सिवान: धान की कटनी के साथ रबी की बुआई में जुटे किसान

  • जिले में हर साल धान और गेहूं की कटनी के लिए पंजाब व यूपी से ही अधिकतर कंबाइन हार्वेस्टर मंगवाए जाते हैं
  • खेत गीला होने के कारण धान की कटनी में ज्यादा हो रहा है विलंब
  • चंवरी क्षेत्र और नीचे के इलाके वाले खेत में अभी भरा हुआ है पानी
  • 50 फीसदी ही अबतक हो सकी है धान की कटनी
  • 40 फीसदी अभी भी हाथ से कटनी करते हैं किसान

परवेज अख्तर/सिवान: जिले में धान की कटनी के साथ किसान रबी की बुआई में भी जुट गए हैं। हालांकि, खेत में पानी होने या खेत गीला रहने के कारण इसकी कटनी करने में किसानों को परेशानी हो रही है। इस वजह से धान की कटनी में विलंब भी हो रहा है। जिले में अबतक मात्र 50 फीसदी ही धान की कटनी की जा सकी है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि 10 दिनों के अंदर 80 फीसदी तक कटनी हो जाएगी। बहरहाल, धान की कटनी के साथ ही रबी की बुआई का काम भी जारी है। अभीतक कुल लक्ष्य का मात्र 2 फीसदी ही गेहूं की बुआई हो सकी है। किसानों का कहना है कि खेत गीला होने के कारण बुआई करने में समय लग रहा है। धान की कटनी होने के बाद खेत की तैयारी करने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगता है। गीला खेत होने पर 10-12 दिन का समय लग ही जाता है। खेती से जुड़े जानकारों और जिले के प्रगतिशील किसानों के अनुसार अभी भी 40 फीसदी किसान धान की कटनी हाथ से हसुआ द्वारा स्वयं या मजदूरों से करवाते हैं। जबकि 60 फीसदी किसान कंबाइन हार्वेस्टर के भरोसे रहते हैं। जिले में कम ही लोगों के पास कंबाइन हार्वेस्टर है। जिसके पास कंबाइन हार्वेस्टर है भी तो चालक बाहर से ही बुलवाना पड़ता है। यहां हर साल धान और गेहूं की कटनी के लिए जिले में पंजाब व यूपी से ही अधिकतर कंबाइन हार्वेस्टर मंगवाए जाते हैं। इस साल 89 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपनी हुई थी। लेकिन, आवश्यकता से अधिक बारिश होने से किसानों के धान की फसल को नुकसान भी हुआ है। इनमें कुछ जगहों पर ज्यादा तो कुछ जगहों पर कम नुकसान है। कई जगह नुकसान होने के बावजूद इसकी रिपोर्ट सरकार को नहीं भेजे जाने और क्षति की मुआवजा नहीं दिए जाने से बहुतेरे किसानों में विभाग के प्रति नाराजगी भी है।

50 फीसदी तक सरसों की हो सकी है बुआई

जिले में अब तक 50 से 55 फीसदी तक ही सरसों की बुआई हो सकी है। जबकि मटर की बुआई 45 फीसदी तक ही हो सकी है। मक्का की बुआई में भी किसान इस साल पिछड़े हुए हैं। मक्का की बुआई 20 फीसदी भी नहीं हो सकी है। अधिकतर किसान तो नीलगायों के आतंक के चलते इसकी बुआई करने से कतरा रहे हैं। गेहूं की बुआई के बाद सरसों और मक्का की बुआई ही ज्यादातर हिस्से में किसान करते हैं। खाद-बीज कई विक्रेताओं ने बताया कि अधिकतर किसान हाईब्रिड सरसों व मक्का बीज की ही बुआई कर रहे हैं। सरसों के तेल की महंगाई को लेकर किसान इस साल इसकी बुआई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने कहा कि जिले में 50 फीसदी धान की कटनी हो सकी है। अभी भी अधिकतर किसान हसुआ द्वारा ही धान की कटनी कराते हैं। गेहूं की बुआई मात्र 2 फीसदी तक हो सकी है। सरसों की बुआई करीब 50 फीसदी हुई है। गेहूं की बुआई के लिए किसान खेत तैयार करने में जुटे हुए हैं।

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