गोपालगंज: जिले के भोरे प्रखंड क्षेत्र के तमाम गांवों में शुक्रवार को ग्यारहवीं शरीफ मनाई गई।इस मौके पर गौस-ए-पाक के नाम पर फातिहा दी गई।इस मौके पर क्षेत्र के कावे गांव स्थित मस्जिद परिसर में जुम्मा की नमाज से पहले आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मौलाना अब्दुल हकीम ने कहा कि गौस-ए-पाक पीरों के पीर हैं।इसलिए उन्हें बड़े पीर साहब के नाम से जाना जाता है। उनका असली नाम शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी था।उनका मजार इराक के बगदाद में है।वे सदा खुदा की इबादत में मशगूल रहा करते थे।गौस-ए-पाक ने अपनी मां की पेट में ही सुनकर बाइस पारा कुरान याद कर लिया था।बड़े पीर साहब ने पूरी दुनिया को सच्चाई की राह दिखाया।एक बार बचपन में काफिले के साथ सफर करते वक्त रास्ते में डाकुओं ने काफिले में शामिल लोगों के साथ लूट-पाट शुरू कर दिया।
डाकुओं ने जब पूछा कि ऐ बालक तेरे पास भी कुछ है, तो शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी ने जवाब दिया कि हाँ, मेरे पास चालीस अशरफियां हैं,जिसे मेरी मां ने सदरी के नीचे सिलाई कर के रख दिया है।डाकुओं के सरदार ने पूछा कि तुमने इस छिपे हुए खजाने का पता क्यों बताया,तो बड़े पीर साहब ने जवाब दिया कि घर से चलते वक्त मेरी मां ने नसीहत दी थी कि बेटा!कभी भी झूठ मत बोलना।इससे प्रभावित होकर डाकुओं ने लूटी हुई सामान वापस कर उसी दिन से लूट-पाट करना छोड़ दिया।लिहाजा गौस-ए-पाक की एक नजर हमारी जिंदगी को बदलने के लिए काफी है।कार्यक्रम में मुख्य रूप से असगर अंसारी, बेचू अंसारी,नईम अंसारी,मुहम्मद अली जान,हाफिज रहमतुल्लाह,सफीउल्लाह अंसारी, मुहम्मद इस्लाम, फरीदन,मुर्तुजा हुसैन,कवि मकसूद अहमद भोपतपुरी आदि मौजूद रहे।
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