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बड़हरिया में शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में गड़बड़झाला

  • बड़हरिया में नियोजन में गड़बड़ी के लिए मुख्य रूप से डीपीओ स्थापना व प्रमुख पति को दोषी पाया गया है
  • नियोजन में गड़बड़ी के लिए डीपीओ स्थापना व प्रमुख पति निशाने पर
  • तत्कालीन डीपीओ एमडीएम ने नहीं किया सही से दायित्वों का निर्वहन
  • 16 परिवादियों के परिवाद पर जांच कर डीएम को सौंपी गई रिपोर्ट
  • 35 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग के बाद भी पंजी क्लोज नहीं किया

परवेज अख्तर/सिवान: बड़हरिया में हुए शिक्षक नियोजन में गड़बड़झाला का भंडाफोड़ किया गया है। डीएम के हस्तक्षेप के बाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विपिन राय ने जांच में पाया कि बड़हरिया में खेला की कोशिश की गई जिसे चयनित अभयर्थियों की शिकायत पर उजागार किया गया है। प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई के वर्ग एक से पांच तक की चयन सूची एनआईसी पर अपलोड नहीं करने के मामले में 16 परिवादियों के परिवाद पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने मामले की जांच कर डीएम को रिपोर्ट सौंपी है। जांच के क्रम में बड़हरिया प्रखंड प्रमुख व उनके पति, डीईओ, डीपीओ स्थापना व डीपीओ एमडीएम को गड़बड़ी का दोषी बताया गया है। बड़हरिया में नियोजन में गड़बड़ी के लिए मुख्य रूप से डीपीओ स्थापना व प्रमुख पति को दोषी पाया गया है। बताया जा रहा कि नियोजन कैंप की निगरानी की जिम्मेदारी डीपीओ एमडीएम को थी, लेकिन उन्होंने भी अपने दायित्वों का निर्वहन सही से नहीं किया। जांच रिपोर्ट के अनुसार बड़हरिया बीडीओ, बीईओ व बीएसओ के बयान, दस्तावेज व महिला अभ्यर्थियों द्वारा दिखलाए गए प्रमाणपत्र के आधार पर प्रथम दृष्टया चयनित अभ्यर्थियों के आरोप प्रमाणित हुए हैं। बता दें कि दिव्यांग अभ्यर्थी की उपस्थिति के बाद भी उसकी काउंसलिंग नहीं कराने व बड़हरिया प्रमुख पति द्वारा बीडीओ पर दबाव डालकर दिव्यांगजन की काउंसलिंग नहीं करने की जानकारी देते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द करने की अनुशंसा की गई है। लेकिन जांच में 35 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग के बाद सरकार व डीएम के आदेश के बावजूद डीईओ द्वारा पंजी को क्लोज नहीं करने व डीईओ के आदेश का पालन तत्कालीन डीपीओ एमडीएम द्वारा नहीं करने की बात उजागर हुई। डीपीओ एमडीएम ने उपस्थिति पंजी पर अपना हस्ताक्षर किया लेकिन यह नहीं देखा कि प्रमुख ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किया। जांच में तत्कालीन डीपीओ एमडीएम का प्रखंड प्रमुख के प्रभाव में आकर कार्य करने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। इधर, डीपीओ स्थापना पर जिले में प्रथम व द्वितीय चरण में बिना नियोजन इकाई का पक्ष जाने नियोजन रद्द करने की बात सामने आई है।

बड़हरिया प्रखंड प्रमुख व उनके पति की भूमिका संदिग्ध

जांच के क्रम में बड़हरिया प्रखंड प्रमुख व उनके पति की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। नियोजन इकाई की अध्यक्ष होने के बावजूद प्रमुख ने काउंसलिंग पंजी पर हस्ताक्षर नहीं किया। वहीं डीईओ द्वारा नामित तत्कालीन डीपीओ एमडीएम दिलीप कुमार के समक्ष कोई आपत्ति दर्ज की। जांच रिपोर्ट में इस बात की चर्चा की गई है कि काउंसलिंग प्रक्रिया के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख को यदि लगा कि दिव्यांग का नाम नहीं पुकारा गया तो तुरंत काउंसलिंग रोकते हुए मेधा सूची में अंकित दिव्यांग अभ्यर्थियों का नाम पुकार करवाना चाहिए था, लेकिन प्रमुख ने ऐसा नहीं किया। उल्टे बड़हरिया बीडीओ को प्रमुख के पति ने धमकाते हुए डीपीओ स्थापना से पत्र लिखकर काउंसलिंग रद्द करने की अनुशंसा कर दी। नियोजन इकाई के सदस्य व बड़हरिया बीडीओ व बीईओ ने लिखित बयान दिया कि प्रमुख ने न तो उपस्थिति पंजी देखीं न उसे क्लोज ही किया। यहां तक की उपस्थिति पंजी को क्लोज करने तक कोई आपत्ति भी प्राप्त नहीं हुई।

काउंसलिंग के बावजूद एनआईसी पर चयन सूची प्रकाशित नहीं

4 सितंबर को नितेश कुमार पटेल समेत 16 परिवादियों के परिवाद पत्र पर जांच की गई। परिवादियों का आरोप है कि एक साजिश के तहत चयन सूची प्रकाशित नहीं की गई। परिवाद पत्र में परिवादियों का आरोप था कि काउंसलिंग के बावजूद उनकी चयन सूची को जिले के एनआईसी पर प्रकाशित नहीं किया गया। संपर्क करने पर 27 अगस्त को डीपीओ स्थापना ने बताया कि बीडीओ बड़हरिया ने नियोजन रद्द करने की अनुशंसा की है, इसलिए उनके चयन सूची का प्रकाशन नहीं किया गया। परिवादियों का कहना था कि 28 अगस्त को प्रखंड प्रमुख से संपर्क किए तो प्रमुख पति ने सभी का नाम व मोबाइल नंबर पूछ कर अपनी डायरी पर लिखा। शाम में मोबाइल पर कॉल कर महादेवा बुलाते हुए सभी चीजों के लिए तैयार रहने को कहा। 29 अगस्त की सुबह 7 बजकर 38 मिनट पर प्रमुख पति ने फोन कर घुर बुलाते हुए मैनेज करने को तैयार रहने के लिए कहा।

शिक्षा मंत्री से नियोजन प्रक्रिया की जांच कराने की उठी थी मांग

पंचायत शिक्षक नियोजन की मेधा सूची में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत करते हुए बीजेपी के पूर्व जिला महामंत्री व सांसद प्रतिनिधि अनुरंजन मिश्र ने इसकी शिकायत शिक्षा मंत्री से 14 जुलाई को की थी। आवेदन में पंचायत शिक्षक नियोजन प्रक्रिया की जांच कराने व मेधा सूची फिर से बनाने की मांग की गई थी। साथ ही नए सिरे से शिक्षक नियोजन कराने को कहा गया था। बड़हरिया प्रखंड के 21 पंचायतों के शिक्षक नियोजन में निर्वतमान बीडीओ द्वारा मेधा सूची निर्माण कराने व नियोजन में धन उगाही की शिकायत की गई थी। कहा गया था कि पंचायत में दो शिक्षक प्रतिनियुक्त कर पंचायत सचिव द्वारा मेधा सूची बनाई गई थी। मेधा सूची बनाने के बाद सूची अपलोड नियमानुसार दो दिन पहले काउंसलिंग के करना था। काउंसलिंग 12 जुलाई को हुई जबकि सूची 11 जुलाई को रात्रि में अपलोड की गई। इससे बहुत से अभ्यर्थियों को इसकी जानकारी नहीं हो सकी। 12 जुलाई को जीएम हाई स्कूल परिसर में काउंसलिंग हुई। इसमें 70 प्रतिशत प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का चयन हुआ, लेकिन 75, 76, 80 प्रतिशत प्राप्त अभ्यर्थियों का चयन नहीं हुआ। मेधा सूची बनाने से लेकर काउंसलिंग तक के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई।

क्या कहते प्रमुख पति

बड़हरिया प्रमुख पति प्रदीप सिंह ने बताया कि ऐसे मामले की जानकारी न प्रमुख को है न प्रमुख पति को। ऐसे किसी मामले को लेकर नोटिस भी प्रमुख को नहीं की गई है। अखबार के माध्यम से मामले की जानकारी अभी मिल रही है। नियोजन समिति की अध्यक्ष के नाते प्रमुख व समिति के सचिव ने नियोजन में अनियमिता को देखते हुए आवेदन से रद्द करने के लिए पत्र भेजा है।

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