परवेज अख्तर/सिवान: जिले के गुठनी प्रखंड में कई जगहों पर सामुदायिक भवन व यज्ञशाला में चल रहे स्कूल सरकार के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावे की पोल खोल रहे हैं। वैसे तो विभाग का दावा है कि सरकारी स्कूलों में सुविधाएं निजी स्कूलों से कमतर नहीं है। बावजूद जमीनी हकीकत कुछ दूसरी ही कहानी कह रही है। आलम यह है कि बच्चों की परेशानी देख अभिभावकों को अपने नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय लग रहा है। उनमें विभाग के खिलाफ आक्रोश भी है। वे अपने बच्चों का नामांकन निजी स्कूलों में कराने की सोच रहे हैं। शुरुआती दौर में प्रखंड में शिक्षा मित्र, लोक शिक्षक व पंचायत शिक्षक के माध्यम से लगभग सभी नए प्राइमरी स्कूलों को चलाने का कार्य शुरू भी कर दिया गया था। देहाती क्षेत्र के सुदूर गावों में घर-घर से बच्चे बुलाकर नए विद्यालयों में पठन पाठन शुरू हुआ। जिस गांव के छात्र 5 से 6 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते थे उन छात्रों को इन विद्यालयों से बहुत लाभ हुआ। नजदीक विद्यालय हो जाने से अधिकाधिक छात्र विद्यालय जाने लगे। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकी, क्योंकि कहीं जमीन के अभाव में तो कहीं विवादित हो जाने के कारण 11 वर्ष बाद भी नए विद्यालयों को अपना भवन नसीब नहीं हुआ। इतना ही नहीं ठीक तरह से चल रहे विद्यालयों को भी भवन के आभाव में नजदीकी विद्यालयों में शिफ्ट कर दिया गया। जिससे गांव से दूरी होने के कारण अधिकांश बच्चे फिर से प्राथमिक शिक्षा से वंचित हो गए। सरकारी आंकड़े के मुताबिक केवल गुठनी प्रखंड में वर्ष 2006 में कुल 26 नए प्राइमरी स्कूल खोले गए। सभी विद्यालयों को मध्याह्न भोजन, छात्रवृत्ति समेत सभी सरकारी सुविधाएं भी मिलने लगीं। बीईओ तारकेश्वर गुप्ता ने बताया कि वरीय पदाधिकारियों के निर्देशानुसार सभी भवनहीन स्कूलों को नजदीकी विद्यालयों में शिफ्ट कर दिया गया है।
अधिकांश गांवों में जमीन मिलने से नए भवन का निर्माण
अधिकांश गांवों में जमीन मिलने से नए भवन का निर्माण भी हो गया। लेकिन चार विद्यालयों को नजदीकी विद्यालयों में शिफ्ट कर दिया गया। बाकी कई विद्यालय पुराने सरकारी भवनों में चलाए जा रहे हैं। बीआरपी नन्द लाल प्रसाद ने बताया कि खड़ौली व तीर बलुआ में सामुदायिक भवन में विद्यालय चलता है। वही सोहगरा पूरब पट्टी का विद्यालय यज्ञशाला में चलता है। बाकी सोनहुला तिवारी टोला, कल्याणी व मैरिटार के प्राथमिक विद्यालय को बगल के विद्यालयों में शिफ्ट कर दिया गया है।
शिफ्ट होने के बाद भी बच्चों की बढ़ी परेशानी
भले ही भवनहीन नए प्राथमिक विद्यालयों को नजदीकी प्राथमिक विद्यालयों में शिफ्ट करके विभाग अपना पल्ला झाड़ लिया हो लेकिन विद्यालयों की हालत में किसी तरह का सुधार नहीं हुआ है। स्कूलों में न तो उन्हें पर्याप्त कमरें ही उपलब्ध हुए नहीं बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की तैनाती ही की गई। हेडमास्टरों की माने तो पूर्व से ही सभी विद्यालयों में कमरों का अभाव है। वहीं दूसरे विद्यालय को शिफ्ट कर देने से और परेशानी बढ़ गयी है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार ने बताया कि सभी समस्याओं से वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है। बच्चों को हरसंभव बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है। शीघ्र समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा।
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