छपरा: रविवार को एक निजी कार्यक्रम में मढ़ौरा पहुंचे पुर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के सुप्रीमों जीतनराम मांझी राजनीत, शराबबंदी, जातीय गणना और भागवान राम पर पहले की तरह ही बेवाक रहे । फिर से दुहराया की वे भागवान राम और रामायण को काल्पनिक मानते है और उन्हे भगवान नही मानते । हालांकि उन्होने कहा राम है या नही है इसका वे विरोध नही करते है।जिनकी आस्था उनके प्रति है, वो लोग उन्हें मानते हैं । अगर कोई राम को मानते है तो उनकी अपनी मर्जी अपनी आस्था है । वे प्रकृति को मानते है और उसका अनुसरण करते है । कहा की भगवान है इसे वह मानते है लेकिन राम भगवान है वे ऐसा नही मानते है । रामायण ग्रंथ पर भी सवाल रखते हूए कहा कि रामायण एक महाकाव्य है लेकिन महाकाव्य का पात्र राम है वह भगवान होगे यह कहने की बात नही है । रामायण में बहुत सारी अच्छी बाते कही गई है उसका अनुसरण करना चाहिए । मध्यप्रदेश में रामायण पढ़ाने की बात कही गई है इसे बिहार में लागू किया जाता है तो वे इसका स्वागत करेगे । बिहार में एनडीए गठबंधन की स्थितरता पर बोले कि गठबंधन में थोड़ा बहुत होता रहता है, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार अच्छा से चल रही है। जीतन राम मांझी इतने पर ही नही रुके शराब बंदी का सच, राजनीत उठापटक और जातीय जणगनना जीतन राम पर भी बेवाक रुप से अपनी बात रखी ।रविवार की दोपहर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी प्रखंड के भागलपुर स्थित प्रखंड उपप्रमुख कांति देवी के यहा एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे थे।कार्यक्रम के पूर्व श्री मांझी ने उक्त बातें पत्रकारों के सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया बेबाकी अंदाज में देने के दौरान कही।इस दौरान श्री मांझी का निवर्तमान उप प्रमुख कांति देवी द्वारा बुके देकर स्वागत किया गया।इस मौके पर पूर्व मुखिया सुरेश सिंह, गोविंद राम समेत अन्य लोग भी मौजूद रहे।सुरक्षा व्यवस्था व प्रोटोकॉल के अनुपालन लिए प्रशासन मुस्तैद दिखा।
शराबबंदी में गरीब हाशिये पर पुलिस मालामाल
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस दौरान पत्रकारों के सवालों पर बिहार में शराब बंदी कानून को लेकर अपनी बेबाकी अंदाज में कहा कि शराबबंदी कानून ठीक है, लेकिन व्यवहार में शराबबंदी से गरीब हाशिये पर और पुलिस व आबकारी के लोग मालामाल हो रहे हैं।उन्होंने ने शराबबंदी के लिए लिए विज्ञापन और फिल्मों के जरिये लोगों को शराब नहीं पीने के लिए प्रेरित करने व जागरूकता की जरूरत बताया।वहीं साफ साफ कहा कि बिहार में मौजूदा शराबबंदी कानून लागू होने के बाद ज्यादातर मामलों में गरीब लोगों का परिवार दो चार लीटर देशी शराब मिलने के आरोपों में जेल चले जाते हैं।जबकि शराबबंदी में भी बाहर से बड़े बड़े माफिया शराब लाते और ऊंचे दामो पर बेचते है।इसलिये व्यवहारिक तौर पर इससे गरीबों को परेशानी होती है।बड़े लोग गरीबों को पैसे देकर शराब बनवाते है और पुलिस उनलोगों को चिन्हित न कर गरीब को ही पकड़ जेल डाल देती है।बिहार में बनने वाले देशी शराब पर उन्होंने कहा कि पहले वाली शराब बनाने में सात-आठ दिन लगते थे,लेकिन आजकल दो घंटे में ही शराब तैयार कर लिया जा रहा है, वो फेफड़ो को नुकसान पहुंचता है और इसे गरीब लोगों अपनी सेहत खराब कर जीवन बर्बाद कर ले रहे है।
जातीय जनगणना की मांग जायज
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने जातीय जनगणना की मांग को जायज ठहराया और कहा कि इसके लिये फिर से सर्वदलीय मांग में केंद्र सरकार के सामने रखा जाएगा।अभी एक मामला केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने से असमंजस बना हुआ है, जिसमे केंद्र सरकार ने कहा कि जातीय जनगणना कराने में काफी जटिलता है।इसलिए फिलहाल इसे टालना ही उचित प्रतीत होता है।लेकिन हम जातीय जनगणना की मांग का समर्थन करते हैं, इससे देश के सर्वाधिक आबादी को सुविधाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी।
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