परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ: नगर परिषद में साढ़े चार करोड़ रुपए की हेराफेरी में दोषी पाई गई चेयरमैन सिंधू सिंह की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। डीएम द्वारा भेजे गए जांच प्रतिवेदन में दोषी पाए जाने के बाद नगरपालिका प्रशासन के निदेशक व निदेशालय सह सचिव ने चेयरमैन ने स्पष्टीकरण मांगते हुए एक सप्ताह के अंदर सफाई देने को कहा है, कि क्यों नहीं आपके खिलाफ बिहार नगरपालिका अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार को डीएम अमित कुमार पांडेय द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन में छह आरोप प्रमाणित हुए हैं। बिंदु एक में नगर परिषद की चेयरमैन सिंधू सिंह पर सरकार के निर्देशों से हटकर बिना सक्षम अधिकारी से आदेश प्राप्त किए कूड़ा निस्तारण के नाम पर चार करोड़ तीन हजार 785 रुपये जमीन खरीदने के नाम पर खर्च करने का आरोप है। बिंदू 2 में नगर परिषद की साधारण बैठक से 50 लाख तक की खरीदारी की प्रशासनिक स्वीकृति की शक्ति प्राप्त है, लेकिन इतनी बड़ी राशि से खरीदारी के लिए पूर्व में सक्षम प्राधिकार से स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई। बिंदु 3 में चेयरमैन सिंधू सिंह द्वारा 30 जून 17 को हुई विशेष बैठक के प्रस्ताव संख्या 4 के अन्यान्य 21 द्वारा स्थायी समिति की बैठक 27 जून 17 की संपुष्ट की गई है। बिंदु नंबर 4 में क्रय की गई जमीन पर नगर परिषद का अपना कब्जा नहीं होना, निजी जमीन का क्रय ग्रामीणों के विरोध के बावजूद स्वार्थपूर्ति के लिए करने व जमीन का उपयोग नहीं करने का आरोप है। बिंदु नंबर 5 में जमीन क्रय से संबंधित डीड में भुगतान विवरणी के कॉलम में जमीन के मूल्य का भुगतान उनके व उनलोगों के गठित समूह यूनिक डेवलपर्स द्वारा संयुक्त रूप से होगी की बात कही गई है जबकि डीड के विक्रेता के रूप में यूनिक डेवलपर्स नहीं है। बिंदु नंबर 6 में सरकारी दिशा-निर्देश से हटकर यूनिक डेवलपर्स को बड़ी राशि का भुगतान किया गया जिससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नगर परिषद की चेयरमैन द्वारा लाभ अर्जित किए जाने का आरोप प्रमाणित है।
अस्पताल मोड़ से तरवारा मोड़ तक पांच फीट चौड़ीकरण में गड़बड़ी
नगर परिषद की चेयरमैन सिंधू सिंह पर पद पर रहते हुए 27 जून 2017 को अस्पताल मोड़ से तरवारा मोड़ तक सड़क की पांच फीट चौड़ीकरण का एकरारनामा करने व कार्य कराने का आरोप है। इस कार्ययोजना की प्राक्कलित राशि 49 लाख 91 हजार पांच सौ रुपये है। कार्य से पहले न कार्य के बाद योजना में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की जांच कराई गई। संबंधित योजना के कार्यादेश के अनुसार 16 सितंबर 17 को कार्य पूरा होना था, लेकिन पद का दुरुपयोग करते हुए 20 फरवरी 18 को कार्य पूरा कराया गया। बिना समय विस्तार के 10 प्रतिशत की राशि की कटौती किए बिना पांच किस्तों में भुगतान किया गया। टेंडर में स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख किया गया है कि सुरक्षित जमा राशि कार्य समाप्त होने के तीन वर्ष बाद कार्य संतोषप्रद होने के बाद ही विमुक्त की जायेगी, लेकिन शर्त का उल्लंघन करते हुए सुरक्षित जमा राशि तीन लाख 17 हजार की निकासी 3 अगस्त 19 को ही प्राप्त कर ली गई थी।
पूर्व राज्यमंत्री विक्रम कुंवर व अन्य के परिवाद पत्र पर जांच
बिहार सरकार के पूर्व राज्यमंत्री जदयू नेता विक्रम कुंवर इस मामले की जांच के लिए डीएम को परिवाद पत्र समर्पित किया था, जिसकी जांच डीएम द्वारा कराई गई। एडीएम के नेतृत्व में गठित जांच दल ने मामले की जांच की गई। नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव सह उप निदेशक ने पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर व वार्ड पार्षद अमित कुमार सिंह के परिवाद पत्र का उल्लेख करते हुए परिवाद में उठाए गए बिन्दुओं की जांच कर विभाग को प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा था। डीएम ने मामले की जांच प्रतिवेदन 6 अप्रैल 21 को भेजी। जांच प्रतिवेदन एक में चार जबकि जांच प्रतिवेदन दो में 6 आरोप प्रमाणित हुए हैं।
तीन दिनों में वर्तमान पदस्थापन की सूची कराएं उपलब्ध
नगर विकास एवं आवास विभाग के विशेष सचिव ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र प्रेषित किया है। पत्र में डीएम द्वारा प्रेषित जांच प्रतिवेदन में दोषी पदाधिकारी व कर्मियों की सूची तीन दिनों के अंदर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी को भेजे गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि डीएम द्वारा प्रेषित जांच प्रतिवेदन में सीवान-छपरा रोड में अस्पताल मोड़ से तरवारा मोड़ तक सड़क के दक्षिण पांच फीट चौड़ीकरण योजना में 49 लाख 51 हजार पांच सौ रुपये व कूड़ा निस्तारण के लिए क्रय की गई भूमि में चार करोड़ की वित्तीय अनियमितता प्रतिवेदित की गई है। दोनों प्रतिवेदनों में पाए गए आरोपित तत्कालीन लेखापाल, प्रधान सहायक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता, कार्यपालक अभियंता नगर परिषद का नाम, पदनाम व वर्तमान पदस्थापन की सूची तीन दिनों के अंदर उपलब्ध कराएं।
क्या कहती चेयरमैन
नगर परिषद की चेयरमैन सिंधू सिंह ने बताया कि नगरपालिका प्रशासन के मांगे गए स्पष्टीकरण से संबंधित पत्र मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन जिन बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया होगा, उसका पूरा जवाब दिया जायेगा।
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