छपरा: जिले के साथ देश को टीबी जैसी गंभीर बीमारी से मुक्ति दिलाने मे आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की मजबूत इकाई होती है। उक्त बातें डॉ. संतोष कुमार ने गड़खा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा कार्यकर्ताओं की सप्ताहिक बैठक में कही। उन्होने कहा वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । उन्होंने बताया है इसी को लेकर केंद्र सरकार विभिन्न योजनाएं बनाकर उन पर गंभीरतापूर्वक कार्य कर रही है। योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने का भी पूरा प्रयास किया जा रहा है। अभी हाल ही में टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान चलाया गया जो कि जनवरी में संपन्न हुआ था।गड़खा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा कार्यकर्ताओं की सप्ताहिक बैठक की गयी जिसमें उनके कार्यों की समीक्षा की गयी। इसी दौरान टीबी बिमारी विषय पर विशेष रूप से चर्चा की गयी। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से टीबी जागरूकता का आयोजन किया गया।
क्षेत्र में टीबी के मरीजों की करें पहचान
सीनियर टीबी सुपरवाइजर राजीव कुमार ने कहा टीबी एक संक्रामक रोग है, जो शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। मुख्य तौर पर यह बीमारी फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने एवं थूकने से फैलती है। दो सप्ताह या इससे अधिक समय तक खांसी, बलगम और बुखार, बलगम या थूक के साथ खून आना, छाती में दर्द की शिकायत, भूख कम लगना, वजन में कमी आना आदि इसके लक्षण हैं। अगर किसी भी व्यक्ति में ये लक्षण पाए जाएं तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर बलगम की मुफ्त जांच करवाएं।
टीबी मरीजों का फॉलोअप जरूरी
केयर इंडिया के बीएम प्रशांत कुमार सिंह ने कहा अपने-अपने क्षेत्र के टीबी के मरीजों का रेगूलर फॉलोअप करते रहना चाहिए। इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना जरुरी है कि टीबी मरीज नियमित रूप से दवा का सेवन कर रहा है या नहीं। अगर कोई मरीज दवा अधूरा छोड़ देता है तो उसे एमडीआर टीबी हो सकता है। इसी लिए मरीजों को जागरूक करते रहें ताकि कोई भी दवा बीच में ना छोड़ें। अगर कोई टीबी का मरीज ठीक हो गया है और उसे फिर कोई समस्या हो रही है तो उसके स्वास्थ्य केंद्र पर लाकर जांच जरूर कराएं।
सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर टीबी मरीजों का नि:शुल्क उपचार
लैब तकनीशियन अमरेंद्र कुमार ने बताया टीबी बीमारी होने पर घबराना नहीं चाहिए।बल्कि, लक्षण दिखते ही स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान में जाँच करानी चाहिए।दरअसल, यह एक सामान्य बीमारी है और समय पर जाँच कराने से आसानी के साथ बीमारी से स्थाई निजात मिल सकती है।इसके लिए अस्पतालों में मुफ्त समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है।इसलिए, किसी को इलाज के लिए खर्च की भी चिंता करने की जरूरत नहीं है।इसके अलावा सरकार द्वारा सहायता राशि भी दी जाती है। चिन्हित टीबी मरीज को ईलाज के दौरान उनके बेहतर पोषण के लिए प्रति माह 500 रूपये की सहायता राशि भी दी जाती है. इस मौके पर डॉ. संतोष कुमार, डॉ. रूपेश पांडेय, स्वास्थ्य प्रबंधक राकेश कुमार सिंह, केयर इंडिया के बीएम प्रशांत कुमार सिंह, सीनियर टीबी सुपरवाइजर राजीव कुमार, यूनिसेफ बीएमसी अफजल, मारूति करूणाकर, सीएचसी रोहित कुमार, आईसीटी शमीर कुमार समेत अन्य मौजूद थे।
परवेज अख्तर/सिवान: शहर के सिसवन ढाला लक्ष्मीपुर हनुमान मंदिर में मंगलवार की देर संध्या श्रीमाता…
परवेज अख्तर/सिवान: नगर थाना की पुलिस ने चोरी की एक बाइक के साथ एक चोर…
परवेज अख्तर/सिवान: जिले के असांव थाना क्षेत्र के छितनपुर गांव में बुधवार को बंटवारे को…
परवेज अख्तर/सिवान: बरौनी से लखनऊ को जाने वाली 15203 एक्सप्रेस ट्रेन पर बुधवार की रात्रि…
परवेज अख्तर/सिवान: जी. बी. नगर थाना क्षेत्र के सलाहपुर भगवानपुर गांव नहर के पास बुधवार…
परवेज अख्तर/सिवान: जिले में हथियार लहराना और हथियार के साथ फोटो खींच इंटरनेट मीडिया पर…