परवेज़ अख्तर/सिवान: जिस खेत से दहकां को मयस्सर न हो रोटी, उस खेत के हर गोसए गंदूम को जला दो, ये खामोश मिजाजी तुम्हें जीने नहीं देगी, इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो ! यह लोकोक्ति किसी और पर नहीं बल्कि बिहार के सीवान जिले के नगर थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर जयप्रकाश पंडित पर सटीक बैठ रही है ! इन दिनों नगर थाना इलाके में अंग्रेजी शासक जैसे पुलिसिया दमन के कारण थाने के दागियों में दहशत का माहौल कायम है।अब उनके समक्ष यह स्थिति कायम हो गई है कि जाएं तो जाएं कहां ! यहां बताते चलें कि इन दिनों बिहार के सिवान जिला मुख्यालय में अपराध का ग्राफ सर चढ़कर बोल रहा है और सुशासन बाबू की पुलिसकर्मी हाथ पर हाथ रख कर बैठी हुई है।विडंबना यह है कि जब – जब कोई अपराधिक घटनाएं शहर में घटती है तो तैनात पुलिसकर्मी थाने के दागियों की खोजबीन में निकल जाते हैं लेकिन जो घटना में शामिल अपराधी हैं उन तक पुलिस का हाथ नहीं पहुंच पाता है।
आए दिन शहर के कई हिस्सों में खुलेआम सक्रिय अपराधी, अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं। जहां एक ओर शहरवासी खौफजदा की जिंदगी जीने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ थाने के दागियों में पुलिसिया दमन के चलते दहशत का माहौल कायम है।यहां बताते चलें कि जब-जब सीवान में कोई अपराधिक घटना घटित होती है तो उस कांड के डिस्पोजल के लिए पुलिस जगत के आला अधिकारी द्वारा कनीय पुलिस पदाधिकारियों पर दबाव बनाया जाता है तो कनीय पुलिस पदाधिकारी द्वारा सीधे डोसियर सूची का सहारा लेकर दागियों की खोजबीन में लग जाते है और इस दौरान जिन जिन अपराधियों का नाम किसी संगीन मामले में डोसियर सूची में अंकित होता है तो पुलिस उसे हिरासत में लेकर वरीय पुलिस पदाधिकारी से पीठ थपथपा तथा वाहवाही बटोरने के चक्कर में निर्दोष अपराधियों को जेल के सलाखों में भेजने का काम करती है। जिस कारण जो-जो सक्रिय अपराधी, आपराधिक घटना में शामिल होकर घटना को अंजाम दिए है पुलिस के हाथ वहां तक नही पहुँच पाते है। पुलिस की इस कार्यशैली से घटना में शामिल अपराधियों को आंच तक नहीं आती है जिसके कारण पुनः वे सक्रिय होकर दूसरी अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे डालते हैं।
यहां बताते चले कि अगर पुलिस द्वारा अपने अनुसंधान के क्रम में घटना में शामिल सही अपराधियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करती तो आज जो जिला मुख्यालय की स्थिति है उस स्थिति में सुधार जरूर आती ! लेकिन वरीय पुलिस पदाधिकारी से पीठ थपथपाने व अपने थाने में जमे रहने के उद्देश्य से निर्दोष अपराधी को गिरफ्तार कर जेल भेज कर पुलिसिया जगत को कलंकित करने में तुले हुए है। सबसे ज्यादा इन दिनों ऐसा मामला बिहार के सिवान जिले के नगर थाने में वर्तमान समय में हो रही है। अगर पुलिस जगत के आला अधिकारी अब तक जितने विभिन्न कांडों में जेल गए अपराधियों का केस डायरी मंगा कर अपने स्तर से बारीकी पूर्वक अनुसंधान प्रारंभ कर दी तो दर्जनों ऐसे मामले में अनुसंधान में लगे आईओ पर गाज गिर सकती है ! यहां बताते चलें कि कई ऐसे कांड के पर्यवेक्षण टिप्पणी में भी नगर थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर जयप्रकाश पंडित के मिलीभगत से वरीय पुलिस पदाधिकारी के निर्देश के आलोक को भी एक ताक पर रखकर पुलिसिया दमन जैसी हरकत की गई है !
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