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Thursday, June 19, 2025
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सिवान के सिसवन में पोखरा में डूबने से दो सगे भाइयों की मौत

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परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के सिसवन थाना क्षेत्र के कचनार पंचायत के कचनार गांव के पोखरा मे डुबने से दो सगे भाईयों की मौत हो गई।मृत दोनों कचनार गांव निवासी सुनील बैठा के पुत्र 10 वर्षीय प्रियांशु बैठा एवं 8 वर्षीय किटू बैठा हैं। मिली जानकारी के अनुसार दोनों अपने साथी के साथ गुरुवार की दोपहर शौच के लिए गए थे तभी अचानक दोनों का पैर पोखरा मे फिसल गया जिसके बाद दोनों डुबने लगे।दोनों को डुबता देख उसका साथी चिल्लाते हुए घर आया एवं उनके स्वजनों को जानकारी दी।

जिसके बाद उसके स्वजन एवं अन्य ग्रामीण पोखरा मे दोनों बच्चों के शव को ढुंढने लगे।करीब दो घंटे मशक्कत करने के बाद शव मिला।दोनों मृतक के स्वजनों का रो रो कर बुरा हाल है।मृत बच्चों की मां चंदा देवी रोते रोते बेहोश हो जा रही थी।वे बार बार यही कह रही थी कि अब मेरा सहारा कौन बनेगा।

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मासिक धर्म के अपशिष्ट का प्रबंधन है जरुरी

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  • पटना नगर निगम, एचसीसीबी और यूएनडीपी ने किया मासिक धर्म अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पहल
  • कोरोना के संक्रमण के फैलाव को रोकने में मिलेगी मदद

पटना: कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई कदम उठाये जा रहे हैं. सरकारी तंत्र के साथ गैर सरकारी सामाजिक संस्थान भी इस कार्य में अपना योगदान दे रहे है. महिलाओं के लिए हर महीने होने वाला मासिक धर्म एक प्राकृतिक चक्र है और भारत में लगभग 353 मिलियन महिलाएं और किशोरियां अपने मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी उत्पादों का प्रयोग करतीं हैं. एक सर्वेक्षण के अनुसार एक अकेली महिला अपने मासिक धर्म के काल में 125 किलोग्राम तक अपशिष्ट उत्पन्न कर सकती है जो बायोडीग्रेडएबल नहीं होता है. एक सेनेटरी पैड को स्वतः सड़ने में 500 से 800 साल लग सकते हैं. इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरा होना स्वाभाविक है और कोरोना के समय में इसका समुचित प्रबंधन करना जरुरी है ताकि संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके.
पटना म्यूनिसिपल कमिश्नर हिमांशु शर्मा, उपनगर आयुक्त शीला ईरानी और अरविन्द कुमार, कार्यक्रम पदाधिकारी- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, यूएनडीपी ने पटना नगर निगम और एचसीसीबी के साथ मिलकर “ रेड वेस्ट अभियान” लांच किया है. इसका उद्देश्य स्वच्छता अपशिष्ट प्रबंधन पर समुदाय को संवेदनशील बनाना है. रेडवेस्ट अभियान के तहत पीएमसी, एचसीसीबी- यूएनडीपी अगले आठ महीनों के लिए समुदाय में व्यापक व्यवहार परिवर्तन लाने के क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों को विनियमित करेगी.

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रेडवेस्ट के प्रबंधन के लिए उठाये जा रहे हैं कदम

महामारी के कारण माहवारी नहीं रूकती है और इससे जनित अपशिष्ट का प्रबंधन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से अनिवार्य है. एसडबयू रूल्स 2016 के मुताबिक गंदे नैपकिन, डायपर, कंडोम, टैम्पोन और खून से सने कचरे को घरेलु कचरा माना जाता है और इसे बायोडीग्रेडएबल और गैर बायोडीग्रेडएबल घटकों में अलग कर इसका निपटारा किया जाता है. स्वास्थ्य, शिक्षा, एसआरएचआर,डबयूएएसएच और लिंग सहित सभी क्षेत्रों में आपातकालीन प्रतिक्रिया हस्तक्षेप और नीतियों में मासिकधर्म स्वास्थ्य और स्वास्थ्य को शामिल करना महत्वपूर्ण है.

“ रेड वेस्ट अभियान” के दौरान पीएमसी, एचसीसीबी- यूएनडीपी द्वारा निम्न गतिविधियाँ को करने की योजना है-

  • गीला, सूखा और स्वच्छता अपशिष्ट पर समुदाय को संवेदनशील बनाना
  • घरेलु स्तर पर गीला, सूखा और स्वच्छता अपशिष्ट का अलगाव शुरू करना
  • अलगाव,पुनर्चक्रण और कचरे के पुनः उपयोग के लिए शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता को मजबूत करना
  • स्वच्छता कार्यकर्ताओं और अपशिष्ट बीनने वालों का क्षम्तावार्धन
  • पटना प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र में इसका प्रबंधन
  • स्वच्छता कार्यकर्ताओं और अपशिष्ट बीनने वालों का नियमित स्वास्थ्य जांच

कचरा बीनने वालों की की गयी स्वास्थ्य जांच

मासिकधर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर पीएमसी, एचसीसीबी- यूएनडीपी ने गर्दनीबाग स्थित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र में अपशिष्ट बीनने वालों के लिए स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया, इस शिविर में 31 कचरा बीनने वालों की स्वास्थ्य जांच की गयी और मासिकधर्म स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में उनका उन्मुखीकरण किया गया.

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आरोग्य दिवस पर गर्भवती महिलाओं को मिल रही आयरन व कैल्शियम की गोली

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  • टीकाकरण के साथ-साथ मिल रही है बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं
  • गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोली का सेवन जरूरी

छपरा: वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच मातृ शिशु स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने नियमित टीकाकरण सह आरोग्य दिवस की फिर से शुरू किया है। आरोग्य दिवस पर बच्चों व गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के साथ साथ आयरन व कैल्शियम की गोली भी उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को पूर्ति किया जा सके। आयरन एक जरुरी पोषक तत्व है, जो ऑक्सीजन को पूरे शरीर में पहुंचाने में रक्त कोशिकाओं की मदद करता है। केयर इंडिया के परिवार नियोजन समन्वयक प्रेमा कुमारी ने बताया कि
गर्भावस्था के दौरान आपको शिशु के विकास को सहारा देने के लिए और अधिक आयरन की जरुरत होती है। यदि आपको पर्याप्त आयरन न मिले तो आपके हीमोग्लोबिन का स्तर घट जाएगा और इससे आपको आयरन की कमी यानी एनीमिया हो सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से आरोग्य दिवस व टीकाकरण स्थल पर आने वाले गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली उपलब्ध कराई जा रही है।

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गर्भधारण के 3 माह बाद दी जाती है आयरन व कैल्शियम की गोली

केयर इंडिया के प्रखंड प्रबंधक अमितेश कुमार ने बताया कि गर्भधारण के 3 माह पूरे होने के साथ ही महिलाओं को आयरन व कैल्शियम की गोली दी जाती है। 6 माह तक प्रतिदिन एक एक गोली का सेवन करना होता है। गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से नि:शुल्क 180 आयरन तथा 180 कैल्शियम की गोली उपलब्ध कराई जा रही है। जिस महिला का हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम होता है उसे सुबह शाम आयरन की गोली लेनी होती है। जिसका नॉर्मल होता है उसे सिर्फ एक टाइम आयरन की गोली लेनी होती है.

आशा कर रही आमंत्रित

आरोग्य दिवस पर टीकाकरण के लिए गर्भवती महिलाओं को शिशुओं को आमंत्रित करने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता को दी गयी है। आशा कार्यकर्ता घर जाकर लाभार्थियों को टीकाकरण स्थल पर आने के लिए आमंत्रित करती है तथा समय व स्थान की जानकारी देती है। साथ ही लाभार्थियों व उनके परिजनों को टीकाकरण स्थल पर आते समय मास्क का प्रयोग व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है।

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आयरन की कमी के लक्षण

  1. कमजोरी होना
  2. बहुत ज्यादा थकान होना
  3. सांस लेने में समस्या होना
  4. नाखूनों, आखों या होठों का पीला होना

आयरन की गोली खाते वक्त इन बातों का ध्यान रखें

  • कभी खाली पेट न खाएं
  • गोली को चबा कर न खाएं
  • गोली खाने के साथ एक गिलास पानी जरूर पिएं
  • बीमार होने पर गोली खाना बंद न करें
  • कोई दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क करें

 

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लॉक डाउन में बच्चों का तनाव दूर कर रहीं है अंगबाड़ी सेविका

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  • ईसीसीई गतिविधियों के माध्यम से कर रहीं जागरूक
  • बच्चों के मस्तिष्क में चल रहे भय को जाने

सिवान: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए देश में लॉक डाउन लागू किया गया है। ऐसे समय में स्कूल आंगनबाड़ी सेंटर भी बंद कर दिए गए हैं। बच्चे करीब 2 माह से अपने घर पर ही हैं। बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए आईसीडीएस विभाग की ओर से एक अच्छी पहल की शुरुआत की गई है। बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए आंगनबाड़ी सेविका एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं के द्वारा जागरूक किया जा रहा है। कोविड-19 के कारण दैनिक दिनचर्या में अचानक से व्यवधान आया है एवं सामान्य जीवन शैली की वापसी को लेकर अनिश्चितता बनी हुयी है। ऐसे प्रतिकूल माहौल में लोगों के मन में भय एवं तनाव का आना स्वाभाविक है. इसके कारण बच्चों एवं किशोरों को भी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इन हालातों के मद्देनजर आईसीडीएस भी महामारी के दौरान बच्चों एवं किशोरों की विशेष देखभाल कर रही है.

ईसीसीई गतिविधियों के माध्यम से कर रही तनाव दूर

सिवान सदर प्रखंड के रघुहटा आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 13 के सेविका तनुजा कुमारी ने बताया बच्चों व किशोरों में फैले तनाव को ईसीसीई ( अर्ली चाइल्ड केयर एन्ड एजुकेशन) गतिविधियों के माध्यम से दूर किया जा रहा है. बच्चों को सकारात्मक संदेशों को बताया जा रहा है तथा बच्चों के साथ रोचक खेल भी खेला जा रहा है ताकि बच्चों में तनाव की स्थिति पैदा ना हो सके।

माता-पिता को भी किया जा रहा है जागरूक

आईसीडीएस के डीपीओ नीतू सिंह ने बताया कोरोना संकटकाल में बच्चों द्वारा माता-पिता के ध्यान की अतिरिक्त अपेक्षा एवं अपनी चिंता, भय एवं प्रश्न के संबंध में जानने की इच्छा हो सकती है। इसलिए यह जरुरी है कि बच्चे आशवस्त हो सकें कि कोई उनकी बात सुनने वाला है। इस बात का माता-पिता को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि वे अपने बच्चे एवं किशोर से नियमित तौर पर बात करें एवं उनके प्रश्नों का जवाब भी दें। माता-पिता कोशिश करें कि जानकारी इस प्रकार से दी की जाए कि बच्चे उसे आसानी से समझ सकें। रोचक रूप से वास्तविक जानकारी विस्तार से बच्चों को समझाना चाहिए। साथ ही बच्चों को यह जरुर एहसास दिलाएं कि वे सुरक्षित हैं। इससे बच्चे के दिमाग में चल रहे तनाव में कमी आएगी।

भ्रामक जानकारी से बच्चे को दूर रखें

आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा बच्चों के माता-पिता को यह जानकारी दी जा रही है कि यह संभव है कि बच्चे सोशल मीडिया में फैलाई जा रही जानकारी से डरने लगें। इसलिए यह ध्यान रखें कि बच्चे समाचार या सोशल मीडिया की जगह रोचक कहानी या सीरियल ही देखें। ऐसी परिस्थिति में बच्चे के मन में कोरोना संक्रमितों को लेकर किसी समुदाय विशेष या व्यक्ति के प्रति नफरत की भावना आ सकती है। इसलिए उन्हें समझाएं कि इसके लिए कोई समुदाय विशेष या व्यक्ति ज़िम्मेदार नहीं है। साथ ही बच्चे को यह जरुर समझाएं कि ऐसे वक़्त में तनाव होना एक सामान्य प्रक्रिया है।

बच्चों एवं किशोरों में तनाव को पहचाने

  • छोटे बच्चों का अधिक रोना या चिढ़ना
  • बच्चों का विस्तर पर ही मल-मूत्र का त्याग करने लगाना
  • अत्यधिक चिंता एवं उदासी
  • किशोरों में चिडचिडापन का बढ़ जाना
  • जिन गतिविधियों में बच्चों का मन लगता था उससे दूर भागना
  • किशोरों द्वारा शराब, तम्बाकू या अन्य दवाओं का सेवन करने लगना
  • बच्चों एवं किशोरों में अस्पष्ट सिरदर्द या शरीर में दर्द होना
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बच्चों एवं माताओं को लू के प्रकोप से बचाने के लिए आईसीडीएस करेगा सहयोग

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  • तीन स्तर पर लू प्रबंधन के लिए दिए गए निर्देश
  • कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए किया जाएगा बचाव कार्य
  • होम क्वारंटाइन में रह रहे लोगों को भी किया जाएगा जागरूक

सिवान: गर्मी के महीनों की शुरुआत होते ही हीट स्ट्रोक यानी लू का खतरा बढ़ गया है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने भी स्वास्थ्य चुनौतियाँ बढ़ा रखी है. ऐसे दौर में लोगों के लिए कोरोना संक्रमण के साथ लू से खुद को सुरक्षित रखने के लिए अधिक सतर्क होने की जरूरत है. इस दिशा में आईसीडीएस के निदेशक आलोक कुमार ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को पत्र लिखकर 6 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती माताओं एवं धात्री माताओं को लू के प्रकोप से बचाने के संबंध में विस्तार से दिशानिर्देश दिया है. पत्र में बताया गया है कि पिछले वर्ष में अनियमित वर्षा के कारण राज्य के अधिकांश जिलों के प्रखंडों में सुखाड़ की स्थिति रही है. जिससे इस साल अधिक नमी की संभावना होगी एवं परिणाम स्वरुप गर्म हवाओं/ लू चलने की संभावना अधिक होगी. लू से सतर्क रहने की जरूरत तो सभी को है, लेकिन विशेषकर 6 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं को इससे अधिक खतरा है. इसलिए इन्हें सुरक्षित रखने के लिए परिवार, आंगनबाड़ी केंद्र एवं प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है. साथ ही लू से बचाव के लिए की जाने वाली कार्रवाई के दौरान कोविड-19 के प्रोटोकॉल के पालन करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

परिवार स्तर पर लोगों को सचेत रहने की है जरूरत

पत्र में बताया गया है कि लू से बच्चों को बचाने में परिवार के लोग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर अकते हैं. इसके लिए बच्चों को घर से बाहर निकलने न दें. यदि अति आवश्यक कार्य हो तो बच्चों के मुँह एवं नाक को ठीक प्रकार से मास्क, रुमाल या छोटे गमछे से लपेट कर घर के बड़े लोगों की निगरानी में ही निकलने दें. बच्चों को थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी देते रहें. यथासंभव हो सके तो पानी में ग्लूकोज मिलाकर बच्चों के दें. बच्चों को हल्का भोजन दें. दिन में थोड़े-थोड़े कई बार खाना दें एवं ध्यान रखें कि खाना ताजा हो. लू लग जाने से तौलिया/ गमछा ठन्डे पानी में भिगों कर शरीर को बार-बार पोछें एवं आम का पन्ना, सत्तू का घोल एवं नारियल का पानी दें. ओआरएस का घोल एवं ग्लूकोज का नियमित सेवन करने से लू में बचाव होता है. यदि घर में ओआरएस का घोल नहीं हो तो इसके विकल्प के रूप में नामक एवं चीनी का घोल बनाकर लू/ डायरिया पीड़ित को दें.

आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मिलेगी बचाव की जानकारी

डीपीओ नीतू सिंह ने बताया कि टेकहोम राशन के लिए जब भी महिलाएं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर महिलाएं आये तो सेविका उन्हें लू से बचाव की जानकारी दें. साथ ही गृह भ्रमण के दौरान भी गर्भवती एवं धात्री माताएं को खुद से लू बचने के सलाह दें. साथ ही वे घर पर अपने बच्चों का कैसे बेहतर ध्यान रखकर उन्हें लू से बचा सकती है, इसकी भी जानकारी दें. महिला पर्यवेक्षिकाओं एवं आंगनबाड़ी सेविका द्वारा लू लगने के लक्षण, उसके कुप्रभाव एवं प्राथमिक उपचार के विषय में लोगों को जानकारी देते समय कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन करने की बात कही गयी है. यह बताया गया है कि जानकारी देते समय सामाजिक दूरी का ख्याल रखें या मोबाइल से जानकारी दें.

प्रशासन के स्तर पर भी लू से बचाव को लेकर होगी कार्रवाई

लू पीड़ितों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जिले के स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि प्राथमिकता के आधार पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, अनुमंडलीय अस्पतालों में जरुरत के हिसाब से पीड़ित को भर्ती कराया जा सके. राज्य में आये जिन प्रवासियों को होम क्वारंटाइन किया गया है, उन्हें भी लू के विषय में जागरूक करने की बात कही गयी है. साथ ही राज्य के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में पर्याप्त मात्रा में ओआरएस पाउडर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं.

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गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस : सीबीआई जांच कराए सरकार, बिहार पुलिस पर भरोसा नहीं : तेजस्वी

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Gopalganj triple muder case

गोपालगंज :- गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस के संबंध में तेजस्वी ने कहा है कि वे गोपालगंज में मारपीट करने नहीं जा रहे हैं। वे केवल आरजेडी नेता के परिजनों की हत्या की ही नहीं, बल्कि शंभू मिश्रा और मुन्ना तिवारी की हत्या का भी विरोध कर रहे हैं। सरकार अगर तकरार रोकना चाहती है तो सभी मामलों की सीबीआइ जांच कराए, क्‍योंकि उन्‍हें बिहार पुलिस पर भरोसा नहीं है।

मंत्री दे चुके लॉकडाउन के पालन की नसीहत

इसके पहले बिहार सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी ने तेजस्वी यादव को लॉकडाउन का पालन करने की सलाह दी। उन्‍होंने कहा कि जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। मुख्‍यमंत्री ने कानून-व्यवस्था की मिसाल कायम की है।

मर्डर केस आरोपित विधायक ने तेजस्‍वी यादव पर कसा तंज

उधर, आरोपित जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय ने अपनी सफाई में कहा कि वे अपराधी नहीं, जनता का सेवक हैं। उन्‍होंने घटना में संलिप्‍तता से इन्‍कार किया है। विधायक ने तेजस्‍वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि वे व उनका परिवार खुद तो घाेटालों में फंसे हुए हैं और चले हैं मुझपर आरोप लगाने।

क्या है गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस

रविवार को गोपालगंज के हथुआ थाना क्षेत्र के रुपनचक गांव में आरजेडी नेता जेपी यादव अपने घर में स्‍वजनों के साथ थे। इसी बीच बाइक सवार अपराधियों ने पूरे परिवार पर अंधाधुंध गोलीबारीकर आरजेडी नेता के माता-पिता की हत्‍या कर दी।

बुरी तरह घायल आरजेडी नेता व उनके भाई अस्‍पताल ले जाए गए, जहां भाई की भी मौत हो गई। आरजेडी नेता का इलाज पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल में जारी है।

घायल आरजेडी नेता ने घटना में जेडीयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय तथा मुकेश पांडेय व सतीश पांडेय की संलिप्‍तता बतायी। उनके खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज की गई है, लेकिन जेडीयू विधायक को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

घटना के दो दिनों बाद मंगलवार को बाइक पर सवार तीन अपराधियों ने जेडीयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय के एक रिश्‍तेदार मुन्ना तिवारी (Munna Tiwari ) की भी हत्‍या कर दी।

गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस में आरोपित विधायक के रिश्तेदार की हत्या को गैंगवार का परिणाम माना जा रहा है। हालांकि, फिलहाल निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।

तेजस्‍वी यादव ने पीएमसीएच जाकर घायल आरजेडी नेता से मुलाकात की। उन्‍होंने कहा कि आरजेडी नेताओं पर हमला बर्दाश्त से बाहर है।

तेजस्वी यादव ने सरकार को गुरुवार तक की मोहलत देते हुए कहा कि अगर इस बीच आरोपित जेडीयू विधायक की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे पटना से गोपालगंज तक मार्च करेंगे।

लॉकडाउन के दौरान RJD विधायकों के मार्च को पुलिस-प्रशासन ने रोक दिया है। पुलिस उन्‍हें गिरफ्तार कर सकती है।

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बारिश के कारण नहीं हो सका शराब विनष्टीकरण

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परवेज अख्तर/सिवान:- बारिश के कारण शहर के पुलिस लाइन में जिले के विभिन्न थानों के अलग अलग कांडों में जप्त शराब का विनष्टीकरण रद्द कर दिया गया। उत्पाद अधीक्षक प्रियरंजन ने बताया कि विनष्टीकरण की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गयी है।पुलिस लाइन के ग्राउंड में जलजमाव के कारण विनष्टीकरण की तिथि आगामी 30 मई को निर्धारित किया गया है। जिसमें सभी थानों में जप्त शराब को विनष्टीकरण किया जाएगा।

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सिवान के तरवारा में अप्रवासी मजदूरों के क्वारंटाइन नहीं होने से लोगों में रोष

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परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के जी. बी. नगर तरवारा थाना क्षेत्र के कई पंचायतों में अप्रवासी मजदूरों के क्वारंटाइन नहीं होने से लोगों में रोष हैं। पंचायतों में अप्रवासी मजदूरों के आने के बाद उन्हें क्वारंटाइन नहीं किए जाने से पंचायत के लोगों में संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है।

लोगों के कहने के बावजूद भी जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से उन्हें क्वारंटाइन नहीं किया जा रहा है। जिससे महामारी फैलने की संभावना बनी हुई है। अपराधी प्रवृत्ति या संभ्रांत परिवार के लोगों द्वारा जनप्रतिनिधियों के साथ दबंगई दिखाते हुए लोगों से मिलने जोड़ने का काम कर रहा है। वही जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रवासियों पर कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है। उन्हें इस बात का डर सताने लगा है। कहीं दबाव बनाने पर उनका वोट बैंक खिसक न जाए।

इस बात को लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा लोगों की शिकायतों दरकिनार किया जा रहा है जिससे लोग डरे व सहमे हुए हैं। गोरेयाकोठी सीओ विकास कुमार ने बताया कि रेड जोन से आनेवाले अप्रवासीयों मजदूरों को कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए हर हाल में क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है। शिकायतें मिलने पर कार्रवाई की जा रही है।

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परिवार नियोजन: 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन पूरा कर चुके प्रवासियों को मिलेगा कंडोम

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  • जिले में शुरू की गई पहल
  • डोर टू डोर स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान दिया जाएगा कंडोम
  • पल्स पोलियो अभियान के तर्ज पर घर-घर जाकर किया जाएगा स्वास्थ्य परीक्षण

गोपालगंज: वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच भी परिवार कल्याण कार्यक्रम को निरंतर संचालित किया जा रहा है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए गोपालगंज जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक अच्छी पहल की शुरुआत की गई है। अब 14 दिनों का होम क्वॉरेंटाइन पूरा कर चुके प्रवासियों के बीच परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों का वितरण किया जाएगा। डोर टू डोर स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान पोलियो के सुपरवाइजर द्वारा 14 दिनों का होम क्वॉरेंटाइन पूरा कर चुके प्रवासियों को कंडोम दिया जाएगा। कंडोम सिर्फ उन्हीं को दिया जाएगा जो 14 दिनों का होम क्वॉरेंटाइन पूरा कर चुके हैं।

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परिवार नियोजन के प्रति करेंगे जागरूक

केयर इंडिया के परिवार नियोजन समन्वयक अमित कुमार ने बताया डोर टू डोर स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान पोलियो अभियान के सुपरवाइजरो के द्वारा प्रवासियों को परिवार नियोजन के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही योग्य लाभार्थियों के बीच परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों का वितरण भी किया जाएगा।

इन शहरों को छोड़ दूसरे जगह से आने वाले प्रवासी जाएंगे होम क्वॉरेंटाइन

दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासियों को क्वॉरेंटाइन में रखने के लिए श्रेणी का बंटवारा किया गया है। अब सूरत, अहमदाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, दिल्ली, मुंबई , फरीदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु से आने वाले प्रवासियों को ही संस्थागत क्वॉरेंटाइन में रखा जाएगा तथा अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों को 14 दिन होम को क्वॉरेंटाइन रखा जाएगा। प्रवासियों को होम क्वारंटाइन में रख कर उन्हें 14 दिनों तक प्रतिदिन स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। इसको लेकर पोलियो के सुपरवाइजरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है । प्रशिक्षण के दौरान ही सुपरवाइजरो को बीच कंडोम बॉक्स उपलब्ध कराई गई है। जो गृह भ्रमण के दौरान प्रवासियों के बीच वितरण किया जाएगा।

पल्स-पोलियो अभियान के तर्ज पर की जाएगी जांच 

डीपीएम धीरज कुमार ने बताया प्रवासियों के घर-घर स्वास्थ्य परीक्षण अभियान पल्स पोलियो अभियान के तर्ज पर चलाया जाएगा। 14 दिन परीक्षण के दौरान पर्यवेक्षकों द्वारा प्रवासियों के घरों में जाकर व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जाएगी।

चस्पाया जाएगा होम क्वॉरेंटाइन का पोस्टर

14 दिनों तक होम क्वॉरेंटाइन रहने वाले व्यक्तियों के घर के बाहर होम क्वॉरेंटाइन का पोस्टर चस्पाया जाएगा। उन्हें होम क्वॉरेंटाइन संबंधी पम्पलेट भी उपलब्ध कराई जाएगी। पर्यवेक्षक द्वारा 14 दिन तक चिपकाए गए पोस्टर पर तिथि सहित हस्ताक्षर किए जाएंगे।

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मातृ, शिशु एवं किशोरी से जुड़ी स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाएं फिर होंगीं बहाल

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  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन्स
  • कांटेन्मेंट एवं बफर जोन को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में सुलभ होंगी सेवाएं
  • कैंपेन मोड की सेवाएं दी जाएगी डोर टू डोर
  • प्रसव संबंधी सेवाएं सभी क्षेत्रों में समान रूप से की जाएगी प्रदान

सिवान: कोरोना के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने कई जरुरी स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित किया है. भारत जैसे देश में जहाँ प्रतिवर्ष लगभग 2.5 करोड़ से अधिक प्रसव होते हैं, वहाँ कोरोना के बढ़ते प्रसार ने प्रसव संबंधी सुविधा प्रदायगी में सरकार के सामने चुनौतियाँ खड़ी किया है. लेकिन अब सरकार ने प्रजनन, मातृ, नवजात, शिशु, किशोरी स्वास्थ्य एवं पोषण(आरएमएनसीएच प्लस एन) सेवाओं को फिर से बहाल करने का फैसला लिया है. इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गाइडलाइन्स जारी कर इस संबंध में विस्तार से दिशा निर्देश दिया है. पत्र के अनुसार आरएमएनसीएच प्लस एन की सेवाएं बफर जोन को छोड़कर एवं ग्रीन जोन में सुलभ होंगी. जबकि प्रसव संबंधी सेवाएं अन्य क्षेत्रों की तुलना में कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में भी सामान रूप से उपलब्ध रहेगी. साथ ही महिलाएं, बच्चे एवं किशोरों के लिए महत्वपूर्ण सेवाओं को उनकी कोविड-19 स्थिति का बिना ख्याल किए प्रदान की जाएगी.

कैंपेन मोड की सेवाएं दी जाएगी डोर टू डोर 

पत्र में बताया गया है कि कैंपेन मोड की सेवाओं को वैकल्पिक माध्यम से उपलब्ध करायी जाएगी. स्थानीय परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए इन सेवाओं की डोर टू डोर प्रदायगी पर बल दिया जाएगा. जिसमें विटामिन ए, सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा, राष्ट्रीय डीवर्मिंग डे एवं टेस्ट ट्रीट एवं टॉक कैंप फॉर एनीमिया जैसे कैंपेन मोड की सेवाएं शामिल होंगी.

प्रसव संबंधी सेवाएं कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में भी होगी उपलब्ध

कांटेन्मेंट एवं बफर जोन के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रसव संबंधी सेवाएं पूर्वत जारी रहेगी. प्रसव पूर्व सेवाओं के तहत प्रसव पूर्व जांच, सशर्त वीएचएसएनडी( ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस) एवं पीएमएसएमए( प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान) की सुविधा बफर जोन को छोड़कर एवं ग्रीन जोन में उपलब्ध रहेगी. जबकि कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में वीएचएसएनडी एवं पीएमएसएमए का आयोजन नहीं होगा एवं प्रसव पूर्व जांच के लिए गर्भवती महिलाओं को अस्पताल जाना होगा. प्रसव उपरांत देखभाल की सेवाएं बिना किसी अवरोध की बफर जोन को छोड़कर एवं ग्रीन जोन में उपलब्ध रहेगी. जबकि कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में प्रसव उपरांत देखभाल सेवाएं टेलीकंसल्टेशन के जरिए दी जाएगी.

नवजात एवं बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को भी किया जाएगा नियमित

नवजात एवं बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रदान की जाने सेवाएं जैसे स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट(एसएनसीयू), गृह आधारित नवजात देखभाल(एचबीएनसी), गृह आधारित बड़े बच्चों की देखभाल(एचबीवाईसी), राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम(आरबीएसके) एवं पोषण पुनर्वास केंद्र(एनआरसी) बफर जोन से परे एवं ग्रीन जोन में पहले की तरह शुरू की जाएगी. जबकि कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में ये सेवाएं कुछ विशेष शर्तों के साथ प्रदान की जाएगी. जिसमें कोविड-19 स्थिति का बिना ख्याल किये बीमार बच्चों को नजदीकी एसएनसीयू में सुविधा मिलेगी एवं एचबीएनसी/ एचबीवाईसी सेवाओं को टेलीकंसल्टेशन के जरिए उपलब्ध करायी जाएगी. साथ ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों की जांच केवल अस्पताल में होगी, जहाँ प्रसव संबधी सेवाएं दी जा रही है. वहीं कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में उचित रेफरल प्रबंधन सुनिश्चित करते हुए अति-कुपोषित बच्चों को नजदीकी पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाएगा.

कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में मिलेगी सशर्त प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं

प्रजनन स्वास्थ्य सेवा के तहत फिक्स्ड डे सेवा, प्रसव या गर्भपात उपरांत नसबंदी, कॉपर-टी एवं प्रसव उपरांत कॉपर-टी सुविधा बफर जोन के बाहर एवं ग्रीन ज़ोन में पहले की तरह प्रदान की जाएगी. लेकिन कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में सशर्त सेवाएं प्रदान की जाएगी. फिक्स्ड डे सेवा के तहत नसबंदी की सुविधा अस्पताल में दी जाएगी जहाँ प्रति दिन 10 लाभार्थियों को ही सेवा मिल सकेगी. प्रसव उपरांत या गर्भपात उपरांत नसबंदी सेवा उन्हीं महिलाओं को मिल सकेगी जो अस्पताल में पहले से होंगी एवं कॉपर टी एवं प्रसव उपरांत कॉपर टी की सुविधा की मांग करने पर यह सेवा अस्पताल में उपलब्ध होगी.

किशोरी स्वास्थ्य का भी रखा जाएगा ख्याल

किशोरी के लिए वितरित की जाने वाली आयरन फोलिक एसिड की टेबलेट एवं सेनेटरी पैड का वितरण बफर जोन के आलवा एवं ग्रीन जोन में पहले की तरह प्रदान करायी जाएगी एवं यहाँ एडोलसेंट फ्रेंडली हेल्थ क्लीनिक(एएफएचसी) खुली रहेंगी. लेकिन कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में एएफएचसी का संचालन टेलीकंसल्टेशन के जरिए होगा.

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