छपरा: पुराने जमाने और आज के पंचायत चुनाव में काफी अंतर आ गया है। आज पंचायत चुनाव विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह हो गया है। पंचायत में धनबल,बाहुबल तथा छद्ध के सराहें कुर्सी हथियाए जा रहा है।जनता से झूठे वादे कर उन्हें गुमराह किया जा हैं। देखा जाए तो बहरौली पंचायत से जीत दर्ज किए मुखिया ने सेवा और विकास के सहारे चुनाव जीतने का दंभ भरा पर जनता ने उनके विकास को बुरी तरह नकारा तों उन्होंने धनतंत्र का सराहा लिया और चुनाव में जीत दर्ज कराई। उनकी जीत में नेता और मतदाता का संबध दुकानदार और ग्राहक जैसा हो गया।
आपकों बता दें कि बहरौली मुखिया अजीत सिंह ने पंचायत में विकास की गंगा बहा दी थी और उनके द्वारा दंभ भरा गया कि पंचायत का बेहतरीन विकास और जनता के सुख-दुख पर ही जनता ने दूसरी बार पंचायत से मुखिया पद पर प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया है। वे फिर से पंचायत का विकास करेंगे और जो भी विकास उनके द्वारा बाकी है और पंचायत चुनाव के समय जो भी वादा किया गया है उस पर काम करेंगे। मामले में जब मीडिया के द्वारा मुखिया द्वारा घोषित विकासशील पंचायत में जीत के बाद आम लोगों की राय ली गई तो कुंवर टोला गांव निवासी सत्येन्द्र सिंह ने बताया कि मुखिया ने विकास करने की जो कोशिश की पर वे मूलभूत सुविधाओं का विकास करने में फिसड्डी साबित हुएं। जिस जल नल योजना पर वे इतरा रहें हैं। वह सम्पन्न घरों तक ही सिमट कर रह गई।
पंचायत में गरीब के घरो तक पहुंचा पर उससे शुद्ध पानी कुछ दिनों तक ही टपका।वही प्रधानमंत्री की लोकप्रिय योजना में शौचालय निर्माण कागजों तक ही सिमटा रहा। पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि बहरौली मुखिया को चुनाव में लोहे के चने चबाने की चुनौती का सामना करना पड़ा है उनकी हार तय करने को विधायक, पूर्व विधायक और जदयू के वरिष्ठ नेता ने पुरजोर कोशिश की पर उन्होंने कठिन परिस्थितियों में जीत दर्ज किया। वही मुखिया अजीत सिंह के द्वारा खेल और खिलाड़ी के लिए पंचायत स्तर पर खेल महोत्सव का आयोजन कराया जिसकी प्रखंड स्तर पर सराहना की गयी पर इस मामले में देवरिया नरौनी टोला की लड़कियों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि पंचायत में खेल का आयोजन किया गया पर उसमें उनको भाग नही लेने का अवसर मिला इससे पंचायत के लड़कियों को कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि वे चाहते तो पंचायत के लड़कियों के लिए पंचायत स्तर पर आयोजन आयोजित कर उनकी प्रतिभा को भी परखने की भी कोशिश की जा सकती है। लड़कियों ने बताया कि उनके इतने बड़े आयोजन से हम लोगों को तो छोड़िए पंचायत वासियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुखिया के पड़ोसी ने बताया कि यदि मुखिया हवा हवाई सपने देखना और पंचायत के लोगों को सपने दिखाना बंद कर दें जो पंचायत की जनता उनकी बातों पर भरोसा करना शुरू कर देंगी पर मुखिया के द्वारा बिना पूरे होने वालें मुद्दों पर ज्यादा फोकस किया जाता है। पंचायत के लोग बताते हैं मुखिया का विकास आपकों देखना है तो प्रखंड, पुलिस और मीडिया स्तर के अधिकारियों से पूछिए। वे मुखिया के विकास को सारण स्तर पर नम्बर वन पर रखेंगे।
पर पंचायत के लोग बताते हैं कि पंचायत में बाढ़ हो या कोरोना जब जरूरत पड़ी वे पंचायत छोड़ गायब हो गए। उनके बारे में एक अफवाह पंचायत में हैं कि बाढ़ के दौरान किसी मुखिया प्रत्याशी के द्वारा बाढ पीडितों को दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराया गया और बाद में मुखिया के द्वारा उसका भुगतान सरकार द्वारा करा लिया गया। वैसे जो भी है पंचायत के लोगों के मन में बैठा भ्रम टूट गया कि बहरौली से कोई भी एक बार ही पंचायत का मुखिया बना हैं। छोड़िए अब चर्चा को समाप्त करते हुए बहरौली मुखिया को दूसरी बार जीत के हार्दिक शुभकामनाएं वे इस बार पंचायत का बेहतरीन विकास करें।
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