सुधाकर तिवारी/गोपालगंज : भागवत कथा कल्पवृक्ष की तरह है| यह हमें सत्य से परिचय कराती है। कलयुग में तो भागवत कथा की अत्यंत आवश्यकता है। उक्त बातें रविवार को मीरगंज शहर के प्राचीन औघड़दानी शिव मंदिर के परिसर में चल रहे भागवत कथा सह प्रवचन कार्यक्रम के समापन अवसर पर महर्षि श्री श्री दास जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहीं। उन्होंने राजा परीक्षित के सर्पदंश और कलयुग के आगमन की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित बहुत ही धर्मात्मा राजा थे। उनके राज्य में कभी भी प्रजा को किसी भी चीज की कमी नहीं थी। एक बार राजा परीक्षित आखेट के लिए गए, वहां उन्हें कलयुग मिल गया। कलयुग ने उनसे राज्य में आश्रय मांगा, लेकिन उन्होंने देने से इन्कार कर दिया। बहुत आग्रह करने पर राजा ने कलयुग को तीन स्थानों पर रहने की छूट दी। इसमें से पहला वह स्थान है, जहां जुआ खेला जाता हो, दूसरा वह स्थान है।
जहां पराई स्त्रियों पर नजर डाली जाती हो और तीसरा वह स्थान है, जहां झूठ बोला जाता हो। लेकिन राजा परीक्षित के राज्य में ये तीनों स्थान कहीं भी नहीं थे। तब कलयुग ने राजा से सोने में रहने के लिए जगह मांगी। जैसे ही राजा ने सोने में रहने की अनुमति दी, वे राजा के स्वर्णमुकुट में जाकर बैठ गए। राजा के सोने के मुकुट में जैसे ही कलयुग ने स्थान ग्रहण किया, वैसे ही उनकी मति भ्रष्ट हो गई। कलयुग के प्रवेश करते ही धर्म केवल एक ही पैर पर चलने लगा। लोगों ने सत्य बोलना बंद कर दिया, तपस्या और दया करना छोड़ दिया। अब धर्म केवल दान रूपी पैर पर टिका हुआ है। यही कारण है कि आखेट से लौटते समय राजा परीक्षित श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंच कर पानी की मांग करते हैं। उस समय श्रृंगी ऋषि ध्यान में लीन थे। उन्होंने राजा की बात नहीं सुनी, इतने में राजा को गुस्सा आ गया और उन्होंने ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया। जैसे ही उनका ध्यान समाप्त हुआ, उन्होंने राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दे दिया।
श्री दास जी ने कहा कि हम सब कलयुग के राजा परीक्षित हैं, हम सभी को कालरूपी सर्प एक दिन डस लेगा| राजा परीक्षित श्राप मिलते ही मरने की तैयारी करने लगते हैं। इस बीच उन्हें व्यासजी मिलते हैं और उनकी मुक्ति के लिए श्रीमद्भागवत् कथा सुनाते हैं। व्यास जी उन्हें बताते हैं कि मृत्यु ही इस संसार का एकमात्र सत्य है। श्रीमद् भागवत की कथा हमें इसी सत्य से अवगत कराया जाता है।इधर, भागवत कथा समापन के दिन कथा का श्रवण करने के लिए श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। व्यवस्था में । न्यास कमेटी के विनोद व्यास, रितेश कुमार, विंदेश्वरी बारी, विजय कुमार, पंकज पटेल, विकास कुशवाहा, प्रिंस उपाध्याय, संजय कुमार, त्रिभुवन केसरी, संदीप सोनी, मेघू जी प्रसाद, अनिल सोनी आदि थे।
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