोरोना को मात देने वाले लोग स्नेह के हैं हक़दार, भेदभाव अधूरी जानकारी की पहचान
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बचाव की दी जानकारी
- होगी 6 फीट की दूरी, तभी कोरोना से बचाव होगी पूरी
- तंबाकू सेवन से करें परहेज, रहें स्वस्थ
सिवान: कोरोना संक्रमण के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन में फ़िलहाल तो कुछ छूट दी गयी है एवं अनलॉक 1.0 को देशभर में लागू कर दिया गया है। लेकिन अभी भी कोरोना संक्रमण के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी ही देखी जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने विडियो जारी कर अनलॉक 1.0 के दौरान कोरोना से बचाव की उपायों की जानकारी दी है। साथ ही कोरोना से ग्रसित लोग, कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोग एवं कोरोना पीडतों की देखभाल में जुटे चिकित्सक या अन्य कर्मियों के खिलाफ़ हो रहे भेदभाव के विषय में भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है। कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों के प्रति भेदभाव समुदाय में सही जानकारी के आभाव को दर्शाता है। बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जो ठीक होने के बाद कोरोना पीड़ितों के उपचार के लिए प्लाज्मा डोनेट भी कर रहे हैं। इसलिए वे भेदभाव नहीं बल्कि स्नेह के हक़दार हैं।
कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोगों से नहीं करें भेदभाव
‘‘जब से कोरोना से ठीक होकर अस्पताल से लौटी हूँ. पड़ोसी मेरे साथ कुछ अजीब ही व्यवहार कर रहे हैं. घर वालों के पास भी कोई विकल्प नहीं है. सभी घर में ही कैद रहने को मजबूर हैं’’
‘‘मैं अब बिलकुल ठीक हो चुकी हूँ. लेकिन घर वापस लौटने के बाद यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है. आस-पास के लोग तो मुझे पानी भी भरने नहीं देते. यह भेदभाव ठीक नहीं है’’
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना को मात देकर घर लौटी कुछ महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव पर उनकी बातों को विडियो के माध्यम से साझा किया है। साथ ही एम्स दिल्ली के निदेशक एवं चिकित्सकों ने भी इस पर अपनी राय भी रखी है।एम्स. दिल्ली, के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कोरोना भी एक आम वायरल रोग है। यद्यपि बाकी वायरल रोगों की तुलना में इसका प्रसार तेज है। बहुत सारे कोरोना के ऐसे भी मरीज हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं है एवं वे आसानी से ठीक भी हो रहे हैं। लेकिन ठीक होने के बाद लोग उनसे दूर भागने लगते हैं एवं उन्हें सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो वैज्ञानिक रूप से बिलकुल गलत है। ठीक हुए मरीजों से कोरोना का संक्रमण दूसरे लोगों में नहीं फ़ैलता है। उन्होंने बताया भेदभाव के ही कारण बहुत सारे लोग पीड़ित होकर भी जाँच के लिए सामने नहीं आते हैं। इससे उनकी जान को खतरा है।
एम्स. दिल्ली, के मनोचिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कौशल सिन्हा देव बताते हैं, कोरोना ने लोगों को डरा दिया है। इस डर के कारण लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। लोगों को लगता है कि जो भी लोग कोरोना से लड़ रहे हैं या जो लोग कोरोना को हराकर ठीक हो चुके हैं उनसे दूरी बनाकर कोरोना संक्रमण से बचाव संभव है। लेकिन सत्य यह है कि लोगों से भेदभाव करके एवं कोरोना की जंग में शामिल लोगों पर ऊँगली उठाकर इस महामारी से बचा नहीं जा सकता है।
इन बातों का रखें विशेष ख्याल
- सार्वजानिक स्थानों पर लोगों से 6 फीट की दूरी बनायें
- घर में बने पुनः उपयोग किये जाने वाले मास्क का प्रयोग करें
- अपनी आँख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें
- हाथों की नियमित रूप से साबुन एवं पानी से अच्छी तरफ साफ़ करें या आल्कोहल आधारित हैण्ड सैनिटाईजर का इस्तेमाल करें
- तंबाकू, खैनी आदि का प्रयोग नहीं करें, ना ही सार्वजानिक स्थानों पर थूकें
- अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली सतहों की नियमित सफाई कर इसे कीटाणु रहित करें
- अनावश्यक यात्रा न करें
- यदि सामाजिक समारोह स्थगित नहीं किया जा सकता, तो मेहमानों की संख्या कम से कम रखें
- कोविड-19 पर जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क करें
युवक ने कार्रवाई नहीं करने पर एसपी से लगायी गुहार
परवेज अख्तर/सीवान :- महादेवा ओपी क्षेत्र पकड़ी बंगली में 2 जून को एक युवक को मारपीट कर घायल कर देने के मामले में ओपी प्रभारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर घायल युवक राजा कुमार गोंड की मां लिलावती देवी ने एसपी को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। लिलावती देवी ने बताया कि 2 जून को अपने दरवाजे पर अपने पुत्र के साथ बैठी थी। तभी पकड़ी बंगाली व बिंदुसार बुजुर्ग के सात से आठ युवक आए और मेरे पुत्र हॉकी से मारने लगे। मैं बीच बचाव करती रही लेकिन वे नहीं माने और धक्का देकर मेरे बेटे की गर्दन की सिकड़ी लेकर भाग गए। घायल पुत्र को सदर अस्पताल में इलाज कराया। अगले दिन घटना की लिखित शिकायत महादेवा ओपी को दे दी। लेकिन महादेवा ओपी के द्वारा को कार्रवाई नहीं की गई।
जंक्शन पर यात्रियों की संख्या सैकड़ों में सिमटी, चार ट्रेनों से 251 ने किया सफर
परवेज अख्तर/सीवान :- गोरखपुर-सिवान रेलखंड पर सबसे ज्यादा आमदनी वाले सिवान जंक्शन को कोरोना ने काफी प्रभावित किया। 25 मार्च के पहले जहां रोजाना जंक्शन से हजारों लोग विभिन्न स्टेशनों के लिए यात्रा करते थे आज वहीं आंकड़ा सैकड़ों में सिमट कर रह गया है। 1 जून से अनलॉक के तहत विशेष ट्रेनों के परिचालन के बावजूद यात्रा करने वालों की संख्या में कोई खासा इजाफा नहीं हुआ है। प्रतिदिन अप व डाउन लाइन की ट्रेनों से यात्रा करने वालों की संख्या 250 से अधिक नहीं हो रही है। मंगलवार को भी कमोबेश यात्रियों की संख्या इसी के आसपास रही। जंक्शन पर मंगलवार को अप व डाउन लाइन पर चार ट्रेनों का ठहराव हुआ। इसमें 251 यात्रियों ने सफर तय किया। जानकारी के अनुसार 02553 से 40 यात्री, 02554 से 15, 02565 से 106, 02566 से 10 से यात्री सफर किये। जबकि 02553 से 15 यात्री, 02554 से 220, 02565 से 15, 02566 से 182, से यात्री उतरे।