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Friday, July 11, 2025
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पोषण अभियान: बच्चे के जन्म के छह माह के बाद स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार भी जरूरी

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  • जन्म के छ्ह माह तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार
  • स्तनपान से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का होगा विकास
  • भोजन बनाते या बच्चे को खिलाते समय हाथों की करें सफाई
  • व्यक्तिगत स्वच्छता का रखें पूरा ख्याल

छपरा: सिंतबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से तमाम गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। पोषण के प्रति समुदाय स्तर पर आंगनबाड़ी सेविका और आशा जागरूकता फैला रही हैं। जन्म के छ्ह माह तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार माना जाता है। माँ का दूध न केवल पचने में आसान होता है बल्कि इससे नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। लेकिन 6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान से बच्चे के आवश्यक पोषण की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसके बाद बच्चे के भोजन में अर्द्धठोस व पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। ऊपरी आहार का यह संदेश आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा दिया जा रहा है। आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने कहा कि बच्चों को समय से ऊपरी आहार देने की आवश्यकता होती है। इस उम्र में बच्चे की लंबाई और वजन बढ़ता है। बच्चों के हड्डियों की लंबाई बढ़ती है, शरीर में मांस बढ़ता है और शरीर के सभी अँदरूनी अंग भी बढ़ते हैं। बच्चे को विकास के लिए बहुत सारे कार्बोहाइड्रेट(ऊर्जा), फैट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल आदि की जरूरत होती है और यह जरूरत उसे ऊपरी आहार देकर ही पूरी हो सकती है।

बच्चे के छह माह के होने के बाद ऊपरी आहार जरूरी

डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया बच्चे के छह माह का होने के बाद से ऊपरी आहार की शुरुआत करें। प्रारम्भ में बच्चे को नरम खिचड़ी व मसला हुआ आहार 2-3 चम्मच रोज 2 से 3 बार दें। फिर 9 माह तक के बच्चों को मसला हुआ आहार, दिन में 4-5 चम्मच से लेकर आधी कटोरी व दिन में एक बार नाश्ता, 9-12 महीने के बच्चों को अच्छी तरह से कतरा व मसला हुआ आहार जो बच्चा अपनी अंगुलियों से उठा कर खा सके, देना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को दिन में पौन कटोरी 1 -2 बार नाश्ता तथा उतनी ही कटोरी भोजन 3-4 बार देना चाहिए। 12 से 24 माह तक के बच्चों अच्छी तरह से से कतरा, काटा व मसला हुआ ऐसा खाना जो कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बनता हो देना चाहिए। इस आयु में बच्चे को कम से कम एक कटोरी नाश्ता दिन में 1 से 2 बार व भोजन 3-4 बार दें।

संक्रमण से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरुरत

डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया पहले दो साल में जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वह खांसी, जुकाम दस्त जैसी बीमारियों से बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चे को इन सभी संक्रमणों से बचने और लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। यदि 6 माह के बाद बच्चा सही से ऊपरी आहार नहीं ले रहा है तो वह कुपोषित हो सकता है और कुपोषित बच्चों में संक्रमण आसानी से हो सकता है। बच्चे को ताजा व घर का बना हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए।

स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी

भोजन बनाने व बच्चे को भोजन कराने से पहले साबुन से हाथ धो लेने चाहिए। बच्चे का भोजन बनाने व उसे खिलाने में सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अच्छे से पानी से धोने के बाद ही फल व सब्जियों को उपयोग करना चाहिए। जिस बर्तन में बच्चे को खाना खिलायेँ वह साफ होना चाहिये।

धैर्य के साथ खिलायें खाना

डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया बच्चे को प्रतिदिन अनाज, दालें, सब्जियों व फलों को मिलाकर संतुलित आहार खिलायें। बच्चों को विभिन्न स्वाद एवं विभिन्न प्रकार का खाना खाने को दें क्योंकि एक ही प्रकार का खाना खाने से बच्चे ऊब जाते हैं। खाना कटोरी चम्मच से खिलाएँ। बच्चे को खाना बहुत धैर्य के साथ खिलाना चाहिये, उससे बातें करनी चाहिए। जबर्दस्ती बच्चे को खाना नहीं खिलाना चाहिए। खाना खिलाते समाय पूरा ध्यान बच्चे की ओर होना चाहिए। खिलाते समय टीवी, रेडियो आदि न चलाएँ।

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स्वस्थ मन है जीवन का सबसे बड़ा धन, कोरोना काल में खुद रखें मानसिक तनाव से दूर

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  • मानसिक तनाव से संबंधित परार्मश के लिए टॉल फ्री नंबर 080-46110007 पर कॉल करें
  • स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने पोस्टर जारी कर किया जागरूक

छपरा: कोरोना संकट काल में लोगों में मानसिक तनाव की समस्या भी सामने आ रही है। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बारे में जान कर एवं इसे लागतार टेलीविजन के जरिए देखने और सुनने के कारण लोगों के मन में कई तरह चिंतायें आ रही है. लोग अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं. जो लोगों में तनाव एवं अवसाद पैदा कर रहा है. इसलिए जरुरी है कि ऐसे दौर में लोग अपना ख्याल रखें. शारीरिक एवं मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रखें. लक्षणों को समझें एवं सतर्क रहें। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। साथ ही कोरोना के उपाचाराधीन मरीजों को मानसिक तनाव से दूर रहने के लिए कर्मियों द्वारा काउंसलिंग भी की जा रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी पोस्टर जारी कर कोरोना काल में मानसिक तनाव से दूर रहने की सलाह दी है। इसके साथ ही मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्तियों के लिए निमहांस की ओर से टॉल फ्री नंबर भी जारी किया गया जिसपर कॉल करके मानसिक तनाव से जुड़ी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। निमहासं द्वारा जारी टॉल फ्री नंबर 080-46110007 पर कॉल कर मानसिक समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

ये हैं मानसिक तनाव के लक्षण

जय प्रकाश विश्वविद्यालय के जेपीएम कॉलेज के साइकोलॉजिकल विभाग सहायक प्रोफेसर डॉ. नीतू सिंह ने बताया कि तनाव होने के कारण शारीरिक एवं मानसिक दोनों स्तर पर बदलाव देखने को मिलते हैं। तनाव होने के कारण शरीर स्तर पर अधिक पसीना का आना, अत्यधिक थकान का होना, मुँह का बार-बार सूखना एवं साँस लेने में तकलीफ़ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जबकि तनाव से मानसिक स्तर पर भी बदलाव आते हैं, जिसमें अत्यधिक चिंता एवं ध्यान केन्द्रित करने में समस्या होती है।

मानसिक तनाव को दूर करने में मेडिटेशन कारगर

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि मेडिटेशन हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में हमारी मदद करता है, वहीं नकारात्मक विचार भी मन में नहीं आते जिससे हम मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ तो रख ही सकते हैं, साथ ही सूकून भी मिलता है और ऐसे वक्त में हमें मेडिटेशन की बहुत जरूरत है ताकि हम खुद को इन विचारों से दूर रख सकें। इन्हें खुद पर हावी न होने दें। मेडिटेशन से कई फायदे होते हैं, जैसे भावनात्मक स्थिरता में सुधार, रचनात्मकता में वृद्धि, प्रसन्नता में संवृद्धि, मानसिक शांति एवं स्पष्टता, परेशानियों का छोटा होना आदि।

सोशल मीडिया से दूरी बनाएं

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि अगर आप इन खबरों से व्याप्त नकारात्मकता से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले सोशल मीडिया से दूर हो जाएं, क्योंकि दिन-रात सिर्फ यही खबरें पढ़ व सुनकर आप परेशान हो सकते हैं इसलिए दूरी ही भली।

अकेले न रहें, परिवार के साथ समय बिताएं

इस समय खुद को मोबाइल के साथ ही व्यस्त न रखें बल्कि अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं। अगर आप अकेले बैठते हैं तो कई तरह के विचार मन में आते हैं अत: इनसे बचें और परिवार के साथ समय बिताएं।

इन बातों का जरूर रखें ख्याल

  • लोगों को ज्यादा से ज्यादा समय रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्यों में जरूर व्यतीत करना चाहिए.
  • अधिकतर समय परिवार, दोस्त, सहकर्मी के साथ बिताए, एक-दूसरे का ख्याल रखें. उनसे अपनी मन की बात शेयर जरूर करें.
  • रूचि के अनुरूप वाले काम में वक्त बिताए, जिससे आपको खुशी मिले.
  • शराब, तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, किसी भी प्रकार के नशे के सेवन से बचें.
  • सोशल मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे भ्रामक अफवाहों से दूरी बनाए रखें.
  • नियमित दिनचर्या को बनाए रखें. हमेशा की तरह समय पर सोकर पर्याप्त नींद ले और संतुलित डाइट का सेवन करें.
  • थोड़ा समय योग, ध्यान और एक्सरसाइज करने में जरूर लगाएं. इससे शरीर में धनात्मक ऊर्जा का संचार होगा
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मां का पहला दूध शिशु को देता है कुपोषण से लड़ने की शक्ति

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  • पोषण का है पहला मंत्र, जन्म के बाद स्तनपान
  • वेबिनार के माध्यम से सुरक्षित स्तनपान के लिए किया गया प्रशिक्षित
  • आईसीडीएस के वेबिनार में दूसरे दिन सुरक्षित स्तनपान के साथ पोषण गार्डेन पर मंथन
  • चार दिवसीय ई प्रशिक्षण के दूसरे दिन पोषण माह को सफल बनाने पर दिया गया जोर

छपरा: राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान कुपोषण को मात देने के लिए ई प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। वेबिनार के माध्यम से चल रहे ई प्रशिक्षण के दूसरे दिन गुरुवार को समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) ने कुपोषण को मात देने के लिए सबसे जरुरी सुरक्षित स्तनपान को बताया.
नोडल पदाधिकारी पोषण अभियान श्वेता सहाय ने वेबिनार सिरीज के सत्र में लोगों को स्तनपान के प्रति जागरुक करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित स्तनपान से मां और शिशु दोनों सुरक्षित रहते हैं। कोरोना काल में भी स्तनपान को मुहिम चलाने पर जोर देने की बात कही.

सुरक्षित स्तनपान मृत्यु दर में लाएगा कमी

अलाईव एंड थ्राईव की वरीय कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि सुरक्षित स्तनपान से शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए ई प्रशिक्षण में उन्होंने कई उपाय सुझाए. उन्होंने बताया कि स्तनपान से डायरिया को भी रोका जा सकता है। सुरक्षित स्तनपान से मां के अंदर आने वाले मोटापा को भी कम किया जा सकता है. साथ ही साथ डायबटीज के साथ स्तन कैंसर की आशंका को भी कमी लायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चों के जन्म के 1 घंटे के भीतर बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान होता है. छह माह तक उन्हें न तो पानी देना है और न ही अन्य कोई तरल पदार्थ देना है। ऐसे करने से बच्चों को डायरिया के खतरे से बचाया जा सकता है. साथ ही कुपोषण और नाटापन की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

अन्नप्राशान के बाद वाला आहार बनता है सेहत का आधार

केयर इंडिया के टीम लीडर एक्सपर्ट डॉ देवजी पाटिल ने स्तनपान के महत्व को बताने के साथ अन्नप्राशन के बाद आहार को शिशु के जीवन का आधार बताया। डॉ देवजी ने कहा कि छह माह के बाद उपरी आहार का शिशु के बेहतर स्वास्थ्य में अहम योगदान होता है। उम्र के हिसाब से बच्चों को आहार दिया जाता है। इस दौरान ही अगर आहार देने में कोई चूक हो जाती है तो बच्चों में नाटापन के साथ कुपोषण का खतरा होता है। छह से लेकर 11 माह तक बच्चों को विशेष रूप से देखना होता है। आहार के मामले में कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए जिससे उनकी सेहत पर इसका पगतिकूल प्रभाव पड़े। अगर बच्चों का पोषण सही ढंग से किया गया तो उनकी सेहत अच्छी होती है और वह मानसिक के साथ शारीरिक रूप सक भी पूरी तरह से स्वस्थ्य होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए वरदान होगी पोषण वाटिका

किशनगंज कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ हेमंत कुमार सिंह ने वेबिनार के दौरान बताया कि पोषण वाटिका रोग लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी असरदार साबित होगी. इससे पोषण तत्वों की कोई कमी नहीं होगी और घर में ही सभी पोषण तत्व वाली शुद्ध ताजी सब्जी वह फल की आपूर्ति हो जाएगी। उन्होंने पोषण वाटिका को बढ़ावा देकर लोगों में इम्युनिटी बढ़ाने पर बहुत जोर दिया। पोषण वाटिका का चयन कैसे करें, धूप तथा पानी का प्रबंध कैसे करें एवं जैविक खाद का इस्तेमाल कर कैसे सब्जी और फल को पोषक बनाएं इसपर विशेष रूप से जोर दिया।

भोजन में विविधिता पर जोर

राज्य पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज कुमार ने आहार विविधता के बारे में बताया। डॉ मनोज ने बताया कि पोषण से ही शिशु के शारीरिक भविष्य का आधार बनता है। पोषण को लेकर कहीं से कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। जागरुकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों में जैसे मां का पहला दूध जरुरी है उसी तरह से ही छह माह के बाद का संपूरक आहार भी आवश्यक है। अगर बच्चे को सही पोषण मिलता गया तो वह न सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक व्याधियों से भी दूर होते हैं। उन्होंने बताया कि भोजन में विविधिता होने से जरुरी पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है. आहार में विविधता के ही कारण शारीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत पूरी होती है.

सवाल-जवाब में विशेषज्ञों ने दिए जवाब

वेबिनार के दौरान सवाल-जवाब का भी सेशन रखा गया था। इसमें पोषण से लेकर इम्युनिटी गार्डेन पर प्रश्नों का जवाब दिया गया। दीपक ने सवाल किया कि एक बच्चे को मां का दूध कितनी उम्र तक दिया जा सकता है. जवाब में डॉ अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि दो साल के बाद बच्चे के शरीर की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इस कारण मां के दूध के बजाए ठोस आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसी क्रम में सीमा तिवारी ने पूछा कि बच्चे दूध पीने के बाद उल्टी क्यों कर देते हैं. जवाब में डॉ अनुपम ने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिएअमृत के समान है। अगर बच्चा उल्टी करता है तो इसका मतलब यह नहीं कि मां के दूध में कमी है, इसका कारण कुछ और हो सकता है। समाधान के लिए चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। अमरजीत ने पोषण वाटिका के बारे में सवाल किया कि पोषण वाली सब्जी व फलों का चुनाव कैसे करें। डॉ हेमंत ने बताया कि सीजन के हिसाब से फल और सब्जियां उगाएं, उन्होंने जैविक खाद तैयार करने की भी बारीकी से जानकारी दी। वेबिनार के दूसरे दिन के सत्र का समापन करते हुए नोडल पदाधिकारी पोषण अभियान श्वेता सहाय ने कहा कि यह काफी अहम कार्यक्रम है, जिसमें हर दिन नई-नई जानकारी मिल रही है। उन्होंने डीपीओ, सीडीपीओ के साथ फील्ड में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का आभार जताते हुए कहा कि उनके प्रयासों से ऐसे अभियान सफल हो रहे हैं। कार्यक्रम की सफलता को लेकर भी उनका आभार जताया।

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दुःखद :- गोपालगंज पुलिस पस्त, अपराधी हुए मस्त !

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अपराधियों ने सुरेश चौधरी को मारी गोली

परवेज़ अख्तर/सिवान/गोपालगंज :- इस वक्त की सबसे बड़ी खबर बिहार के गोपालगंज से आ रही है जहाँ सुशासन बाबू के पुलिस की निष्क्रियता से सुरेश चौधरी नामक व्यक्ति को अपराधियों ने गोली मार दी है। घटना को अंजाम देने के बाद घटना में शामिल सभी अपराधी श्री चौधरी को मृत समझ आसानी से फरार हो गए। आनन-फानन में परिजनों ने गोली के शिकार श्री चौधरी को इलाज के लिए गोपालगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया।

जहाँ चिकित्सकों ने प्रथम उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए गोरखपुर रेफर कर दिया है। घटना उस समय घटी की जब वे घर के सामने टहल रहे थे। अपराधियों ने उनके शरीर मे तीन गोली मारी है। यह घटना नगर थाना के कुकुरभुखा गांव की बताई जा रही है। उधर घटना के बाद अभी तक गोपालगंज के नगर थाना की पुलिस द्वारा अपराधियों के गिरफ्तारी के लिए अंधेरे घर मे लाठी पीट रही है।

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अभी तक पुलिस को कोई सफलता हासिल नही हुई है। घटना के बाद गोली के शिकार श्री चौधरी के दरवाजे पर हजारों लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है तथा दर्जनों की संख्या में लोग गोपालगंज से गोरखपुर के लिए कुंच कर गए है। परिजनों का रोते-रोते बुरा हश्र हो चुका है।

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मजबूत हौसलों के बदौलत कोरोना को मात देकर फिर से मरीजों की सेवा में जुटे सारण के सिविल सर्जन

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  • कोरोना योद्धा के रूप में दिन रात निभा रहें अपना फर्ज
  • कोरोना मरीजों की सेवा के दौरान हो गये थे संक्रमित
  • मरीजों के एक फोन पर दौड़े चलते आते है अस्पताल

छपरा: चिकित्सक का भगवान के बाद दूसरा स्थान है। यह स्थान इसलिए मिला है कि चिकित्सक भी मरीज की जिंदगी बचाकर उसे नया जीवनदान प्रदान करते हैं। इस महामारी में दौर में काफी चिकित्सक ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी खतरे में पड़ गई। लेकिन अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे। इनमें से एक हैं सारण के सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा। अपनी ड्यूटी देते हुए वह खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हें पटना के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर उनका उपचार किया गया। कोरोना को मात देकर वे पूरी तरह से स्वस्थ हुए। स्वस्थ ही नहीं हुए बल्कि वापस ड्यूटी भी संभाल ली है।

कोरोना काल में डॉक्टर भूमिका महत्वपूर्ण

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा कहते हैं कि कोरोना काल में तो चिकित्सक की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब इस तरह से संक्रमण का खतरा रहता है। लेकिन चिकित्सक का पेशा ही ऐसी परिस्थितियों से लडऩे का है। उन्होंने कहा, “मैं कोरोना से संक्रमित हो गया। अगर मैं ऐसे समय में हौसला तोड़ता तो अन्य चिकित्सकों का आत्मविश्वास भी कम होता। इसलिए खुद को संक्रमण से स्वस्थ किया और टीम को सकारात्मक संदेश देने का काम भी किया।” कोरोना वायरस महामारी के संकट से निपटने में स्वास्थ्य महकमे की सबसे बड़ी भूमिका है। सीमित संसाधनों के दम पर कोरोना से जंग लड़ने की प्रबल इच्छा शक्ति कोरोना वारियर्स को दिनों-दिन और मजबूत कर रही है।

कोरोना से डटकर करें मुकाबला

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कि “जिम्मेदारी के आगे कोरोना संकट बौना है। यह तो कुछ भी नहीं। इससे बड़ा भी संकट आ जाए, वह फिर भी पीछे नहीं हटने वाले। ड्यूटी के दौरान पता ही नहीं चला कि कब मैं संक्रमित हो गया। जब संक्रमित हो गया तो उसका भी डटकर मुकाबला किया। परिणाम सामने है। कुछ ही दिनों के भीतर फिर से हर स्तर पर तैनाती के लिए तैयार हूं। आवश्यकता है अपने हौसले को बरकरार रखने की। लोगों से अपील है कि कोरोना संक्रमित होने पर उससे घबराएँ नहीं, बल्कि उसका डटकर मुकाबला करें।”

फोन से घबराते नहीं, एक फोन पर चले जाते मरीजों को देखने

जिले के किसी भी व्यक्ति का फोन सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा के माबाईल आता है। रोज सभी फोन अटैंड कर मरीजों की बात सुनना और उन्हें सलाह देना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। तरह-तरह के सवाल उनसे फोन पर किए जाते है। लेकिन बेहद सरल ओर सहज तरीके से उन बातों का जवाब देते है। रात या दिन किसी भी समय अगर किसी मरीज की शिकायत आती है कि व्यवस्था नही मिल रही है तो वो तुंरत अस्पताल पहुंच जाते हैं और उस मरीज को बेहतर उपचार की मुहैया उपलब्ध कराते हैं। कोरोना वार्ड से लेकर उसके इंतजाम, होम क्वारंटीन से लेकर आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था सब इन्हीं के कंधों पर है। अस्पताल में बने कोरोना वार्ड की मॉनिटरिंग करने के साथ सुबह सात से लेकर रात 10 बजे अस्पताल को समय देना आदतों में शुमार है।

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कुपोषण को मात देगा पोषण का मंत्र

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  • वेबिनार के माध्यम से कुपोषण के खिलाफ जंग
  • चार दिवसीय ई प्रशिक्षण में पोषण पर होगा मंथन

छपरा: राष्ट्रीय पोषण माह में समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) ने कुपोषण को मात देने के लिए बड़ी पहल की है। कुपोषण के खिलाफ एक बड़ी मुहिम चलाने के लिए वेबिनार के माध्यम से बड़ी रणनीति बनाई जा रही है। बुधवार को पोषण माह गतिविधियों पर वेबिनार का आयोजन किया गयावेबिनार में पोषण माह को लेकर कई अहम योजनाओं पर मंथन किया गया।

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पोषण वाटिका एवं कृषि पोषण को बढ़ावा देने की जरूरत

इस दौरान आईसीडीएस के निदेशक अलोक कुमार ने कहा कि पोषण वाटिका एवं कृषि पोषण जैसे पहल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही कुपोषण को खत्म करने के लिए ग्रोथ मॉनिटरिंग जैसे टूल प्रभावी साबित हो सकते हैं. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण काल में आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है. साथ ही इनकी सुरक्षा का ध्यान रखना हमारी जिमेम्दारी भी है.

दिए जायेंगे पोषण के पौधे

डॉ. आरके सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर ने बताया कि 17 सितंबर से सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में 40 आंगनबाड़ी सेविकाओं को कृषि पोषण सह पोषण वाटिका पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. साथ ही इन्हें पोषण के पौधे भी दिए जाएंगे.

पोषण माह के गतिविधियों का प्रजेंटेशन

नोडल पदाधिकारी पोषण अभियान श्वेता सहाय ने वेबिनार में पोषण माह की कार्य-योजना पर चर्चा की. इसमे उन्होंने कुपोषण को मात देकर पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने की बात कही. उन्होंने पोषण माह में पोषण का आंकलन और समुदाय आधारित गतिविधियां पर विशेष धयान देने की बात कही । साथ ही शिशु के विकास की मॉनिटरिंग को इस अभियान की प्रमुख कड़ी बताया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा किचेन गार्डेन को बढ़ावा देने पर विशेष जोर होगा जिससे घर मे ही पोषण तत्व की प्राप्ति हो सके। कृषि में ऐसे चीजों के उपयोग को लेकर भी प्रयास किया जाएगा जो पूरी तरह से पोषण वाले हों।

कोरोना काल मे भी चिन्हित किए जाएंगे बच्चे

यूनिसेफ की डॉ. शिवानी ने कहा कि पोषण माह में कोरोना का भी खतरा है, लेकिन इस मुहिम में इसका कोई असर नही पड़ेगा। हम पूरी सावधानी से इस मुहिम को सफल बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अति कुपोषित और मध्यम कुपोषित बच्चों को कोरोना काल मे चिन्हित किया जाएगा।

पोषण में कमी होने पर भेजें पुनर्वास केंद

वेबिनार के दौरान सेविकाओं के साथ अन्य लोगों ने भी एक्सपर्ट से सवाल किया। सवालों के जवाब में पोषण का मंत्र देते हुए सभी समस्या का समाधान करने का प्रयास किया गया। इसी क्रम में एक महत्वपूर्ण सवाल लखीसराय के बड़हिया की सेविका पूनम कुमारी ने किया. उन्होंने बताया कि वह क्षेत्र के एक अति कुपोषित बच्चे को पुनर्वास केन्द्र ले गई थीं। बच्चा स्वस्थ होकर घर आ गया लेकिन कुछ दिन बाद ही वह फिर पुनः कुपोषित हो गया। सेविका ने पुछा कि क्या बच्चा दोबारा पुनर्वास केंद्र जा सकता है।वेबिनार में सेविका के इस प्रश्न का जवाब देते हुए यूनिसेफ के न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट रवि नारायण परही ने कहा कि अति कुपोषित बच्चे जिनमे जटिलता के लक्षण हों वह दोबारा पुनर्वास केंद्र रेफर किये जा सकते हैं। बाकी कुपोषित बच्चों के लिए समुदाय द्वारा स्वास्थ्य एवं पोषण के मानकों का अनुपालन कर कुपोषण से मुक्ति पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमें पोषण तत्व से भरपूर खाद्य सामग्रियों को अपने आहार में शामिल करने की जरूरत है। गृह भ्रमण के दौरान सेविकाएं स्तनपान, अनुपूरक आहार का सेवन करने को लेकर जागरूक करने का अभियान चलाएं जिससे पोषण माह में कुपोषण को मात दिया जा सके।

वेबिनार के दूसरे दिन इन विषयों पर होगी चर्चा

गुरुवार को वेबिनार के दूसरे दिन सुरक्षित स्तनपान पर जोर दिया जाएगा। इसमे महिलाओं और बच्चों के आहार और हाइजीन पर चर्चा होगी। इसके अलावा पोषण तत्व की गार्डेनिग पर भी चर्चा होगी। वेबिनार के दूसरे दिन के लिए पोषण के माध्यम से कुपोषण को मात देने के लिए कई बिंदु तैयार किए गए हैं।

वेबिनार का संचालन राज्य पोषण विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार ने किया. इस दौरान केयर के देवजी पाटिल, यूनिसेफ के डॉ. पर्मिला, डॉ. कौल, मोना सिन्हा एवं सुधांकर सहित कृषि विज्ञान केंद्र किशनगंज के डॉ. हेमंत भी चर्चा में शामिल हुए.

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पोषण माह के अंतर्गत आयोजित की जाने वाली गतिविधियों का स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया कैलेंडर

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  • अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान और रेफरल एवं प्रबंधन की होगी सुविधा
  • स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा प्रचार प्रसार
  • जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान कराना किया जाएगा सुनिश्चित

छपरा: वर्ष 2022 तक देश में कुपोषण की दर में सुधार लाने के लिए सरकार कृत संकल्पित है। इसी क्रम में सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पिछले वर्ष की तरह 1 से 30 सितंबर तक पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। पोषण माह के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी कई गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र लिखकर सभी जिला पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। साथ ही पोषण माह के अंतर्गत आयोजित किए जाने वाले गतिविधियों का कैलेंडर जारी किया गया है।

इन कार्यक्रमों पर गतिविधियों का होगा आयोजन

  • अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान रेफरल एवं प्रबंधन
  • स्तनपान को बढ़ावा
  • गृह आधारित नवजात की देखभाल
  • सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा
  • राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम
  • विटामिन ए की खुराक अभियान
  • आयरन फोलिक एसिड गोली का वितरण
  • टीकाकरण
  • वीएचएसएनडी

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन

पत्र में बताया गया है अतिगंभीर कुपोषित बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुना मृत्यु का खतरा अधिक होता है तथा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की लगभग 45% मृत्यु में अति गंभीर कुपोषण एक अंतर्निहित कारक होता है। इसलिए पोषण माह 2020 के अंतर्गत सभी अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान रेफरल एवं प्रबंधन का लक्ष्य रखा गया है।

समुदाय स्तर पर गतिविधियों का आयोजन

समुदाय स्तर पर आशा द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से समन्वय स्थापित कर लंबाई ऊंचाई के अनुसार 3SD से कम वजन वाले बच्चों की लाइनलिस्टिंग तैयार कर आरोग्य दिवस पर एएनएम से जांच करवाना, स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करवाना सुनिश्चित किया जाएगा। आशा द्वारा बीमार, सुस्त दिखाई देने वाले दुबलेपन, स्तनपान व भूख में कमी एवं दोनों पैरों से सूजन वाले बच्चों की लाइन लिस्ट तैयार कर आरोग्य दिवस पर उनकी जांच सुनिश्चित की जाएगी. उक्त बच्चो में सांस का तेज चलना, छाती का धंसना, फरका आना एवं लगातार उल्टी दस्त होना इत्यादि लक्षण पाए जाने पर आशा द्वारा उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुर्नवास केंद्र पर रेफर किया जाएगा। अतिकुपोषित बच्चे जिन्हें चिकित्सकीय जटिलता नहीं है एवं मध्यम गंभीर कुपोषित बच्चे की माताओं को एएनएम एमसीपी कार्ड में पोषण संबंधित दिए गए परामर्श देंगी। इन बच्चों के माता-पिता अभिभावक को नियमित आईएफए, अनुपूरक, छमाही विटामिन-ए सिरप एवं एल्बेंडाजोल टेबलेट के बारे में परामर्श दिया जाएगा।

स्वास्थ्य संस्थान स्तर पर गतिविधियां

स्वास्थ्य संस्थानों के ओपीडी आईपीडी अथवा टीकाकरण के लिए आए 0 से 5 वर्ष तक के दिखाई देने वाले दुबलेपन आशा/आंगनबाड़ी एवं द्वारा रेफर किए गए कुपोषित बच्चों की लंबाई /ऊंचाई के अनुपात में वजन का आकलन सुनिश्चित किया जाएगा । डब्ल्यूएचओ के संदर्भ सारणी (एमसीपी कार्ड ग्रोथ चार्ट) के अनुसार 3SD से कम वजन वाले बच्चों में खतरे के लक्षण जैसे ( चमकी आना, दोनों पैरों में सूजन, सांस तेज चलना, छाती का धसना, लगातार उल्टी दस्त होना, तेज बुखार या शरीर का ठंडा पड़ना, भूख में कमी, खून की कमी होना, त्वचा पर घाव एवं विटामिन ए की कमी से आंख में होने वाली बीमारी को पोषण पुनर्वास केंद्र के लिए रेफर करना सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों में आने वाले अभिभावकों को पोषण संबंधित परामर्श दिया जाएगा पोषण स्तर के आकलन के लिए स्वास्थ्य संस्थानों पर डिजिटल वेट मशीन, इन्फेंटोमीटर, स्टेडियोमीटर, एमयूएसी टेप, एमसीपी कार्ड की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलेगी गुणवत्तापूर्ण उपचार की सुविधा

पोषण माह के दौरान सभी पोषण पुर्नवास केंद्र क्रियाशील रहेंगे तथा कोविड-19 प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल अपनाते हुए चिकित्सकीय जटिलता युक्त अति गंभीर कुपोषित बच्चों का गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित की जाएगी. उपचार के उपरांत डिस्चार्ज हुए बच्चों का दूरभाष के माध्यम से फॉलोअप कार्य नवनियुक्त सीबीसीई से करवाना सुनिश्चित किया जाएगा एवं डिस्चार्ज हुए बच्चों की सूचना संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सीडीपीओ आशा फैसिलिटेटर एवं आशा को उपलब्ध कराया जाएगा।

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा जागरूक

संस्थागत एवं घर पर जन्म लेने वाले सभी नवजातो को जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान शुरू कराना सुनिश्चित किया जाएगा। संस्थान में स्वास्थ्य कर्मी तथा समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य कर्मी आशा इस कार्य को सुनिश्चित करेंगे.स्वास्थ्य संस्थानों में एएनसी टीकाकरण के दौरान आने वाली गर्भवती एवं धात्री माताओं को गर्भावस्था के अनुसार तथा बच्चों के उम्र के अनुसार स्तनपान एवं पोषण संबंधित परामर्श दिया जाएगा। समुदाय स्तर पर आशा मां कार्यक्रम के अंतर्गत 3 माह से ऊपर के गर्भवती एवं धात्री माताओं को गृह भ्रमण के दौरान जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू कराना, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराना, 6 माह पूर्ण होने पर पूरक आहार शुरू करने के साथ स्तनपान को कम से कम 2 वर्ष तक जारी रखने एवं इनके लाभ के बारे में चर्चा करेंगी। कोविड-19 को देखते हुए बैठक के स्थान पर लाभार्थी से चर्चा करेंगे.

गृह आधारित नवजात की देखभाल

पोषण माह के दौरान आशा द्वारा होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर कार्यक्रम के अंतर्गत अपने संबंधित क्षेत्र में शत-प्रतिशत नवजात के घर पर भ्रमण कर शिशु एवं माता के जांच तथा पोषण संबंधित सलाह देंगी। आयरन फोलिक एसिड गोली: 6 से 59 माह तथा 5 से 10 वर्ष के बच्चों किशोर किशोरियों तथा गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के रोकथाम के लिए आईएफ़ए सिरप, आईएफए गुलाबी गोली, आईएफ़ए की नीली गोली एवं आईएफ़ए लाल गोली की उपलब्धता लाभार्थियों तक सुनिश्चित की जाएगी।

आरोग्य दिवस

नियमित टीकाकरण के साथ आशा आंगनबाड़ी, सेविका, एएनएम, स्वयं सहायता समूह, महिला मंडल एवं पंचायती राज के प्रतिनिधि कुपोषण एनीमिया स्वच्छता आदि विषय पर चर्चा करेंगे। ऐसे सत्रों की फोटो खींचकर पोषण अभियान की डैशबोर्ड पर अपलोड करना होगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक आरोग्य दिवस पर स्वास्थ्य पोषण विकास एवं स्वच्छता से संबंधित सेवाएं एवं जानकारियां वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को अवश्य दी जा रही हो एवं ऐसे प्रयासों की फोटो भी प्रतिवेदित की जाएगी।

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पोषण अभियान के तहत सारण में 123472 बच्चों के बीच सुधा दूध का होगा वितरण

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  • परियोजना वार दूध का किया गया आवंटन
  • घर-घर जाकर बच्चों को दूध देंगी आंगनबाड़ी सेविका
  • सारण में 123472 दूध पैकेट (200ग्राम) का होगा वितरण

छपरा: जिले में सितंबर माह को पोषण माह के रूप मे मनाया जा रहा है। इस अभियान के दौरान तमाम गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। इसके अंतर्गत जिले में सिंतबर माह के दूध पैकेट का आंवटन कर दिया गया। परियोजना वार सुधा दूध पैकेट का आंवटन कर दिया गया है। इसको लेकर आईसीडीएस के अनुश्रवण पदाधिकारी सह प्रभारी पोषाहार पदाधिकारी सुगंधा शर्मा ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में भी बच्चों के बेहतर पोषण पर ध्यान दिया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण आंगनवाड़ी केंद्र बंद होने से आंगनबाड़ी सेविका द्वारा घर- घर जाकर सुधा दूध पाउडर का वितरण किया जाएगा। दूध पाउडर में मौजूद पोषक तत्व बच्चों को कुपोषण मुक्त एवं सेहतमंद बनाने में पूर्व से ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए दूध का वितरण किया जा रहा है।

घर-घर जाकर कर दूध का वितरण

यहां बता दें कि ग्रामीण इलाकों में कुपोषण की दर में कमी लाने के लिए 03 से छह साल के बच्चों को 200 ग्राम दूध देने का प्रावधान किया गया है। कॉम्फेड द्वारा सुधा दुग्ध पाउडर की आपूर्ति की जा रही है। बच्चों में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। कोरोना संक्रमण के कारण आंगनवाड़ी केंद्र बंद होने से आंगनबाड़ी सेविका द्वारा घर- घर जाकर सुधा दूध पाउडर का वितरण किया जा रहा है। प्रत्येक बच्चे को 18 ग्राम दूध पाउडर 150 मिलीलीटर शुद्व पेयजल में घोलकर पिलाने का प्रावधान किया गया है।

कुपोषण को दूर करने में माताओं की भूमिका अहम

डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है, इसीलिए बेहतर समाज के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि हमारी इस पीढ़ी को अच्छा पोषण मिले और वह सुरक्षित रहे। सभी माताओं का यह दायित्व है कि बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए साफ सफाई बरती जाए, नियमित रूप से खाने से पहले व खाने के बाद हाथ धोया जाए, शौचालय करने के बाद हाथ पैर धोया जाय। कुपोषण की समस्या तभी दूर हो सकती है जब बच्चों को स्वच्छता से पूर्ण माहौल मिलेगा।

123472 लाभार्थियों के बीच होगा दूध का वितरण

सारण जिले में 03 वर्ष से 06 वर्ष तक 123472 लाभार्थियों के बीच सुधा दूध पैकेट का वितरण किया जायेगा। जिले में 123472 पैकेट (200ग्राम) दूध का का आवंटन किया गया है। प्रखंडवार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से दूध का उठाव कर लाभार्थियों के घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी सेविकाओं को दी गयी है।

पोषण के प्रति जागरूक करेंगी सेविका

पूरे सितंबर माह में आंगनबाड़ी सेविका कुपोषण के खिलाफ जागरूकता अभियान चलायेंगी। इस दौरान पोषण के प्रति बच्चों के माता-पिता व परिजनों को जागरूक किया जायेगा। इसके साथ पोषण के सभी सेवाओं को समुदायस्तर तक पहुंचायी जायेगी। घर- घर जाकर बच्चे के माता- पिता और दादा-दादी को पोषण के बारे में जानकारी देंगी तथा बच्चों को पौष्टिक आहार देने के लिए प्रेरित करेंगी। इस दौरान बौनापन, कमजोर बच्चों की पहचान, एनीमिया व कम वजन वाले बच्चों की पहचान के बारे में भी जागरूक करने का निर्देश आंगनबाड़ी सेविका को दिया गया है।

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अनदेखी :- सिवान में बरसात के समय नाले की शुरू की खोदाई, अबतक नहीं हो सका नाला निर्माण

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परवेज़ अख्तर/सिवान:- बरसात के मौसम में नाला का निर्माण शुरू कराकर नगर परिषद ने आग लगने पर कुआं खोदने वाली कहावत चरितार्थ कर दी है। इधर, बरसात के समय में नाला निर्माण को लेकर खोदाई शुरू की। अब बरसात समापन की ओर है, फिर भी नाला का निर्माण अधर में लटका हुआ है। जुलाई में अत्याधिक बारिश से नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न वार्डों और मोहल्ले में नाला का पानी सड़क पर बह रहा था। बरसात में नाले की सफाई नहीं हो पाने के कारण अधिकांश नाला का मुंह जाम हो गया था।

वहीं कुछ नाले की खोदाई किए जाने के चलते पानी नहीं निकल पा रहा था। अब भी शहर के कई मोहल्ले में जलजमाव से शहर वासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इधर लाल कोठी से लेकर दाहा नदी तक बनने वाले मुख्य नाला का एक साल पूर्व टेंडर हो जाने के बाद भी संवेदक व नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण अबतक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। वहीं 2 करोड़ की लागत से मोती स्कूल से डॉ. बीएल दास के मकान तक बनने वाले नाले के निर्माण कार्य के लिए स्वीकृति तब अभी नहीं मिली है।

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हसनपुरा में कोषांग प्रभारियों को मिला दायित्व

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परवेज अख्तर/सिवान:- जिले के हसनपुरा प्रखण्ड मुख्यालय में सभी कोषांग के प्रभारियों के साथ बीडीओ डॉक्टर दीपक कुमार ने बैठक करते हुए उनके दायित्व सौंपा। यह कार्य आगामी बिहार विधान सभा चुनाव को ले किया गया है। जिसमें कार्मिक कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी डॉ राजकुमारी, आदर्श आचार सहिंता कोसांग एव विधि व्यवस्था कोषांग प्रोग्राम पदाधिकारी सतेंद्र कुमार, सामान्य प्रशासन एवं मोनेटरिंग कोषांग अखिलेश्वर मिश्र, नियंत्रण कक्ष नंदलाल राम, प्रशिक्षण कोषांग अभय मिश्र, सामग्री कोषांग एमओ राकेश रंजन, वाहन कोषांग बीसीओ शम्भू कुमार को बनाया गया है। जो कि सभी कोषांग प्रभारी अपने अपने सहायकों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए अपने अपने दायित्व का निर्वाहन का कार्य शुरू कर दिए हैं।

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