परवेज अख्तर/सीवान :- नौतन प्रशासन की लापरवाही से प्रवासी मजदूर अपने घरों में रह रहे हैं। कोरोना संकट के इस दौर में एक ओर जहाँ देश-प्रदेश में नित नए कोरोना के मामले सामने आने से कोरोना योद्धाओं से लेकर आम आदमी तक भयाक्रांत एवं परेशान हैं वहीं कुछ जगहों पर प्रशासनिक लापरवाही के कारण भी इसको बढ़ावा मिल रहा है । नौतन प्रखंड के कई गाँवों में प्रवासी मजदूर बंद सीमाओं के इतर पगडंडियों और कमी पानी वाले नदी-घाटों से होकर पैदल, साइकिल और बाइक से अपने घरों में आकर रह रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा कई माध्यमों से इसकी सूचना कई बार प्रशासन को दिये जाने के बाद भी प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास कर रहा है । ऐसे में छुपकर रह रहे मजदूरों में अगर कोई संक्रमित पाया जाता है तो उसके साथ साथ प्रशासन भी जवाबदेह होगा। गौरतलब है कि नौतन प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गाँवों में चोरी-छीपे अंधेरे में उत्तर प्रदेश की सीमाओं को लांघ कर प्रवासी मजदूर अपने घरों में आकर रह रहे हैं। ग्रामीणों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा स्थानीय प्रशासन एवं प्रतिनिधियों को इसकी सूचना देने के बावजूद भी प्रशासन और प्रतिनिधियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। ऐसे में बाहर से आकर घरों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के मुहल्ले और ग्रामवासियों में अलग ही भय का माहौल बना हुआ है।
शाहपुर में झाड़ी से 95 लीटर अंग्रेजी शराब और बाइक बरामद
परवेज अख्तर/सीवान :- जिले के नौतन थाना क्षेत्र के सीमावर्ती शाहपुर गाँव के पश्चिम झाड़ियों में छिपा कर रखा गया अंग्रेजी शराब और दो बाइक बरामद किया गया है । इस संबंध में थानाध्यक्ष अभिमन्यु कुमार ने बताया कि गुरुवार को गुप्त सूचना के आधार पर उक्त गाँव के झाड़ियों में छापेमारी की गई तो तस्करी के लिए छिपाकर रखा गया 95 लीटर अंग्रेजी शराब तथा दो बाइक को बरामद हुआ । उन्होंने बताया कि बाइक ने नंबर के आधार पर मालिक के विरुद्ध उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।
नौतन में लॉकडाउन के बीच दिन मे दो बार भिड़े दो मांस विक्रेता, दोनों पक्षों से दो लोग घायल
परवेज अख्तर/सीवान :- जिले के नौतन स्थानीय नौतन थाना मुख्यालय बाजार नौतन में दो मुर्गा मांस विक्रेता जगह को लेकर आपस मे भीड़ गये। बातों बातो से शुरू होकर दोनों के बीच जमकर मार पीट तथा चाकू बाजी हो गई, जिसमें एक पक्ष के गुलाब मिया दूसरे पक्ष के फिरोज मियाँ चाकू लगने से बुरी तरह घायल हो गए। दोनों घायलों का इलाज नौतन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मे इलाज चल रहा है। दोनों नौतन थाना क्षेत्र नौतन बजार निवासी बताये जा रहे है। दोनो ने थाने में अलग अलग लिखित आवेदन देकर आधा दर्जन लोगों को आरोपित किया है।
सबसे बडी बात यह है कि लाॅक डाउन रहने के बाद भी पाँच घन्टे के अंदर दो बार मारपीट चाकूबाजी हो गई ।इसकी सुचना पाकर नौतन थाना पुलिस, स्थानीय अंचल अधिकारी रविन्द्र कुमार मिश्र, प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रशांत कुमार मौके पर पहुंच कर स्थिति को शांत कराते हुए दोनो पक्ष से थाने मे लिखित आवेदन देने को कहा, वही आधा दर्जन स्थानों पर मुर्गा मांस बेचने के लिए गाडे गये बास बाला को पुलिस बल ने ऊखडवाकर फेंक दिया।
मालुम हो कि लाॅक डाउन के बाद भी नौतन बजार में मुर्गा मांस बेचा जा रहा है । लाॅक डाउन का उल्लंघन कर तथा प्रशासन द्वारा लाख मना करने के बाद भी लोग मानने को तैयार नही हैं और आँख मिचौली कर गाईड लाईन से हट कर लाॅक डाउन की धज्जियाँ उडाई जा रही हैं। प्रशासन से आंख मिचौली कर दुकाने खोली जा रही है । इससे लगता है कि प्रशासन की मौन स्वीकृति इन्हें प्राप्त है ।
कोरोना वैश्विक महामारी में थैलेसेमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की चुनौतियां
पटना: कोरोना जनित वैश्विक महामारी से मानसिक एवं शारीरिक रूप से यूँ तो समस्त मानवजाति प्रभावित हुयी है. लेकिन इससे इतर भी कुछ अत्यंत गंभीर बीमारियां और भी हैं, जो कहीं न कहीं कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित भी हुयी है. उसमें थैलेसीमिया रोग अग्रणी रूप से शामिल है. इसको लेकर 8 मई को विश्व स्तर पर विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया गया जो विशेष रूप से थैलेसेमिया पीड़ित गर्भवती महिलाओं में इस रोग से होने वाली जटिलता एवं उनकी संघर्ष पर भी प्रकाश डालने की जरूरत को उजागर किया है. थैलेसेमिया पीड़ित मरीज़ वैसे ही विभिन्न कारणों से अतिसंवेदनशील वर्ग में आते है और निरंतर सामयिक रक्ताधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) ही इसका एकमात्र मानक उपचार है. ऐसे कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति में इस उपचार को उपलब्ध कराना अपने आप में एक अत्यंत जटिल समस्या बनकर उभरी है.
थैलेसीमिया ग्रसित गर्भवती महिलाओं को करना पड़ रहा मुश्किलों का सामना
एक तरफ जहाँ सरकार ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार के मद्देनजर लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी है, वहीँ लोग भी ऐसे दौर में घरों से निकलने में परहेज कर रहे हैं. जिसके कारण स्वैच्छिक रक्तदान में कमी देखने को मिल रही है. स्वैच्छिक रक्तदान में कमी आने से ब्लड बैंकों में खून की भी अनुपलब्धता होने लगी है. जिससे थैलेसीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमणकाल में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. एक तरफ जहाँ थैलेसीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए ब्लड बैंकों में रक्त की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ सकता है तो वहीँ ऐसी स्थिति में अस्पताल जाकर ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना भी इतना आसान नहीं है. साथ ही अस्पताल परिसर में कोरोना के कारण जाने से भय,चीलेटिंग एजेंट्स (अत्यधिक आयरन को कम करने वाले औषधि) की कमी,समय से पहले प्रसव होने की आशंका तथा अन्य कई कारण है जिनके चलते थैलेसेमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
घबराएं नहीं, डटकर करें सामना
ऐसे कठिन समय में प्रभावित सभी महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने एवं हर सम्भव प्रयास कर उपचार लेने की आवश्यकता है. इसके लिए सरकार द्वारा भी उपयुक्त कदम उठाए जा रहे है तथा कई स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा भी मदद उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए जरुरी है कि थैलेसेमिया से पीड़ित महिलाएं घबराएँ नहीं बल्कि इन विपरीत परिस्थितियों में डटकर मुकाबला करें.
डॉ. चारु मोदी, कंसल्टेंट प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, मोदी नर्सिंग होम, पटना
कोरोना का दवा बना डॉक्टर ने खुद पर ही किया टेस्ट, चेन्नई के डॉक्टर की हुई मौत
न्यूज़ डेस्क : देश में कोरोना संकट के बीच दवा बनाने का भारत समेत विश्व में काम चल रहा है, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है. इस बीच चेन्नई के एक डॉक्टर ने कोरोना का दवा बनाकर अपने ही उपर टेस्ट किया, लेकिन उस दवा ने ही डॉक्टर की जान ले ली है.
देश में इस तरह की पहली घटना
कोरोना संकट के बीच दवा बनाने का कोशिश की जा रही है, लेकिन कोरोना की दवा टेस्ट के दौरान किसी डॉक्टर की मौत की यह पहली घटना संभवत: देश में हुई है. दिन रात डॉक्टर दवा बनाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन कामयाबी अभी तक नहीं मिली है.
घटना के बारे में बताया जा रहा है कि पेरूंगुंडी के रहने वाले के शिवनेसन एक आयुर्वेदिक कंपनी के साथ फार्मासिस्ट और प्रोडक्शन मैनेजर के तौर पर वह काम कर रहे थे. शिवनेसन और उनके बॉस राजकुमार दवा बनाने की कोशिश कर रहे थे. जब दवा बनी तो शिवनेसन ने दवा की कई बूंदें खुद पीली. उसके बाद तबीयत बिगड़ी. इलाज के दौरान मौत हो गई. जबकि राजकुमार की स्थिति गंभीर बनी हुई है. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है. बता दें कि देश में कोरोना मरीजों की संख्या 60 हजार से अधिक हो गई है. अब तक 1990 लोगों की मौत हो चुकी है.
जागरूकता के हथियार से थैलेसीमिया की जंग हो सकती है आसान
- सही समय पर थैलिसिमिया की जांच से नवजात हो सकता है सुरक्षित
- खून संबंधित समस्या का इतिहास हो तो करायें जाँच
- कोरोना के दौर में थैलिसिमिया पीड़ित रहें सतर्क
पटना: कोरोना संक्रमण के इस दौर में कई गंभीर रोगों की चर्चा नहीं हो पा रही है. लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने कुछ गंभीर रोगों के लिए समस्या कहीं ज्यादा बढ़ा भी दी है. जिसमें थैलिसिमिया से ग्रसित लोग अधिक प्रभावित हुए हैं. थैलिसिमिया मेजर से ग्रसित लोगों को नियमित अंतराल पर खून की जरूरत होती है. कोरोना संक्रमणकाल में स्वैच्छिक रक्तदान में कमी भी आयी है जिससे ब्लड बैंक भी प्रभावित हुए हैं. इसकी बात इसलिए की जा रही है क्योंकि 8 मई को विश्व थैलिसिमिया दिवस मनाया जाता है एवं थैलिसिमिया के विषय में आम लोगों को जागरूक किया जाता है. इस वर्ष के विश्व थैलिसिमिया दिवस की थीम ‘थैलिसीमिया के लिए नए युग की शुरुआत: रोगियों के लिए नवीन चिकित्सा सुलभ और सस्ती बनाने के वैश्विक प्रयासों के लिए समय’ रखी गयी है.
थैलिसिमिया को लेकर सामाजिक जागरूकता जरुरी
पटना के पारस हॉस्पिटल के हेमोटोलोजिस्ट डॉ. अविनाश सिंह ने बताया थैलिसिमिया के कारण हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है. हीमोग्लोबिन के दोनों चेन अल्फा और बीटा चेन के कम निर्माण होने के कारण ऐसा होता है. मरीजों में दिखने वाले लक्षणों के तीव्रता के आधार पर इसे माइनर बीटा जिसमें मरीज में कोई भी लक्षण नहीं दिखता है एवं मेजर बीटा जिसमें शिशु में 6 माह के उपरांत लक्षणों के कारण प्रत्येक महीने खून चढाना परता है. जबकि थैलिसीमिया इंटरमिडीया भी एक स्थिति है जिसमें मेजर की अपेक्षा कम खून चढ़ाने की जरूरत होती है. बिहार की बात करें तो लगभग 2000 थैलिसीमिया मेजर से ग्रस्त मरीज है जो नियमित ब्लड ट्रांसफयूजन पर है। बीमारी की पहचान के लिए सी बी सी,हीमोग्लोबिन की विशेष जांच (एच बी एलेकट्रोफेरियेसिस) एवं जेनेटिक म्यूटेशन की जांच की जाती है. लेकिन थैलिसीमिया न हो या होने की क्या संभावना है का पता लगाने के लिए सामाजिक जागरूकता की अधिक आवश्यकता है जिसमें विवाह के पहले चिकित्सकीय परामर्श लें क्योंकि होने वाले पति और पत्नी दोनो अगर थैलिसीमिया माइनर है तो होनेवाले बच्चे का थैलिसीमिया मेजर होने की शंभावना 25 प्रतिशत अधिक होती है.
कोरोना काल में थैलिसिमिया से ग्रसित महिलाएं रहें सावधान
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चारू मोदी ने बताया कोरोना जनित वैश्विक महामारी से यूँ तो समस्त मानव जाति प्रभावित है परंतु 8 मई को विश्व थैलेसेमिया दिवस पर विशेष उल्लेख थैलेसेमिया पीड़ित गर्भवती महिलाओं का करना सार्थक होगा क्योंकि इनकी स्थिति अत्यंत जटिल है। थैलेसेमिया पीड़ित मरीज़ वैसे ही विभिन्न कारणों से अतिसंवेदनशील वर्ग में आते है और निरंतर सामयिक रक्ताधान( ब्लड ट्रांसफ्यूजन) ही इसका एकमात्र मानक उपचार है. ऐसे समस्त बन्दी की स्थिति में इस उपचार को उपलब्ध कराना अपने आप में एक अत्यंत जटिल समस्या है. ऐसे कठिन समय में प्रभावित सभी महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने एवं हर सम्भव प्रयास कर उपचार लेने की आवश्यकता है.इसके लिए सरकार द्वारा भी उपयुक्त कदम उठाए जा रहे है तथा कई स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा भी मदद उपलब्ध कराई जा रही है.
खून संबंधी समस्या का किसी भी प्रकार के इतिहास होने पर जांच जरुरी
नालन्दा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अमिता सिन्हा ने बताया थैलिसीमिया के प्रति सतर्कता जरुरी है. यदि किसी महिला को खून संबंधी समस्या हो या उनके रिश्तेदारों जैसे माता,पिता, नाना ,नानी इत्यादि को खून संबंधी कोई जटिल समस्या रही हो या कभी खून चढ़ाना पड़ा हो तो उन्हें थैलिसीमिया की जाँच जरुर करानी चाहिए. थैलिसीमिया माइनर होने की स्थिति में पति का परिक्षण आवश्यक है और दोनों के माइनर होने पर गर्भ में पल रहे भ्रूण का जांच किया जाता है एवं ऊसके नार्मल या माइनर होने पर ही गर्भावस्था जारी रखना चाहिए.
थैलिसीमिया पीड़ित कोरोना से भी रहें सावधान
पटना ओब्सटेट्रिक एंड गयनेकोलॉजिकल सोसाइटी की प्रेसिडेंट डॉ. नीलम ने बताया कोरोना संक्रमण काल में थैलिसीमिया पीड़ित कोरोना से भी सुरक्षित रहने का प्रयास करें. लॉकडाउन के कारण ब्लड बैंक भी प्रभावित हुए हैं. उन्होंने आम लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आगे आने की अपील की. उन्होंने बताया स्वैच्छिक रक्तदान से ही ब्लड बैंकों में खून की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है जो थैलिसीमिया जैसे रोगी के लिए जीवनदायनी है.
अब गर्भनिरोधकों की होगी निःशुल्क सप्लाई, एचडीसी योजना में की गयी बदलाव
योजना के तहत अब होगी सिंगल पैकेजिंग
पहले दो तरीको से होती थी सप्लाई
परवेज अख्तर/सिवान :- कोरोना संक्रमण काल में सरकार द्वारा जहाँ इसकी रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीँ अन्य जरुरी स्वास्थ्य सुविधाओं का भी ख्याल रखा जा रहा है. इस दिशा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने परिवार नियोजन सुविधाओं में भी एक नया बदलाव किया है. वर्ष 2011 में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर गर्भनिरोधक साधनों की होम डिलीवरी करने के मकसद से वर्ष में ‘होम डिलीवरी ऑफ़ कंट्रासेपटिव’(एचडीसी) योजना की शुरुआत की गयी थी, जो अभी भी चलायी जा रही है. अब केंद्र सरकार ने इस योजना में बदलाव किया है. इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के जॉइंट कमिश्नर डॉ. सुमिता घोष ने राज्य को पत्र लिखकर एचडीसी योजना में किये गए संसोधन के विषय में जानकारी दी है.
गर्भनिरोधकों की हो रही थी दो तरीके से सप्लाई
पत्र में बताया गया है कि योग्य दम्तियों के लिए उनके घर पर ही गर्भनिरोधक साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के मकसद से वर्ष 2011 में ‘होम डिलीवरी ऑफ़ कंट्रासेपटिव’(एचडीसी) योजना की शुरुआत की गयी थी. जिसमें आशा घर-घर जाकर योग्य दम्पतियों को गर्भनिरोधक देती थी. अभी भी यह योजना देश में लागू है जिसमें गर्भनिरोधकों की सप्लाई दो तरीके से की जा रही थी. पहले तरीके में घर-घर जाकर गर्भनिरोधकोण की सप्लाई आशा द्वारा की जा रही थी जिसे ‘एचडीसी’ सप्लाई नाम दिया गया है. इसके लिए लाभार्थी को एचडीसी पैकेट पर अंकित मूल्य के हिसाब से भुगतान करना पड़ता था. वहीँ फ्री सप्लाई कंपोनेट के तहत गर्भनिरोधक साधनों की सप्लाई स्वास्थ्य उपकेंद्रों सहित अन्य सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध करायी जा रही थी.
योजना के तहत अब होगी सिंगल पैकेजिंग
पत्र में जानकारी दी गयी है कि एचडीसी योजना के तहत एचडीसी सप्लाई एवं फ्री सप्लाई के दो विभिन्न पैकेजिंग भी की जा रही थी ताकि एचडीसी एवं फ्री सप्लाई में अंतर किया जा सके. लेकिन योजना की समीक्षा में यह पाया गया कि दो विभिन्न पैकेजिंग के कारण इसकी सप्लाई की ट्रैकिंग में भी समस्या देखी गयी. कभी-कभी एचडीसी सप्लाई पैक्स नहीं रहने की दशा में आशाओं को फ्री सप्लाई पैक्स ही दी जाती थी. जिससे रिपोर्टिंग में दिक्कत होती थी एवं इसकी सप्लाई करने पर आशा लाभर्थियों से कोई चार्ज भी नहीं कर पाती थी. इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है कि गर्भनिरोधकों की अब केवल फ्री सप्लाई ही की जाएगी. एचडीसी सप्लाई ,जिसमें लाभार्थी को उनके घर जाकर आशा द्वारा गर्भनिरोधक दी जाती थी, उसकी जगह केवल फ्री सप्लाई की सिंगल पैकेजिंग की जाएगी.
बचे हुए एचडीसी सप्लाई की खपत करें सुनिश्चित
पत्र के माध्यम से बताया गया फ्री सप्लाई पैकेजिंग में कंडोम, ओरल कॉण्ट्रासेपटिव पिल्स एवं इमरजेंसी कंट्रासेपटिव पिल्स शामिल होंगे. साथ अब ड्यूल पैकेजिंग की तहत सिंगल पैकेजिंग ही की जाएगी. इसके लिए सभी राज्यों को इस संशोधित योजना को कार्यान्वित करने के निर्देश दिए गए हैं एवं पूर्व में बचे हुए एचडीसी सप्लाई की भी खपत करने की सलाह दी गयी है.
शिशु मृत्यु दर में 3 पॉइंट की कमी के साथ बिहार का शिशु मृत्यु दर हुआ राष्ट्रीय औसत के बराबर
- स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार को आशातीत सफलता
- स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने टवीट कर दी बधाई
- अशोधित जन्म दर में कमी भी अच्छे संकेत
पटना:- सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के 2020 बुलेटिन में आंकड़े बिहार के लिए बेहद ही ख़ुशी देने वाले है. राज्य में शिशु मृत्यु दर जो 2017 में 35 थी 2018 (जिसका प्रकाशन मई 2020 में हुआ) में घटकर 32 हो गई है.इस शिशु मृत्यु दर में 3 पॉइंट की कई आई है. बिहार की शिशु मृत्यु दर में आई यह कमी राज्य के लिए उल्लेखनीय सफलता है क्योंकि अब बिहार की शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गई है. वही बिहार के अशोधित जन्म दर (प्रति 1 हजार लोगों में जीवित जन्म की वार्षिक संख्या) में भी कमी आई है, जो वर्ष 201 7 में 26.4 थी, वर्ष 2018 में घटकर 26.2 हो गई है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने टवीट कर दी बधाई
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने एस आर एस द्वारा जारी बुलेटिन में राज्य के शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट पर प्रसन्नता जाहिर की है, एवं राज्य के लोगों को बधाई दी है. उन्होंने टवीट के माध्यम से बताया है कि राज्य के शिशु मृत्यु दर में 3 पॉइंट की कमी आई है जिससे बिहार की शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत (32 ) के बराबर हो गई है. लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ शेष है. राज्य के सामने जन्म दर एवं कुल प्रजनन दर में कमी लाना इन मुख्या चुनौतियों में शामिल है
क्या है कारण इस बदलाव के
राज्य में प्रसव पूर्व होने वाले जाँच में आई गुणवतात्मक सुधार एक महत्वपूर्ण कारण है, क्योंकि जाँच के दौरान हीं जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं की पहचान कर ली जाती है और उनका विशेष देखभाल किया जाता है. दूसरी बात यह है कि बिहार में प्रतिरक्षण (टीकाकरण) की सुविधा भी बेहतर हुआ है. इसके साथ ही सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (पिकू) एवं जिला अस्पतालों में बीमार नवजातों के देखभाल के लिए एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) है. लड़कियों के शादी के उम्र में हुई बढ़ोतरी जैसे सामाजिक करक भी राज्य के इस उपलब्धि में सहायक है.
शिशु मृत्यु दर में सुधार हेतु किये जा रहे प्रयास
बिहार में शिशु मृत्यु दर में सुधार हेतु – संस्थागत प्रसव के बाद सभी आवश्यक देखभाल एवं जाँच, रेफेरल एवं जिला अस्पतालों में बीमार नवजातों की देखभाल, घर पर नवजात एवं बच्चों के देखभाल हेतु विशेष कार्यक्रम, माँ कार्यक्रम के अंतर्गत अधिकतम स्तनपान पर जोर, विटामिन ‘ए’ एवं आयरन फोलिक एसिड का उपरी खुराक, अतिकुपोषित बच्चों का देखभाल, दस्त एवं स्वांस संक्रमन सम्बन्धी बिमारियों का प्रबंधन, गहन प्रतिरक्षण (टीकाकरण) कार्यक्रम, खसरा एवं जापानीज एन्फेलाईटिस का उन्मूलन, पोलियो का उन्मूलन जैसे प्रयास किये जा रहे हैं. अमानत कार्यक्रम जो कि नर्सों के क्षमतावर्धन पर केन्द्रित है और उनकी दक्षता को विकसित कर मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य में बेहतरी लाने के लिए लक्षित है भी इस दिशा में अहम् भूमिका अदा करती है.
सिवान के आंदर में फसल बर्बाद होने से किसान नाराज
परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के आंदर प्रखंड में बेमौसम हुई बारिश से किसानों के करीब तीन सौ एकड़ में लगी गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इससे चित्तौर के दर्जनों आक्रोशित किसानों ने अपनी हाथों में गेहूं की सड़ी हुई बलिया को दिखाते हुए सरकार से उचित मुआवजा दिलाने की मांग की। किसानों का कहना है कि क्षेत्र में करीब 30 प्रतिशत किसानों की दौनी बाकी है। बेमौसम बारिश से काफी नुकसान हुआ है। हम लोग काफी मेहनत से गेहूं की फसल तैयार किए थे लेकिन बेमौसम बारिश से उनकी गेहूं की फसल भींग कर बर्बाद हो गई है। अब परिवार के समक्ष भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई है। किसानों ने बीडीओ, सीओ, एसडीओ और जनप्रतिनिधियों से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई।
11 मई से सिवान जिले के विभिन्न सामग्रियों के प्रतिष्ठानों को खोलने का रोस्टर जारी
परवेज अख्तर/सिवान :- सीवान के जिलाधिकारी अमित कुमार पांडेय ने गृह विभाग बिहार सरकार के निर्देशानुसार सिवान जिला अंतर्गत विभिन्न सामग्री के प्रतिष्ठानों को शर्तों के साथ, रोस्टर अनुसार निर्धारित दिवस को खोलने की अनुमति प्रदान की गई है। जारी प्रेस विज्ञप्ति अनुसार- 1. इलेक्ट्रिकल गुड्स, पंखा, कूलर, एयर कंडीशनर (विक्रय एवं मरम्मत) के प्रतिष्ठान सोमवार बुधवार एवं शुक्रवार को खुलेंगे 2. इलेक्ट्रॉनिक गुड्स एवं मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, यूपीएस एवं बैटरी (विक्रय एवं मरम्मत) की दुकानें सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को खुलेंगे 3. ऑटोमोबाइल्स, टायर एंड ट्यूब, लुब्रिकेंट (मोटर वाहन/मोटरसाइकिल/स्कूटर मरम्मत सहित) मंगलवार, गुरुवार एवं शनिवार को खुलेंगे तथा रविवार को छोड़कर सभी दिन मरम्मत कार्य की दुकानें खुलेगी 4. निर्माण सामग्री के भंडारण एवं बिक्री से संबंधित प्रतिष्ठान यथा सीमेंट, स्टील, बालू, स्टोन, गिट्टी, सीमेंट ब्लॉक, प्लास्टिक पाइप, हार्डवेयर, सैनिटरी फिटिंग, लोहा, पेंट, शटरिंग सामग्री, बढ़ई एवं आरा मशीन की दुकानें मंगलवार गुरुवार एवं शनिवार को खुलेंगे 5. ऑटोमोबाइल, स्पेयर पार्ट्स की दुकानें मंगलवार, गुरुवार एवं शनिवार को खुलेंगे 6. हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट की किसी एक दुकान को खोलने का निर्णय जिला परिवहन पदाधिकारी सीवान लेंगे और जिला पदाधिकारी को अवगत कराएंगे 7. कपड़ा, दर्जी की दुकान सोमवार बुधवार एवं शनिवार को खुलेंगे तथा उक्त दिनों में प्रदूषण जांच केंद्रों को खोलने का निर्णय जिला परिवहन पदाधिकारी सीवान द्वारा लिया जाएगा एवं जिला पदाधिकारी को अवगत कराया जाएगा।