परवेज अख्तर/सिवान: सहायता प्राप्त मध्य विद्यालय चैनपुर की कोई सुधि लेने वाला नहीं है। विभागीय उदासीनता के कारण विद्यालय बंदी के कगार पर है। इसका भवन कभी भी ध्वस्त हो सकता है। 1945 में स्थापित इस विद्यालय की प्रबंध समिति अस्तित्व में नहीं है। प्रबंध समिति के सभी सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है। बावजूद यहां नई प्रबंध समिति नहीं बनाई गई। विद्यालय के संचालन, भवन का निर्माण, शिक्षकों की नियुक्ति आदि को लेकर प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है। 1948 में बिहार सरकार द्वारा इसकी मान्यता मिली। वर्तमान समय में वर्ग 6, 7 व 8 में इस विद्यालय में 362 छात्रों का नामांकन है। आगामी 16 अगस्त से विद्यालय खुलने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों के सामने समस्या यह है कि बच्चों का पठन-पाठन कैसे व कहां होगा। विद्यालय का बरामदा बरसात शुरू होते ही ध्वस्त हो चुका है। इस विद्यालय के भवन का कमरे कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षक चिंतित हैं कि बच्चों का भविष्य कैसे संवारा जाए। विद्यालय के जमीन से कुछ भाग 1964 में हाई स्कूल खोलने के लिए दे दिया गया। एक ही प्रांगण में हाईस्कूल व मध्य विद्यालय चलता है। सहायता प्राप्त विद्यालय के भवन नहीं बनने से यह बंदी के कगार पर है।
हेडमास्टर ने विभाग को पत्र लिख मांगा है मार्गदर्शन
हेडमास्टर उमेश दुबे ने विभाग को एक साल पहले पत्र भेज मार्ग दर्शन मांगा है। पत्र में भवन जर्जर होने से बच्चों के पढ़ाने व विद्यालय में बच्चों का नामांकन विद्यालय में किया जाय अथवा नहीं पूछा है। उन्होंने डीएम, डीईओ, डीपीओ स्थापना को पत्र भेजा है। मगर एक साल बाद भी इस संदर्भ में उन्हें कोई भी मार्गदर्शन प्राप्त नहीं है। वह डरते हैं कि जर्जर खपरैल भवन में पढ़ाना बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ होगा।
बीआरसी कार्यालय में है विद्यालय का ऑफिस
इस विद्यालय में फरवरी-मार्च तक पठन-पाठन का कार्य किया गया। लॉकडाउन के बाद विद्यालय बंद है। बरसात शुरू होते ही विद्यालय का बरामदा ध्वस्त हो चुका है। वह भवन कभी भी ध्वस्त होने के कगार पर है। विद्यालय का कार्यालय बीआरसी भवन में है। उसी कमरे में कुछ बेंच व अन्य समान है। इस विद्यालय में उमेश मिश्रा के आलावा शिक्षक पूनम कुमारी व पंकज कुमार प्रतिनियोजन पर हैं। इन्हीं तीन शिक्षकों के जिम्मे 362 छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन का कार्य है। विभागीय पदाधिकारी, सांसद, विधायक व अन्य इस ओर ध्यान नहीं देते।
मिलती है सभी सुविधा
हेडमास्टर ने बताया कि विद्यालय में नियमित शिक्षकों का वेतन व पेंशन सरकार द्वारा दिया जाता है। बच्चों को निशुल्क पुस्तक, ड्रेस, छात्रवृत्ति, एमडीएम मिलता है अर्थात निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की सभी नीति लागू है मगर इसका विद्यालय भवन क्यों नहीं बन रहा यह समझ से परे है।
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