परवेज अख्तर/सिवान: शहर के राजवंशी देवी बालिका उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज में रविवार को पीडीपीईटी पाठ्यक्रम के प्रशिक्षु शिक्षकों के कार्यशाला के दौरान भारतीय राजव्यवस्था में बच्चों के अधिकारों पर चर्चा की गई। चर्चा की शुरुआत करते हुए साधनसेवी प्रकाश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि वैसे तो हम सभी ने मानव अधिकारों के बारे में पढ़ा या सुना होगा लेकिन बच्चों के अधिकारों के बारे में लोग कम ही बात करते हैं क्योंकि लोग ये सोचते हैं कि ये तो बच्चे हैं इनके क्या अधिकार हो सकते हैं। लेकिन हमें बच्चों के अधिकारों के बारे में जानना चाहिए। द्विवेदी ने बताया कि वह पुरुष जिसकी उम्र 21 वर्ष और वह महिला जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है, उसे बच्चे की श्रेणी में रखा गया है। राकेश कुमार सिंह ने बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 के बारे में बताया कि देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006, को 1 नवंबर 2007 से लागू किया गया था। मुन्ना कुमार ने बताया कि बच्चों के सबसे महत्वपूर्ण अधिकार नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। इसे 68वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21-ए को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया है, जिसके तहत 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। चर्चा में स्मिता राय ने बाल तस्करी, कल्याणी देवी ने किशोर न्याय,रीना कुमारी ने बाल यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2012 पर अपने विचार व्यक्त किए। सुनीता कुमारी ने बताया कि हम सभी लोगों का यह परम कर्तव्य है कि हम बच्चों का बचपन छीनने की कोशिश ना करें और उनके अधिकारों का सम्मान करें ताकि देश के भविष्य को उज्जवल किया जा सके।
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