परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के पचरूखी थाना क्षेत्र के चौमुखा गांव से अज्ञात चोरों ने एक ठिकेदार की बाईक की चोरी कर ली. दारौंदा थाना क्षेत्र के सिरसाव मठिया गांव निवासी सोनु कुमार ने पचरुखी थाने में आवेदन दिया है. आवेदन में कहा है कि चौमुखा मठिया गांव में नल जल का कार्य को देखने के लिये अपने पैशन प्रो बीआर 29जेड-9622 को खड़ा करके काम देखने चला गया. तभी थोड़ी देर बाद आया तो देखा कि वहां बाइक नहीं थी. काफी खोजबीन किया पर कुछ पता नहीं चला. थानाअध्यक्ष रितेश कुमार मंडल ने बताया कि जांच कर आगे की करवाई की जाएगी.
कर्ज माफी और मानदेय बढ़ाने को लेकर किया मार्च
परवेज अख्तर/सिवान :- शुक्रवार को अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन एक्वा द्वारा स्वयं सहायता समूह की कर्ज माफी, व जीविका कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने को लेकर शहर में प्रतिवाद मार्च निकाला. इस दौरान सोहिला गुप्ता ने बताया कि कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. इस दौर में गरीबों का रोजगार छिन गया है. खास तौर पर गरीब महिलाओं के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. हमारा कर्ज माफ किया जाए. बिहार के प्राइवेट बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियां महिला समूह बनाकर कर्ज देने और भारी ब्याज समेत किस्त बांधकर वसूली में लगी हैं. यहां महिलाओं को पता भी नहीं होता कि कितना ब्याज लिया जाता जा रहा है. उन्हें एक कर्ज चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लेना पड़ता है.
सरकार की घोषित नीति के तहत स्वयं सहायता समूह का गठन महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए है लेकिन यही काम नहीं हो रहा है. ऐसे में छह मांगों को लेकर मार्च निकाला. जिसमें स्वयं सहायता समूह के सभी कर्जे माफ किए जाएं, माइक्रो फाइनेंस कंपनियां और निजी बैंकों द्वारा महिलाओं को दिए गए कार्यों के भुगतान की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाए, स्वयं सहायता समूह की खासियत के आधार पर या उनका क्लस्टर बनाकर रोजगार की व्यवस्था की गारंटी दी जाए, समूह के उत्पादकों की खरीद की गारंटी सरकार द्वारा दी जाए, समूह को ब्याज मुक्त कर्ज देने की व्यवस्था हो, जीविका कार्यकर्ताओं को न्यूनतम 15000 मासिक मानदेय दिया जाए.
दरौली में सरयू का पानी बढ़ा लेकिन अभी नियंत्रण में
- बाढ़ नियंत्रण विभाग ने 25000 बोरी रेत रखवाया
- बांस एवं झाखड़ आदि की भी है व्यवस्था
परवेज अख्तर/सिवान :- सावन में लगातार हो रही बारिश और यूपी से भी पानी के बहाव में आई तेजी के कारण जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित दरौली के कई गांवों अमरपुर, लीलही, करमाहा आदि के निचले इलाके में नदी का पानी पहुंच गया है. बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता दल बल के साथ बांध का मुआयना करने दरौली पहुंचे हैं.
जूनियर इंजीनियर बाढ़ नियंत्रण रत्नेश मिश्रा ने बताया कि अभी भी स्थिति कंट्रोल में है क्योंकि नदी का जलस्तर बढ़ा जरूर है लेकिन वह अभी तटबंध के लेवल तक नहीं पहुंचा है. फिर भी विभाग ने 25 हजार रेत से भरे बोरे विभिन्न संवेदनशील गांवों में रखवा दिया है. इसमें से 10 हजार बोरे में दरौली में, 10 हजार बोरे लीलही में और 5 हजार बोरे करमाहा में रखवाये गए हैं. इसके अलावा बांस और झांख भी कटवाकर रखे गए हैं.
उन्होंने बताया कि दिन भर सभी इंजीनियर बाढ़ और बांध का निरीक्षण कर रहे हैं. श्री मिश्रा ने बताया कि विभाग ने हरेक एक-एक किलोमीटर पर होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं जो बांध पर टहलकर हर घंटे कार्यपालक अभियंता को किसी भी प्रकार की जल बहाव की दिशा की जानकारी प्रदान करते हैं. अगर उनके फोन नहीं आते हैं तो जूनियर इंजीनियर स्वयं होमगार्ड से संपर्क साधकर हर घंटे जानकारी लेते हैं. इस तरह अभी बाढ़ की आशंका नहीं है. लोग सुरक्षित हैं और विभाग के स्तर पर सभी तैयारियां कर ली गई हैं. जरूरत पड़ने पर कार्यपालक अभियंता स्वयं कैंप कर रहे हैं.
हुसैनगंज में सीढ़ी बनाने को लेकर मारपीट, आधा दर्जन पर एफआईआर
परवेज अख्तर/सिवान :- जिले के हुसैनगंज थाना क्षेत्र के हथौड़ी निवासी मो. रसूल की पत्नी संजीदा खातुन ने थाने में आवेदन देकर गांव के सात लोगों पर सीढ़ी बनाने के दौरान मारपीट कर पुत्री का सोने का चेन छीनने का आरोप लगायी है. आवेदन में कहा है कि तीन जुलाई को परमा साह द्वारा आम रास्ता पर जबरन सीढ़ी बनवाया जा रहा था. मेरा पुत्र उस्मान ने रास्ते पर सीढ़ी बनाने से मना किया. इसी बात पर सभी एकत्रित होकर मेरे पुत्र उस्मान को लाठी डंडे से मारपीट कर घायल कर दिया.
यह देख जब मेरी पुत्री उसे बचाने गई तो उसका दुपट्टा तथा उसके गले से सोने का चेन छीन लिए. शोर गूल सुनकर जब ग्रामीण दौड़े तो उन लोगों ने जान से मारने की धमकी देते हुए फरार हो गये. थानाध्यक्ष पंकज कुमार ठाकुर ने बताया कि थाना कांड संख्या 179/2020 के तहत परमा साह, मुकेश साह, राकेश साह, राज कुमार, राजेश कुमार, राहुल कुमार, विजय कुमार साह को आरोपित कर करवाई की जा रही है.
विश्व जनसंख्या दिवस: ‘अनमेट नीड’परिवार नियोजन में बाधक, जागरूकता से सुधार संभव
- जिले में 26.2 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं
- अनचाहे गर्भ से मुक्ति के लिए करें गर्भनिरोधक साधनों का प्रयोग
- ‘‘कोरोना महामारी के दौर में महिलाओं और बालिकाओं की सेहत और अधिकारों की सुरक्षा’’ होगी इस वर्ष की थीम
- 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन
छपरा: विश्व भर में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व जनसंख्या दिवस की थीम ” कोरोना महामारी के दौर में महिलाओं और बालिकाओं की सेहत और अधिकारों की सुरक्षा’’ होगी। देश कोरोना संक्रमण के बीच में हैं, लेकिन प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान न सिर्फ़ अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए बल्कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य कल्याण में भी महत्व रखता है। इसलिए विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर इस प्रतिकूल परिदृश्य में पूरे माह जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा को प्रखंड स्तर तक जारी रखने को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र के माध्यम से निर्देशित किया था।
जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में परामर्श के साथ मिलेगी परिवार नियोजन की सुविधा
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन 11 जुलाई से 31 जुलाई तक किया जाना है। इस वर्ष के जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े की थीम “आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी” रखी गयी है. इस दौरान गर्भनिरोधक के बास्केट ऑफ चॉइस पर इच्छुक दंपतियों को परामर्श दिया जाएगा। इसके लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श पंजीयन केंद्र स्थापित करते हुए परिवार कल्याण परामर्शी, दक्ष स्टाफ नर्स/ एएनएम द्वारा परामर्श दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा ओपीडी, एएनसी सेवा केंद्र, प्रसव कक्ष एवं टीकाकरण केंद्र पर भी कॉन्ट्रासेप्टिव डिस्प्ले ट्रे एवं प्रचार प्रसार सामग्रियों के माध्यम से परामर्श करते हुए इच्छुक लाभार्थी को परिवार नियोजन सेवा प्राप्त करने में सहयोग की जायेगी है। परामर्श पंजीयन केंद्र पूरे पखवाड़े के दौरान एवं आगे भी अस्थाई रूप से कार्य करेगा। इस दौरान मांग एवं खपत के अनुसार सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यक मात्रा में गर्भनिरोधक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
अनमेट नीड समस्या
बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य एवं जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन सरकारी प्रयासों के इतर सामुदायिक सहभागिता भी परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए बेहद जरूरी है। दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। इससे ही ‘अनमेट नीड’ में वृद्धि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके पीछे आम लोगों में परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता का आभाव प्रदर्शित होता है।
क्या है जिले की स्थिति
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार जिले में कुल 26.2 प्रतिशत अनमेट नीड है। आशय यह है कि जिले में 26.2 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं, लेकिन किसी कारणवश वह परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। जबकि जिले में 10.5 प्रतिशत ऐसी महिलाएं भी हैं जो बच्चों में अंतराल रखने के लिए इच्छुक है लेकिन फिर भी किसी परिवार नियोजन साधन का प्रयोग नहीं कर रही हैं।
ये हैं अनमेट नीड के कारण
- परिवार नियोजन के प्रति पुरुषों की उदासीनता
- सटीक गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी नहीं होना
- परिवार के सदस्यों या अन्य नजदीकी लोगों द्वारा गर्भनिरोधक का विरोध
- साधनों के साइड इफैक्ट को लेकर भ्रांतियाँ
- परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक एवं पारिवारिक प्रथाएँ
- मांग के अनुरूप साधनों की आपूर्ति में कमी
इसलिए गर्भनिरोधक है जरुरी
- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी
- प्रजनन संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं से बचाव
- अनचाहे गर्भ से मुक्ति
- एचआईवी-एड्स संक्रमण से बचाव
- किशोरावस्था गर्भधारण में कमी
- जनसंख्या स्थिरीकरण में सहायक
ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सेवाओं को लेकर राष्ट्रीय रक्त संचार परिषद ने जारी किये दिशा-निर्देश, रक्तदाताओं को किया जाएगा जागरूक
- एड्स कण्ट्रोल सोसाइटीज एवं स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूज़न काउंसिल को दिशानिर्देश अनुपालन करने के निर्देश
- स्वैच्छिक रक्तदान के दौरान संक्रमण से बचाव के लिए दी गयी जानकारी
- रक्तदाताओं को संक्रमण को लेकर जागरूक करने के निर्देश
छपरा: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने कई आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया है। सरकार इस चुनौती का मुकाबला करते हुए धीरे-धीरे जरुरी स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय रक्त संचार परिषद, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सेवाओं को लेकर दिशानिर्देश जारी किया गया है। कोविड-19 महामारी के दौर में राष्ट्रीय रक्त संचार परिषद द्वारा जारी किया गया यह दूसरा दिशानिर्देश है। ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सेवाओं को लेकर पहला दिशानिर्देश 25 मार्च को ही जारी किया गया था। कोविड-19 के नए साक्ष्यों एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रदान किये गए इनपुट के मद्देनजर राष्ट्रीय रक्त संचार परिषद ने ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सेवाओं को लेकर दूसरा दिशानिर्देश जारी किया है। साथ ही कोरोना महामारी के बढ़ते प्रसार को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों के एड्स कण्ट्रोल सोसाइटीज एवं स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूज़न काउंसिल को दिशानिर्देशों के अनुपालन करते हुए ब्लड सेंटर में खून की उपलबध्ता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं।
ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के माध्यम से संक्रमण प्रसार के खतरे को कई रिसर्च संस्थाओं ने नाकारा
दिशा- निर्देश में बताया गया है कि कोरियन रेड क्रॉस ब्लड सर्विसेज ने रक्तदाता द्वारा दी गयी ब्लड कॉम्पोनेट्स में कोरोना संक्रमण की पहचान नहीं कर सकी। यद्यपि ऐसे रक्तदाताओं के शुरूआती सैंपल नेगेटिव थे। वहीं, चीन के एक अध्ययन में 500 रक्तदाताओं में 4 रक्तदाता कोरोना संक्रमित मिले हैं। लेकिन पिछले दो दशक से 2 कोरोनावायरस ( SARS एवं MERS-CoV) का ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के माध्यम से प्रसार होने की कोई पुष्टि नहीं हुयी है। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ ब्लड बैंक्स एवं सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल जैसे रिसर्च संस्थाओं ने बताया है कि ब्लड कलेक्शन इकाईयों को कोरोना संक्रमण से बचाव के मद्देनजर अतिरिक्त कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है। अभी तक भारत में ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जिससे ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के जरिए कोविड-19 प्रसार की पुष्टि की जा सके।
स्वैच्छिक रक्तदान को प्रोत्साहित करना जरुरी
राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार के ब्लड सेल के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. एन.के. गुप्ता ने बताया कि कोरोना महामारी की स्थिति में रक्त अधिकोषों में खून की कमी न हो इसके लिए सभी स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजकों ( गैर-सरकारी संस्थान) एवं विशेषकर युवाओं से अपील है कि स्वैच्छिक रक्तदान शिविर या रक्त अधिकोष में स्वयं रक्तदान करें एवं दूसरों को भी प्रेरित करें।
पर्याप्त मात्रा में खून का स्टॉक जरुरी
दिशानिर्देश के अनुसार ब्लड केन्द्रों का परिचालन स्वैच्छिक रक्तदान पर ही निर्भर करता है। थेलेसेमिया, गंभीर एक्सीडेंट, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रूप से बीमार लोगों को आपातकाल स्थिति में खून की निरंतर जरूरत होती है। गंभीर रोगों में ब्लड की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त मात्रा में खून का स्टॉक होना जरुरी है। इसके लिए सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए ब्लड कलेक्शन एवं स्वैच्छिक रक्तदान को जारी रखने की जरूरत है।
रक्तदान के दौरान इन बातों का ख्याल रखने के निर्देश
- ऐसे रक्तदाता जो कोविड-19 से संक्रमित हो, किसी संक्रमित के संपर्क में रहा हो एवं कोविड-19 प्रभावित क्षेत्र की ट्रेवल हिस्ट्री रही हो, उन्हें रक्तदान से रोकना
- रक्तदान के लिए मास लेवल पर शिविर का आयोजन नहीं करना
- नियमित रूप से रक्त अधिकोष में छोटे-छोटे ( 5-10 यूनिट) का इन-हाउस कैंप का आयोजन किया जाना
- रक्तदान साईट पर स्वास्थ्यकर्मियों एवं रक्तदाताओं द्वारा सामजिक दूरी का पालन करना
- उपयोग किये हुए ग्लव्स, मास्क, कैप्स एवं अन्य मेडिकल वेस्ट का सुरक्षित निस्तारण
- स्वास्थ्यकर्मियों एवं रक्तदाताओं द्वारा हाथों की पानी एवं साबुन से साफ़ करना या अल्कोहल बेस्ड हैण्ड सेनेटाईजर का इस्तेमाल करना
स्वैच्छिक रक्तदान के लिए उठाये जाने वाले कदम
कोरोना संक्रमण काल स्वैच्छिक रक्तदान की चुनौतियों को कम करने के लिए दिशानिर्देश में जानकारी दी गयी है। रक्तदाता की सहूलियत के लिए राज्य के अनुज्ञप्ति प्राप्त रक्त अधिकोष /स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूज़न काउंसिल द्वारा चिन्हित लाइसेंस्ड ब्लड सेंटर द्वारा डोनर अपॉइंटमेंट लेटर निर्गत करने की बात कही गयी है। साथ ही आउटडोर ब्लड डोनेशन के लिए समन्वय स्थापित कर ब्लड मोबाइल वैन एवं ब्लड ट्रांसपोर्टेशन वैन का आदेश प्राप्त करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके लिए स्वैच्छिक रक्तदान संस्थाओं को शामिल कर उनसे सहयोग प्राप्त करने पर भी जोर दिया गया है। साथ ही कोरोना संक्रमणकाल में ब्लड ट्रांसफ्यूज़न को लेकर समुदाय में फैली किसी भी तरह की भ्रांति को दूर करने के लिए रक्तदाताओं को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रसव पूर्व जांच से गर्भवती महिलाओं में संभावित जटिलताओं की हो रही है पहचान: सिविल सर्जन
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की हुई प्रसव पूर्व जांच
- कुपोषण से पीड़ित महिलाओं पर विशेष जोर
- पौष्टिक आहार लेने तथा विशेष देखभाल की दी गयी सलाह
- बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी
छपरा : जिले के सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर का आयोजन किया गया। इस अभियान के तहत जिले के गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच किया गया। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी में शिविर लगाकर स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गयी। साथ ही उच्च जोख़िम गर्भधारण महिलाओं की पहचान कर उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया।
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जाँच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है। सम्पूर्ण प्रसव पूर्व जाँच के आभाव में उच्च जोख़िम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती। इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है। जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।
गर्भवती महिलाओं की हुई ये जांच
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के नोडल सह जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने जायजा लिया। शिविर में गर्भवती महिलाओं को दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होने बताया उच्च रक्तचाप, वजन, शारीरिक जाँच, मधुमेह, एचआईवी एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर अन्य जाँच की गयी। साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं को भी चिन्हित किया गया एवं बेहतर प्रबंधन के लिए दवा के साथ जरुरी परामर्श दिया गया।
कुपोषण से पीड़ित महिलाओं पर विशेष जोर
प्रसव पूर्व जाँच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गयी। एनीमिक महिलाओं को हरी साग- सब्जी, दूध, सोयाबीन, फ़ल, भूना हुआ चना एवं गुड खाने की सलाह दी गयी। साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गयी। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जाँच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
गर्भावस्था में ये पांच टेस्ट कराना जरूरी
- ब्लड टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- ब्लड प्रेशर
- हीमोग्लोबीन
- अल्ट्रासाउंड
उच्च जोख़िम गर्भधारण के कारण
- गर्भावस्था में 7 ग्राम से खून का कम होना
- गर्भावस्था में मधुमेह का होना
- एचआईवी पॉजिटिव होना(एडस पीड़ित)
- अत्यधिक वजन का कम या अधिक होना
- पूर्व में सिजेरियन प्रसव का होना
- उच्च रक्तचाप की शिकायत होना
उच्च जोख़िम गर्भधारण के लक्षण
- पूर्व की गर्भावस्थाओं या प्रसव का इतिहास
- दो या उससे अधिक बार गर्भपात हुआ हो
- बच्चा पेट में मर गया हो या मृत पैदा हुआ हो
- कोई विकृत वाला बच्चा पैदा हुआ हो
- प्रसव के दौरान या बाद में अधिक रक्त स्त्राव हुआ हो
- गर्भवती होने से पहले कोई बीमारी हो
- उच्च रक्तचाप
- दिल या गुर्दे की बीमारी
- टीबी या मिरगी का होना
- पीलिया या लिवर की बीमारी
- हाइपोथायराइड से ग्रसित होना
हुसैनगंज चट्टी पर चिकित्सालय का उद्घाटन , दर्जनों रोगियों का निशुल्क हुई जांच
सदर अस्पताल में तैनात चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अहमद अली करेंगे इलाज
परवेज अख्तर/सिवान:- जिले के हुसैनगंज थाना क्षेत्र के हुसैनगंज चट्टी पर बृहस्पतिवार की अहले सुबह 8 बजे एक निजि चिकित्सालय का उद्घाटन समाजसेवी अली हैदर,अमीर हैदर तथा वजीर हैदर ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया।इस अवसर पर क्षेत्र के दर्जनों मरीजों को निशुल्क जांच की गई।
उद्घाटित चिकित्सालय में सिवान सदर अस्पताल में तैनात चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अहमद अली द्वारा इलाज किया जाएगा। डॉक्टर अहमद अली ने बताया कि इस उद्घाटित क्लिनिक में मधुमेह,हार्ट समेत कई बीमारियों का इलाज किया जाएगा।इस मौके पर इरशाद अहमद,आजाद अली, शादाब हैदर, सरवर बाबू ,अजबुद्दीन बाबू समेत दर्जनों समाजसेवी व कई ग्रामीण उपस्तिथ थे।
गब्बर यादव को किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोनीत
परवेज अख्तर/सिवान :- गुरुवार को आरजेडी प्रदेश कार्यालय पटना में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, प्रधान महासचिव आलोक मेहता, किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुबोध कुमार यादव के द्वारा रविंदर उर्फ गब्बर यादव को किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया बता दे कि श्री यादव करीब 20 वर्षो से राजद के सक्रिय सदस्य के रूप में पटना से लेकर सिवान तक काफी काम राजद पार्टी के हित में कर चुके हैं ।
दुरभाष पर श्री यादव ने बताया कि पार्टी ने जो मुझे पद दिया है, उस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा । बता दे कि गब्बर यादव सिवान जिला के पचरुखी प्रखंड मुख्यालय के महुआरी गांव के रहने वाले हैं । यह पटना से लेकर सिवान तक राजद के लिए अपनी जिम्मेवारी निभाते हैं । श्री यादव को इस पद मिलने के बाद सिवान राजद जिलाध्यक्ष परमात्मा राम , राजद नेता ओसिहर यादव सहित अन्य ने हर्ष ब्यक्त किया है ।
सिवान गल्लामंडी, सब्जीमंडी खोलने पर सकारात्मक हो जिला प्रशासन, नहीं तो कालाबाजारी एवं भुखमरी की आ सकती है नौबत
- शीघ्र रास्ता नहीं निकलने पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री एवं अन्य वरीय अधिकारियों से हस्तक्षेप के लिए पहल करेगा एआईएसएफ
परवेज़ अख्तर/सिवान:- ऑल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार ने सिवान जिला प्रशासन से गल्लामंडी, सब्जीमंडी, तेलहट्टा की दुकानें खोलने की माँग की है। एआईएसएफ नेता ने जिला प्रशासन से इस पर गंभीरता से विचार करने एवं इन इलाके के दुकानदारों के साथ जिला प्रशासन की बैठक कर कोई सकारात्मक रास्ता निकालने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि विगत तीन दिन इन इलाकों की सभी दुकानों को प्रशासन ने बंद कर दिया है। तत्काल दुकानों के नहीं खोलने पर जिले में कालाबाजारी एवं भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
खाद्य सामग्री आवश्यक सेवाओं में शामिल है इसी कारण लॉक डाउन की स्थिति में इन इलाकों में अभी तक दुकानें खुली हुई थी। एआईएसएफ नेता ने कहा कि संक्रमित मरीजों को समूह से अलग करना, अधिक से अधिक जाँच केंद्रों को सक्रिय कर व्यापक स्तर पर जाँच करना एवं प्रशासन द्वारा जागरूकता अभियान चलाना कारगर हो सकता है न कि सिर्फ लॉकडाउन। एआईएसएफ नेता ने सिवान जिलाधिकारी से फोन से बात करने की कोशिश की।लेकिन बात नहीं हो पाई। उन्होंने इस मसले में शीघ्र रास्ता नहीं निकलने पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, गृह सचिव आमिर सुबहानी एवं अन्य वरीय अधिकारियों से हस्तक्षेप की पहल वे करेंगे।





















