छपरा: जिले में सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। अभियान को सफल बनाने को लेकर आईसीडीएस प्रतिदिन नई गतिविधियाँ द्वारा पोषण का संदेश लोगों के बीच पहुंचा रहा है। साथ ही पोषण माह की सफलता को लेकर प्रशासनिक स्तर से लगातार तरह-तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। ताकि पोषण का संदेश जन-जन तक पहुँच सकें और लोग जागरूक हो सकें। आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी वंदना पांडेय ने बताया राष्ट्रीय पोषण माह को सफल बनाने के लिए जन जागरूकता पर बल दिया जा रहा है। इसी क्रम में ही आंगनबाड़ी सेविका द्वारा, मां का दूध अमृत धारा-पीकर बच्चा पुष्ट हमारा, जन जन की यही पुकार- स्वस्थ रहे बिहार, सही पोषण-देश रोशन, पोषण में मुस्कान है-स्वास्थ्य की पहचान है, बच्चे में सफाई का रखें ध्यान-अच्छे मां-बाप का यही पहचान जैसे स्लोगन का दीवार लेखन कर लोगों को पोषण का संदेश दिया जा रहा है। साथ ही इस दौरान किशोरी एवं माताओं को पोषण पर जागरूक करने के लिए आंगनबाड़ी सेविका द्वारा घर-घर जाकर गर्भावस्था में बेहतर पोषण, 4 प्रसव पूर्व जांच, एनीमिया की रोकथाम के लिए किशोरी एवं गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन की गोली जैसे विषयों पर जानकारी दी जा रही है।
समुदाय स्तर पर किया जा रहा जागरूक
डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया लोगों को पोषण के महत्व की जानकारी देने के लिए गाँव स्तर पर भी तरह-तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है और जन-जन तक पोषण संदेश पहुँचाया जा रहा है। ताकि हर लोगों को इसकी जानकारी मिल सकें और लोग जागरूक हो सकें। पोषण माह के तहत सामुदायस्तर पर आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों में हाथ धुलाई, अन्नप्राशन दिवस, गोदभराई एवं प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा दिवस के आयोजन मुख्य रूप से शामिल है।
पोषण के पाँच सूत्रों पर बल
राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक सिद्धार्थ सिंह ने बताया पोषण अभियान का मुख्य उद्देश्य पोषण अभियान को जन-आंदोलन बनाना है ताकि समाज का प्रत्येक वर्ग पोषण की जरूरत को समझ सके। पोषण अभियान के तहत ही सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस पोषण माह में आम लोगों को पोषण पर जागरूक करने के लिए सामुदायिक स्तर पर आयोजित होने वाली गतिविधियों पर ज़ोर दिया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पोषण त्योहार से व्यवहार परिवर्तन के लिए पोषण के पाँच सूत्र दिये गए हैं। जिसमें पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक आहार, अनीमिया प्रबंधन, डायरिया रोकथाम एवं स्वच्छता को शामिल किया गया है।
कुपोषण दर में प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य
पोषण अभियान के तहत विभिन्न विभागों के समन्वय से निर्धारित सीमा के अंदर बच्चों में अल्प वजन, बौनापन एवं दुबलापन की दर में कमी लाई जानी है। योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों के कुपोषण दर में प्रतिवर्ष दो फीसद एवं किशोरी व महिलाओं के एनीमिया दर में प्रतिवर्ष तीन फीसद की कमी लाने की दिशा में संयुक्त प्रयास किया जा रहा है।
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