नई दिल्ली: 26 नवंबर 1949 को देश का संविधान बनकर तैयार हुआ, उसे स्वीकार कर 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया, 26 नवंबर को संविधान को मान्यता मिलने पर उसे स्वीकार करने पर, हम सब लोग 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं! हमारा देश आजाद होने के बाद देश के नेताओं ने मिलकर देश के कोने कोने से बुद्धिमान एवं योग्य नेताओं एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की एक संविधान सभा गठित की जिसके अध्यक्ष हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को बनाया गया, विश्व के सारे संविधानों का अध्ययन करने के पश्चात भारत के संविधान का निर्माण हुआ, संविधान के प्रावधानों एवं नियमों को एक सूत्र में बांधने के लिए संविधान की प्रारूप समिति का गठन हुआ, संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ आंबेडकर बनाए गए, डॉक्टर अंबेडकर ने भारत के संविधान की ड्राफ्टिंग की तथा हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ। संविधान में सुधार की गुंजाइश रखी गई, देश की संसद को इसमें सुधार की जिम्मेवारी दी गई, देश आजाद होने के बाद आवश्यकता पड़ने पर 100 से अधिक बार संविधान संशोधन किए गए हैं, इस प्रकार हमारा संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान बना हुआ है।
हमारे देश में संविधान का राज है, हमारे देश की विधायिका अर्थात लोकसभा, राज्यसभा, विभिन्न राज्यों की विधानसभा के सदस्य कानून के दायरे में निर्वाचित होते हैं, यही लोग देश का कानून बनाते हैं। हमारे देश में पंच से लेकर प्रधानमंत्री तक कानून के दायरे में कानून की मंशा के अनुसार चुना जाता है। दूसरा स्तंभन न्यायपालिका मैं भृत्य से लेकर भारत के प्रधान न्यायाधीश तक का चुनाव कानून के दायरे में कानून की मंशा अनुसार किया जाता है। इसी प्रकार हमारे देश की कार्यपालिका जिसमें चपरासी से लेकर भारत के मुख्य सचिव तक का चयन कानून के दायरे में कानून की मंशा के अनुसार किया जाता है।
भारतीय संविधान की मंशा के अनुसार विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का गठन होता है तथा भारतीय संविधान की मंशा के अनुसार ही हमारे देश की यह सभी संस्थाएं कार्य करती है, इसी कारण हमारे देश में भारत का कोई भी नागरिक संविधान के दायरे में कानून की मंशा के अनुसार देश का प्रधानमंत्री, देश का मुख्य न्यायाधीश, एवं देश का मुख्य सचिव बनने का हकदार है, यही हमारे देश के संविधान की विशेषता है, भारत के हर नागरिक को कानून के दायरे में इसे प्राप्त करने का अधिकार है।संविधान दिवस के अवसर पर भारत के हर नागरिक को यह जानना चाहिए कि, हमारा देश संविधान के दायरे में, उनकी मंशा के अनुसार कानून से चलता है, नियम से चलता है, भारत के हर नागरिक को नियम कानून के अनुसार देश की विधायिका, न्यायपालिका एवं कार्यपालिका का अंग बनने का अधिकार है ।
भारत के हर नागरिक को देश चलाने की पात्रता प्राप्त करने का अधिकार हैं । भारतीय संविधान ने हमें सभी मौलिक अधिकार दिए हैं, इसके साथ ही हमारे मौलिककर्तव्य भी निश्चित किए हैं। संविधान ने इसके साथ ही डायरेक्टिव प्रिंसिपल स्टेट पॉलिसी के माध्यम से राज्य को सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए नीति बनाने के अधिकार भी दिए हैं। पिछले 70 वर्षों में महत्वपूर्णसंविधान संशोधन हुए हैं , उनमें 42 वा, 44 वा, 73 वा, 74 वा, 86 वा, 91 वा, 101 वा संशोधन ने जनता को महत्वपूर्ण अधिकारियों सुवधा प्रदान की है जैसे कि, 18 वर्ष में मताधिकार, पंचायती राज, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा आदि शामिल है। हम सभी को संविधान में आस्था रखते हुए अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग करना है इसके साथ ही अपने कर्तव्य का भी निर्वहन करना है।
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