✍️परवेज अख्तर/सिवान: बसंतपुर रमजान के महीने में लगातार 30 दिनों तक रोजा रखने की सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि मेडिकल साइंस के नजरिए से इंसान के जीवन में इसकी काफी अहमियत है। यह बातें प्रखंड के नगौली मस्जिद के मौलाना नेहालुद्दीन ने कही। उन्होंने कहा कि इंसान के शरीर में मेदा (आंत) एक ऐसा कोमल अंग है, इसकी सुरक्षा नहीं की जाए तो इससे विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं, इसलिए रोजा मेदा के लिए अचूक औषधि है, जिसे वैज्ञानिक और चिकित्सक स्वीकार करते हैं।
उन्होंने कहा कि शरीर और रूह दोनों के लिए रोजे आवश्यक हैं। चिकित्सकों का कहना है कि रोजा रखने से मेदा साफ और पाक हो जाते हैं। पेट जब खाली होते हैं, तो उसमें पाए जानेवाले जहरीले कीटाणु स्वयं मर जाते हैं। रोजे से वजन की अधिकता, पेट में चर्बी की ज्यादती, शुगर, ब्लड प्रेशर, घुटने का दर्द, हृदय रोग, स्मरण शक्ति के लिए अचूक औषधि है। रोजा प्रत्येक मुस्लिम के लिए जरूरी बताया गया है। रमजान का महीना दिल, दौलत, फर्ज तथा गरीबों की मदद का सीख देता है।
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