परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के नौतन थाना क्षेत्र के गलिमापुर में खूनी संघर्ष को अगर पुलिस चाहती तो रोका जा सकता था । जिस तरह एक महिला ने मीडिया को बताया उससे यह लगता है कि पुलिस अगर गलिमापुर जमीनी विवाद में सक्रियता दिखाई होती तो खूनी संघर्ष और एक व्यक्ति की हत्या होने से रोक सकती थी। क्योंकि उक्त मामले में 20 दिनों पूर्व में जब दोनों पक्ष आमने सामने आ गए थे। तब पुलिस ने 144 के तहत मामला दर्ज कर सिर्फ औपचारिकता निभाई ।
जबकि उसी समय दोनों पक्षों में स्थिति तनावपूर्ण थी और वह तनाव दिनोंदिन बढ़ता रहा । लेकिन पुलिस ने स्थिति की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए उस हद तक पहुंचा दिया जहाँ दोनों पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया और एक युवक भेंट चढ़ गया । बता दें कि थाना क्षेत्र के गलिमापुर में जमीनी विवाद को लेकर सोमवार को दो समुदायों के बीच जमकर मारपीट हो गई, जिसमें एक युवक की मौत हो गई।
जबकि दोनों पक्षों से महिलाओं सहित दर्जन भर लोग घायल हो गए। इस मामले में एक महिला ने मीडिया को बताया कि दूसरे पक्ष द्वारा लड़ाई-झगड़ा करने पर पुलिस से शिकायत किया गया तो पुलिस ने यह कहते हुए भगा दिया कि ‘भाग जाओ नहीं तो मारेंगे; जब मर जाओगे तो पोस्टमार्टम कराने के आ जाएंगे।’ इस बात से तो पुलिस की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है।
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